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गुजरात HC से पूर्व मंत्री जवाहर चावड़ा को झटका, FIR रद्द करने से इनकार; किस मामले में नाराज

गुजरात हाईकोर्ट ने पूर्व पर्यटन मंत्री जवाहर चावड़ा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया है। उन्होंने कांग्रेस विधायक के तौर पर 2018 में जूनागढ़ जिले में भूमि खनन पट्टा देने वाले अधिकारियों का विरोध किया था।

Sneha Baluni लाइव हिन्दुस्तान, अहमदाबादTue, 18 Feb 2025 02:00 PM
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गुजरात HC से पूर्व मंत्री जवाहर चावड़ा को झटका, FIR रद्द करने से इनकार; किस मामले में नाराज

गुजरात हाईकोर्ट ने पूर्व पर्यटन मंत्री जवाहर चावड़ा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया है। उन्होंने कांग्रेस विधायक के तौर पर 2018 में जूनागढ़ जिले में भूमि खनन पट्टा देने वाले अधिकारियों का विरोध किया था, तब उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया। बाद में चावड़ा ने कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें पार्टी ने मंत्री बनाया।

चावड़ा की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस निरल मेहता ने राजनेता के साथ मिलीभगत के लिए पुलिस की आलोचना की और कहा कि जब चावड़ा अदालत के सामने क्लीन नहीं आए तो उन्हें राहत देकर हाईकोर्ट 'सुविधाजनक योजना का हिस्सा नहीं बनना चाहेगा।' चावड़ा ने गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होने, दंगा करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिस के काम में बाधा डालने सहित अन्य अपराधों के लिए उनके और 39 अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।

केस के पेपर्स देखने के बाद, हाईकोर्ट ने नोट किया कि चावड़ा को 39 लोगों के साथ हिरासत में लिया गया था, लेकिन 39 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि चावड़ा को नहीं। 2020 में, जब चार्जशीट दाखिल की गई, तो चावड़ा को भगोड़ा दिखाया गया, जबकि वह एक मौजूदा मंत्री थे और सचिवालय में स्थित अपने कार्यालय में हमेशा मौजूद रहते थे। इससे हाईकोर्ट नाराज हो गया और उसने चावड़ा के साथ किए गए 'सौहार्दपूर्ण और सम्मानजनक' व्यवहार के लिए पुलिस की आलोचना की।

हाईकोर्ट ने इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को बुलाया, जिन्होंने कथित रूप से कर्तव्यहीनता के 'निचले से लेकर हायर कैडर तक' के सभी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया। हाल ही में जारी अपने आदेश में जस्टिस मेहता ने कहा, 'यह अदालत वर्तमान आवेदक और पुलिस अधिकारियों के बीच स्पष्ट मिलीभगत के फैक्ट को दोहराना चाहेगी, जिसमें बिना किसी कारण, वर्तमान आवेदक को घटनास्थल पर हिरासत में लेने के बावजूद, बिना किसी औपचारिक गिरफ्तारी के जाने दिया गया।'

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