सोमनाथ मंदिर के पास एकसाथ क्यों गरजे थे 58 बुलडोजर? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा; सरकार ने दिया जवाब
- बीते दिनों गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में प्रशासन ने बड़ा बुलडोजर ऐक्शन लिया था। यहां 58 बुलडोजर चलाकर प्रशासन ने कई अवैध संरचनाओं को तोड़ दिया था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। अब सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार ने इसका कारण बताया है।
बीते दिनों गुजरात के गिर सोमनाथ मंदिर के पास प्रशासन ने बड़ा बुलडोजर ऐक्शन लिया था। इस दौरान प्रशासन ने मंदिर के पास दरगाह और कई धार्मिक संरचनाओं को तोड़ दिया था। प्रशासन ने इस अतिक्रमण अभियान के लिए 58 बुलडोजर लगाए थे। इलाके में इतने पैमाने पर बुलडोजर ऐक्शन क्यों लिया गया? इसको लेकर गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है। आइए जानते हैं गुजरात सरकार ने क्या कहा है।
क्यों चलाया बुलडोजर?
सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में गुजरात सरकार की तरफ से कहा गया है कि अतिक्रमण के खिलाप लिए गए बुलडोजर ऐक्शन में सभी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मंदिर के पास से जो अतिक्रमण हटाया गया है वो जमीन अरब सागर के तट से सटी हुई सरकारी जमीन है। गुजरात सरकार ने बताया कि गिर सोमनाथ मंदिर के पास अतिक्रमण के खिलाफ जो अभियान चलाया गया, वो राजस्व अधिकारियों द्वारा लागातार चलाए जा रहे अभियान का एक हिस्सा है। गुजरात सरकार का मानना है कि उसने अरब सागर के तट पर स्थित सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त रखने के लिए यह अभियान चलाया था।
बता दें कि इस मामले में एक मुस्लिम संगठन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में गुजरात सरकार के उन अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई थी, जिन्होंने दरगास समेत कई धार्मिक संरचनाओं पर बुलडोजर कार्रवाई करवाई थी। इस मामले पर अपना हलफनामा दायर करते हुए गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अरब सागर के तट पर स्थित सरकारी जमीन से कब्जा और अतिक्रमण हटवाने के लिए बुलडोजर चलाया गया था। सरकार ने कहा कि यह अतिक्रमण के खिलाफ लगातार चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है।
गुजरात सरकार ने मुस्लिम संगठन द्वारा दायर की गई याचिका की दलील का विरोध किया है। गुजरात सरकार का कहना है कि सरकार जमीन को कब्जामुक्त करने के लिए नियमों और प्रक्रियाओं का पूरी तरह से पालन करते हुए कार्रवाई की गई है। गुजरात सरकार ने संगठन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है, जबकि सच्चाई कुछ और ही है। इस मामले पर जानकारी देते हुए सरकार ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के पहले चरण में 8 अक्टूबर, 2023 को प्रभास पाटन गांव से 26 अतिक्रमण हटाए गए थे। सरकार ने बताया कि उसमें से एक अतिक्रमणकारी हिंदू समुदाय से भी था।
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