Hindi Newsगुजरात न्यूज़Gujarat elections 2022 : Most Congress turncoats win on BJP ticket

गुजरात चुनाव से पहले BJP में गए कांग्रेस के अधिकतर दलबदलू नेताओं का क्या रहा हाल?

हार्दिक पटेल के अलावा भाजपा ने कांग्रेस के 12 पूर्व विधायकों के साथ कांग्रेस के एक पूर्व विधायक के बेटे को मैदान में उतारा था। इन 14 में से तीन को छोड़कर सभी ने चुनाव में जीत हासिल की है।

Praveen Sharma अहमदाबाद | भाषा, Sat, 10 Dec 2022 08:01 AM
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने वाले कांग्रेस के ज्यादातर पूर्व नेता 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने में सफल रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल के अलावा भाजपा ने कांग्रेस के 12 पूर्व विधायकों के साथ कांग्रेस के एक पूर्व विधायक के बेटे को मैदान में उतारा था। इन 14 में से तीन को छोड़कर सभी ने चुनाव में जीत हासिल की है।

इनमें कुछ अपवाद भी हैं। भाजपा में शामिल हुए पूर्व कांग्रेसी हर्षद रिबड़िया को आम आदमी पार्टी (आप) के भूपेंद्र भयानी ने विसावदर सीट से हरा दिया। जवाहर चावड़ा, जिन्होंने मार्च 2019 में कांग्रेस विधायक के रूप में इस्तीफा दे दिया था और भाजपा के टिकट पर बाद के उपचुनाव जीते थे, कांग्रेस के अरविंद लाडानी से लगभग 3,000 वोटों से हार गए थे।

वहीं, कांग्रेस के इमरान खेड़ावाला हाल में संपन्न हुए 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा चुनाव में निर्वाचित होने वाले एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार हैं, जिसमें सत्तारूढ़ भाजपा को भारी जीत मिली है। निवर्तमान विधानसभा में तीन मुस्लिम विधायक थे, सभी कांग्रेस के थे।

अहमदाबाद शहर के जमालपुर-खड़िया विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा कांग्रेस विधायक खेड़ावाला ने 13,658 मतों के अंतर से चुनाव जीतकर अपनी सीट बरकरार रखी। उन्होंने मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के भूषण भट्ट को हराया, जहां अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक साबिर काबलीवाला भी मैदान में थे।

गुजरात चुनाव :  बापूनगर से जदयू उम्मीदवार को मिले महज 30 वोट

गुजरात विधानसभा चुनाव में अहमदाबाद की बापूनगर सीट से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उम्मीदवार पठान इम्तियाज खान सिदखान को सबसे कम 30 वोट मिले। पठान (45) ने इसका ठीकरा अपनी पार्टी पर फोड़ते हुए कहा कि पार्टी ने उनके पक्ष में प्रचार ही नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर मैं निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ता तो ज्यादा वोट मिल सकते थे।

पठान राजनीति में नए नहीं हैं। उनके अनुसार उन्होंने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में गुजरात की खेड़ा सीट से किस्मत आजमाई थी और उन्हें 5,000 से अधिक वोट मिले थे। उन्होंने कहा कि उस समय मैं निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़ा हुआ था, लेकिन यहां जदयू को कौन जानता है? कोई नहीं। यह तो होना ही था। उन्होंने कहा कि पार्टी ने लगभग आधे दर्जन उम्मीदवार को टिकट दिया था, लेकिन सभी हार गए।

गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने वाले 1,621 उम्मीदवारों में से पठान को सबसे कम वोट मिले। भाजपा ने इस चुनाव में 156 सीट जीतकर ऐतिहासिक विजय हासिल की। साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार के प्रमुख गवाह पठान ने कहा कि 2019 के चुनाव के बाद वह असदुद्दीन औवेसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) में शामिल हो गए थे और दो वर्ष तक उसके सदस्य रहे। उन्होंने कहा लेकिन जब मुझे लगा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी टिकट नहीं देगी, तो मैं जदयू में शामिल हो गया। 

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