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पति ने नहीं दिए 18.60 लाख, वडोदरा कोर्ट ने सुनाई 2200 दिन की सजा; किस मामले में हुई सख्त कार्रवाई

जरात के वडोदरा में एक पारिवारिक अदालत ने बुधवार को 40 वर्षीय व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए 2,200 दिन यानी लगभग छह साल की सजा सुनाई है। यह सजा उसे अपनी अलग रह रही 36 साल की पत्नी को 18.60 लाख रुपये के भरण-पोषण की बकाया राशि न देने के तीन मामले में दोषी ठहराते हुए दी गई है।

Sneha Baluni लाइव हिन्दुस्तान, वडोदराThu, 3 April 2025 05:44 AM
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पति ने नहीं दिए 18.60 लाख, वडोदरा कोर्ट ने सुनाई 2200 दिन की सजा; किस मामले में हुई सख्त कार्रवाई

गुजरात के वडोदरा में एक पारिवारिक अदालत ने बुधवार को 40 वर्षीय व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए 2,200 दिन यानी लगभग छह साल की सजा सुनाई है। यह सजा उसे अपनी अलग रह रही 36 साल की पत्नी को 18.60 लाख रुपये के भरण-पोषण की बकाया राशि न देने के तीन मामले में दोषी ठहराते हुए दी गई है। नागपुर के इस व्यक्ति को महाराष्ट्र पुलिस ने पारिवारिक अदालत में पेश किया था। अदालत ने 29 मार्च को पुलिस अधिकारियों के खिलाफ “जानबूझकर अदालत के निर्देशों की अवहेलना” करने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।

शख्स को अपनी अलग रह रही पत्नी को लगभग 33 लाख रुपये की मासिक भरण-पोषण राशि का भुगतान न करने के लिए कुल नौ साल जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है। इसमें 2017 से लंबित भरण-पोषण की वसूली के लिए वडोदरा पारिवारिक अदालत के समक्ष पिछले मामलों में व्यक्ति की दोषसिद्धि शामिल है, जिसके लिए वह कभी भी कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ।

महिला का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील महेंद्र परमार के अनुसार, व्यक्ति नागपुर में मिठाई का “अच्छा-खासा” बिजनेस चलाता है और दिसंबर 2017 के आदेश के बाद कोर्ट द्वारा जारी किए गए समन और वारंट की अनदेखी कर रहा है। जिसमें उसे अपनी पत्नी को 15,000 रुपये और अपनी नाबालिग बेटी, जो अब 11 साल की है, को 10,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था।

परमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "इस जोड़े की शादी जून 2012 में हुई थी और 2014 में वे अलग हो गए। महिला वडोदरा में अपने माता-पिता और भाई के साथ रह रही है। उसने भरण-पोषण का दावा करने के लिए मामला दायर किया है, क्योंकि उसे एक नाबालिग बेटी की भी देखभाल करनी है। पारिवारिक अदालत के 30 दिसंबर, 2017 के आदेश के अनुसार, पुरुष को 25,000 रुपये का संयुक्त मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया, लेकिन आज तक उसने एक भी पैसा नहीं दिया। प्रक्रिया के अनुसार, हमने भरण-पोषण की वसूली के लिए कई आवेदन दायर किए, जिनमें से तीन पर वर्तमान में पारिवारिक अदालत सुनवाई कर रही है।"

व्यक्ति को बुधवार को वडोदरा पारिवारिक अदालत में पेश किया गया, जहां उसे दोषी ठहराया गया और तीनों मामलों में कुल 2,220 दिनों की सजा सुनाई गई। परमार ने कहा, "अदालत ने उसे एक आवेदन में 1,230 दिनों की सजा सुनाई, जिसमें लंबित राशि 10.30 लाख रुपये है, दूसरे आवेदन में 360 दिनों की सजा सुनाई, जिसमें लंबित राशि 3 लाख रुपये है और तीसरे आवेदन में 630 दिनों की सजा सुनाई, जिसमें लंबित राशि 5.30 लाख रुपये है। अब उसे अदालत से रिहा होने के लिए 18.60 लाख रुपये की पूरी राशि का भुगतान करना होगा या पूरी अवधि जेल में काटनी होगी।"

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