महंगे होने वाले हैं रीचार्ज प्लान, अब 5G के लिए भी लगेंगे पैसे; इतनी बढ़ सकती है कीमत
भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया (Vi) के रीचार्ज प्लान लोकसभा चुनाव के बाद महंगे हो सकते हैं। संकेत मिले हैं कि इस बार प्लान्स की कीमत में 15 से 17 प्रतिशत तक की बढ़त देखने को मिलेगी।
भारतीय टेलिकॉम मार्केट में एक बार फिर हलचल देखने को मिल रही है और कंपनियां अपने रीचार्ज प्लान महंगे कर सकती हैं। सामने आया है कि टेलिकॉम ऑपरेटर्स लोकसभा चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद उनके टैरिफ महंगे कर दिए जाएंगे। पिछली बार प्लान्स 20 से 25 प्रतिशत महंगे हुए थे और एक बार फिर ऐसा ही देखने को मिल सकता है। कयास लग रहे हैं कि इसकी शुरुआत Airtel की ओर से की जाएगी।
Telecom Talk ने अपनी रिपोर्ट में रिपब्लिक वर्ल्ड एनालिस्ट के हवाले से बताया है कि चुनाव के बाद भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया (Vi) सभी के प्लान्स 15 से 15 प्रतिशत तक महंगे हो सकते हैं। सामने आया है कि पिछले टैरिफ हाइक की तरह इस बार भी शुरुआत सबसे पहले एयरटेल की ओर से की जाएगी और इसके बाद बाकी कंपनियों के प्लान भी महंगे होंगे। एयरटेल ने पहले भी कई बार अपने प्लान महंगे करने का रुख जाहिर किया है।
रेवन्यू बढ़ाने की कोशिश में कंपनियां
एयरटेल का मानना है कि भारत में टेलिकॉम सेक्टर से अच्छे फायदे नहीं मिल रहे और जितना कंपनियों की ओर से निवेश किया जा रहा है, उसकी तुलना में बहुत कम रिटर्न्स मिलते हैं। अब रीचार्ज प्लान्स महंगे करते हुए एयरटेल की कोशिश वित्तीय वर्ष 2025 खत्म होने तक इसके एवरेज रेवन्यू पर यूजर (ARPU) बढ़ाकर 250 रुपये तक पहुंचाने की होगी। बता दें, ARPU हर यूजर से होने वाली कंपनी की औसत कमाई को कहते हैं।
5G के लिए भी करना होगा भुगतान
देश में रिलायंस जियो और भारत एयरटेल की 5G सेवाएं रोलआउट हो चुकी हैं और लाखों यूजर्स को हाई-स्पीड इंटरनेट का फायदा इसके साथ मिल रहा है। हालांकि, अब तक किसी भी कंपनी ने अलग से 5G के लिए भुगतान करने को नहीं कहा और यूजर्स को इसका फायदा 239 रुपये से ज्यादा कीमत वाले प्रीपेड और पोस्टपेड प्लान्स के साथ फ्री में मिल रहा है। संभव है कि 5G के लिए सब्सक्राइबर्स को अलग से जेब ढीली करनी पड़े और अतिरिक्त भुगतान करने को कहा जाए।
इसलिए प्लान महंगे करने का दबाव
एयरटेल के अलावा रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया (Vi) पर भी रीचार्ज प्लान महंगे करने का दबाव बना हुआ है। इनके ARPU में भी बढ़त देखने को नहीं मिली है और रिटर्न्स की तुलना में इन्हें ज्यादा निवेश करना पड़ रहा है। पिछली कई तिमाहियों से जियो के ARPU में बढ़त देखने को नहीं मिली है। वहीं, वोडाफोन-आइडिया (Vi) के सामने लगातार कम होते सब्सक्राइबर बेस को बचाने की चुनौती भी है।
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