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बिलकिस बानो मामला: जेल से बाहर आएगा एक और दोषी? गुजरात हाई कोर्ट से मांगी पैरोल; बताई ये वजह

सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल लौटने का आदेश दिया था। जिन्हें 14 साल तक जेल में रहने के बाद 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर गोधरा जिला जेल से रिहा किया गया था।

Abhishek Mishra पीटीआई, अहमदाबादSun, 18 Feb 2024 11:57 AM
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बिलकिस बानो गैंगरेप केस में सजायाफ्ता एक और दोषी ने पैरोल के लिए याचिका दायर की है। दोषी ने अपने परिवार में एक शादी में शामिल होने के लिए पैरोल की मांग करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया है। दोषी रमेशभाई चंदना ने अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल पर रिहा होने की याचिका के साथ शुक्रवार को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। 

गौरतलब हो, मामले में दोषी चंदना समेत 10 अन्य को पिछले महीने तब वापस जेल भेज दिया गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार द्वारा उन्हें दी गई सजा माफी को रद्द कर दिया था। इससे पहले, मामले के एक अन्य दोषी प्रदीप मोधिया को उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका स्वीकार करने के बाद 7 से 11 फरवरी तक पैरोल पर गोधरा जिला जेल से रिहा किया गया था। प्रदीप को ससुर के मरने पर पैरोल दी गई थी। 

चंदना की वकील खुशबू व्यास ने न्यायमूर्ति दिव्येश जोशी को बताया कि उनकी मुवक्किल 5 मार्च को अपनी भतीजी की शादी में शामिल होना चाहती थी। इसके बाद अदालत ने रजिस्ट्री को "मामले को (सुनवाई के लिए) उचित अदालत के समक्ष रखने का निर्देश दिया।"

सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार के हलफनामे के अनुसार, चंदना 2008 में कैद के बाद से अबतक 1,198 दिनों की पैरोल और 378 दिनों की छुट्टी ले चुका है। अगस्त 2022 में, आजीवन कारावास की सजा काट रहे 11 दोषियों को जेल से समय से पहले रिहाई दे दी गई थी, जब राज्य सरकार ने कारावास के दौरान उनके 'अच्छे आचरण' का हवाला देते हुए, अपनी 1992 की नीति के अनुसार उनके छूट आवेदन स्वीकार कर लिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सभी 11 दोषियों की सजा माफी को रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने 8 जनवरी को सजा माफी के आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि राज्य सरकार के पास दोषियों को समय से पहले रिहाई देने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि 2002 के मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल लौटने का आदेश दिया था। जिन्हें 14 साल तक जेल में रहने के बाद 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर गोधरा जिला जेल से रिहा किया गया था। उन्होंने 21 जनवरी को गोधरा जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

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