Explainer: ज्यादा MP वाले कैमरा का मतलब बेहतर कैमरा नहीं, कहीं आप भी भ्रम में तो नहीं?
क्या आपको लगता है कि ज्यादा मेगापिक्सल वाले स्मार्टफोन कैमरा से बेहतर फोटोज क्लिक होती हैं? अगर ऐसा है तो यह गलत है। आइए बताएं कि बेस्ट फोन कैमरा का चुनाव कैसे किया जाना चाहिए।
आजकल स्मार्टफोन खरीदते समय कैमरे की क्वॉलिटी पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है। ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि जिस फोन में ज्यादा मेगापिक्सल (MP) का कैमरा होता है, वह बेहतर फोटोज क्लिक करेगा। लेकिन क्या सच में ऐसा है? क्या बेहतर MP का मतलब बेहतर स्मार्टफोन कैमरा होता है? इसका जवाब पाने के लिए हमें कैमरे के काम करने के तरीके को थोड़ा और गहराई से समझना होगा। आइए इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं और जवाब खोजने की कोशिश करते हैं।
पहले समझें कि मेगापिक्सल (MP) क्या होते हैं?
मेगापिक्सल एक इमेज सेंसर में पिक्सल्स की संख्या को मापने की एक यूनिट है। एक पिक्सल, एक छोटा सा लाइट-सेंसिटिव डॉट होता है जो इमेज को बनाने के लिए कलर या लाइट से जुड़ा डाटा रिकॉर्ड करता है। ज्यादा मेगापिक्सल का मतलब है कि इमेज सेंसर में ज्यादा पिक्सल हैं, जिससे बेहतर रेजॉल्यूशन वाली इमेज मिलती है। यानी ज्यादा MP से ज्यादा बड़े साइज वाली इमेज का आउटपुट मिलता है।
क्या ज्यादा मेगापिक्सल हमेशा बेहतर होते हैं?
यह मानना कि ज्यादा मेगापिक्सल वाले कैमरे हमेशा बेहतर होते हैं, एक भ्रामक बात है। मेगापिक्सल केवल इमेज के साइज को तय करते हैं, ना कि उसकी क्वॉलिटी को। एक हाई-रेजॉल्यूशन वाली इमेज को जूम करने या बड़े प्रिंट आउट लेने के लिए ज्यादा MP बेहतर हो सकता है, लेकिन यह हमेशा बेहतर दिखने वाली इमेज का आउटपुट दे, जरूरी नहीं है।
कैमरे की क्वॉलिटी किन चीजों से तय होती है?
स्मार्टफोन कैमरे की क्वॉलिटी को प्रभावित करने वाली कई अन्य बातें हैं। आइए बताएं कि इनमें क्या-क्या शामिल हैं।
इमेज सेंसर का आकार: एक बड़ा इमेज सेंसर ज्यादा लाइट को कैप्चर कर सकता है, जिससे कम रोशनी में बेहतर आउटपुट मिलता है और कम नॉइस वाली फोटोज मिलती हैं।
लेंस की क्वॉलिटी: लेंस की क्वॉलिटी फोटोज की शार्पनेस, कलर एक्युरेसी और डिस्टॉर्शन को प्रभावित करती है।
इमेज प्रोसेसिंग: इमेज प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर तस्वीरों को प्रोसेस करने और उन्हें बेहतर बनाने के लिए यूज किया जाता है।
ऑप्टिकल इमेज स्टेबलाइज़ेशन (OIS): OIS कैमरा शेक को कम करने में मदद करता है, जिससे फोटोज ब्लर होने की संभावना कम हो जाती है। इस तरह अगर कैमरा हिल जाए, तब भी फोटो ब्लर ना हो।
एक्सट्रा कैमरे: कई स्मार्टफोन्स में अल्ट्रा-वाइड, टेलीफोटो और मैक्रो कैमरे होते हैं, जो अलग-अलग तरह की फोटोज क्लिक करने की क्षमता फोन को देते हैं।
अगर उदाहरण से समझें तो मान लीजिए कि आपके पास दो स्मार्टफोन हैं। एक में 48 मेगापिक्सल का कैमरा है और दूसरे में 12 मेगापिक्सल का कैमरा है। अगर 12 मेगापिक्सल वाले फोन में बड़ा इमेज सेंसर, बेहतर लेंस और एडवांस्ड इमेज प्रोसेसिंग है, तो संभव है कि यह 48 मेगापिक्सल वाले फोन की तुलना में बेहतर फोटोज ले। यही वजह है कि कम मेगापिक्सल (MP) सेंसर होने के बावजूद iPhone कई फ्लैगशिप एंड्रॉयड फोन्स से बेहतर फोटोज क्लिक करते हैं।
आप समझ गए होंगे कि जब भी आप स्मार्टफोन खरीदते हैं, तो केवल कैमरा मेगापिक्सल पर ध्यान देने के बजाय, आपको कैमरे के अन्य पहलुओं पर भी विचार करना चाहिए। इमेज सेंसर का आकार, लेंस की क्वॉलिटी, इमेज प्रोसेसिंग और बाकी कैमरा फीचर्स सभी पर गौर करना जरूरी है।
कैसे चुनें बेहतर कैमरा लेंस?
सबसे पहले तो आपको कैमरा सेंसर के टाइप का पता होना चाहिए। CMOS और CCD दो मेन तरह के इमेज सेंसर हैं। CMOS सेंसर ज्यादा इस्तेमाल होते हैं क्योंकि वे कम पावर यूज करते हैं और ज्यादा फास्ट होते हैं। इसके अलावा अपर्चर महत्वपूर्ण होता है। दरअसल, अपर्चर लेंस में वह स्पेस होता है, जो लाइट को कैमरे के अंदर आने देता है। एक बड़ा अपर्चर ज्यादा लाइट को कैप्चर कर सकता है, जिससे कम रोशनी में बेहतर इमेज क्वॉलिटी मिलती है।
ठीक इसी तरह कैमरा सेंसर की फोकल लेंथ, लेंस से कैप्चर की गई इमेज के व्यूइंग एरिया को तय करती है। एक छोटी फोकल लेंथ एक वाइड इमेज एरिया देती है, जबकि एक लंबी फोकल लेंथ एक क्लोज व्यूइंग एरिया देती है। वहीं ISO इमेज सेंसर की लाइट सेंसिटिविटी को मापता है। ज्यादा ISO सेटिंग्स कम रोशनी में शूटिंग के लिए जरूरी होती हैं, लेकिन उनसे ज्यादा नॉइस देखने को मिल सकता है।
आप किसी स्मार्टफोन कैमरा का चुनाव करते हुए सेंसर टाइप, अपर्चर, फोकल लेंथ और ISO, इन चार पहलुओं पर गौर कर सकते हैं और बाकी रिव्यूज या इमेज सैंपल्स से भी तय कर सकते हैं कि कैमरा बेहतर है या नहीं। अब आप समझ चुके हैं कि ज्यादा MP का मतलब बेहतर कैमरा नहीं होता तो आपके लिए सही कैमरा वाले फोन का चुनाव करना आसान हो जाएगा।
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