मौका मिले तो अब भी पाकिस्तान के खात्मे को तैयार; बेटी की उपलब्धि पर बोले कर्नल सोफिया के पिता
विदेश सचिव विक्रम मिसरी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर मीडिया को जानकारी देने वालीं सिग्नल ऑफिसर कर्नल सोफिया कुरैशी ने कम उम्र में ही देश की सेवा का सपना बुन लिया था।

भारतीय सुरक्षाबलों ने मंगलवार देर रात पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाते हुए नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसकी जानकारी सेना की तरफ से बुधवार सुबह सेना द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दी गई। जिसमें दो अन्य अधिकारियों के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी भी शामिल थीं। कर्नल सोफिया का परिवार गुजरात का वडोदरा में रहता है और अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर बेहद खुश है। उनके पिता ताज मोहम्मद ने बेटी को यह मौका मिलने पर बेहद खुशी जताई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को खत्म हो जाना चाहिए वह दुनिया के नक्शे में रहने लायक मुल्क नहीं है। बता दें कि सोफिया के पिता, दादा और परदादा भी सेना में रह चुके हैं और वह अपने परिवार की परम्परा निभाते हुए सेना में हैं।
कर्नल सोफिया के पिता ताज मोहम्मद ने इस बारे में समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, 'गर्व है कि हमारी बेटी ने बहुत अच्छा काम किया है, देश के लिए कुछ किया है। हमारी तो उम्र हो गई है। हमने बांग्लादेश की लड़ाई लड़ी। दिमाग में अब भी यही आता है कि अगर हमको अभी भी मौका दिया जाए तो हम जाकर पाकिस्तानियों को खत्म कर दें। उसे खत्म करना चाहिए, वो दुनिया में रहने योग्य देश नहीं है।'
बेटी को आर्मी में भेजने पर उनके पिता ने कहा, 'यह हमारी परिवार में है। मेरे दादा, मेरे पिता और मैं खुद भी सेना में था, अब वह गई है।'
बता दें कि विदेश सचिव विक्रम मिसरी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर मीडिया को जानकारी देने वालीं सिग्नल ऑफिसर कर्नल सोफिया कुरैशी ने कम उम्र में ही देश की सेवा का सपना बुन लिया था।
कुरैशी और सिंह ने छह-सात मई की रात को एक बजे से डेढ़ बजे तक निशाना बनाए गए स्थानों के नाम और विवरण साझा किए। कुरैशी ने हिंदी में बात की, जबकि भारतीय वायुसेना की हेलीकॉप्टर पायलट सिंह ने अंग्रेजी में विवरण साझा किया।
करीब आठ साल पहले साल 2017 में आयोजित एक कार्यक्रम में, कुरैशी ने सशस्त्र बलों में अपने सफर के बारे में बताया था कि कैसे वह सेना में जाने के लिए प्रेरित हुईं। कुरैशी ने कहा था, ‘एक फौजी के बच्चे के रूप में, मैं सेना के माहौल से वाकिफ थी। मेरी मां चाहती थी कि हम दोनों बहनें सेना में शामिल हों। मैंने इसके लिए आवेदन किया और मैं इसमें शामिल हो गई। मेरे दादा भी सेना में थे, और वह कहते थे ‘यह हमारी, हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि हम सतर्क रहें और अपने देश के लिए खड़े हों और राष्ट्र की रक्षा करें।’ यह गरिमापूर्ण और सम्मानजनक पेशा है।’
कुरैशी ने यह भी कहा कि जब वह ‘(सैन्य) अकादमी में शामिल हुईं, तो करगिल युद्ध चल रहा था।’ उन्होंने साल 2016 में बहुराष्ट्रीय क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास में सेना के प्रशिक्षण दल का नेतृत्व भी किया था।
रक्षा मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर महिला दिवस पर एक पोस्ट में कुरैशी की तस्वीर साझा करते हुए कहा था, ‘2016 में फोर्स18-आसियान प्लस बहुराष्ट्रीय क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास में सेना प्रशिक्षण टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी। वह सभी आसियान प्लस टुकड़ियों में एकमात्र महिला अधिकारी टुकड़ी कमांडर थीं।’
(भाषा इनपुट के साथ)
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