LCD, OLED और AMOLED डिस्प्ले में क्या है अंतर और कौन सबसे बेहतर? जानिए
बाजार में इस समय LCD, OLED और AMOLED डिस्प्ले के साथ आने वाले ढेर सारे स्मार्टफोन मौजूद हैं। कई लोगों LCD, OLED या फिर AMOLED डिस्प्ले के बीच कंफ्यूज रहते हैं और उन्हें नहीं पता कि आखिर इन डिस्प्ले में क्या अंतर है और इनमें से बेहतर कौन है। यहां देखें इन डिस्प्ले के बारे में सबकुछ…
बाजार में इस समय LCD, OLED और AMOLED डिस्प्ले के साथ आने वाले ढेर सारे स्मार्टफोन मौजूद हैं। कई लोगों LCD, OLED या फिर AMOLED डिस्प्ले के बीच कंफ्यूज रहते हैं और उन्हें नहीं पता कि आखिर इन डिस्प्ले में क्या अंतर है और इनमें से बेहतर कौन है। अब तो बाजार में pOLED और Super AMOLED Plus डिस्प्ले भी आ गए हैं, जिससे लोगों का कंफ्यूजन और बढ़ गया है। अगर आप भी इन अलग-अलग तरह के डिस्प्ले के बीच कंफ्यूज हैं, तो आज के एक्सप्लेनर में हम आपका यह कंफ्यूजन दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां हम सरल शब्दों में बता रहे हैं कि इन डिस्प्ले के बीच क्या अंतर है, ये कैसे काम करते हैं और सबसे बहतर कौन सा डिस्प्ले है।
LCD डिस्प्ले क्या है और कैसे काम करते है?
एलसीडी का मतलब लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले है। यह सबसे एक आम डिस्प्ले तकनीक है, जिसे आपने स्मार्टफोन समेत कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस पर देखा होगा। जैसा कि नाम से पता चलता है, एलसीडी डिस्प्ले लिक्विड क्रिस्टल से बनी होते हैं। LCD स्क्रीन पर पिक्सेल को रोशन करने के लिए बैकलाइट का उपयोग करके काम करते हैं। बैकलाइट लिक्विड क्रिस्टल के माध्यम से चमकती है, और इन क्रिस्टल्स का अरेंजमेंट हर पिक्सेल से गुजरने वाली लाइट की मात्रा निर्धारित करती है, जिससे स्क्रीन पर दिखाई देने वाली तस्वीरें बनती हैं।
OLED की तुलना में एलसीडी डिस्प्ले आम तौर पर स्मार्टफोन कंपनियों के लिए सस्ते होते हैं। हालांकि, एलसीडी में लिमिटेड व्यूइंग एंगल होता है और बैकलाइट हमेशा चालू रहने के कारण यह एकदम ब्लैक नहीं दिखाई देते। सरल शब्दों में, जब आपके स्मार्टफोन की स्क्रीन पर डार्क कंटेंट दिखाई दे रहा हो, तब भी बैकलाइट चालू रहती है। यह एमोलेड डिस्प्ले की तुलना में कम एनर्जी एफिशियंट होते हैं।
स्मार्टफोन पर खासतौर से दो तरह के एलसीडी स्क्रीन का उपयोग किया जाता है:
TFT LCD: यह स्मार्टफोन्स में बेहद पॉपुलर है और पहले की पीढ़ी के एलसीडी डिस्प्ले की तुलना में बेहतर इमेज क्वालिटी प्रदान करता है, लेकिन बहुत अधिक बिजली की खपत करता है, जिससे बैटरी बैकअप कम हो जाता है।
IPS LCD: यह थोड़ा महंगा है, इसलिए आमतौर पर केवल हाई-एंड डिवाइस पर ही मिलता है। यह बेहतर व्यूईंग एंगल प्रदान करता है और टीएफटी एलसीडी डिस्प्ले की तुलना में कम बिजली की खपत करता है।
OLED डिस्प्ले क्या हैं और कैसे काम करते हैं?
ओएलईडी का मतलब है ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड। एलसीडी के विपरीत, ओएलईडी डिस्प्ले को अलग से बैकलाइट की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि ओएलईडी डिस्प्ले पर एक पंक्ति में लगे पिक्सेल, इलेक्ट्रिक करंट मिलने पर अपना खुद का प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। और जब कोई पिक्सेल बंद होता है, तो वह एकदम ट्रू ब्लैक कलर प्रोड्यूस करता है क्योंकि इससे कोई प्रकाश उत्सर्जित नहीं होता।
ओएलईडी डिस्प्ले एलसीडी की तुलना में बेहतर कंट्रास्ट, ज्यादा वाइब्रेंट कलर और गहरे काले रंग प्रदान करते हैं। स्मार्टफोन कंपनियों के अनुसार, ये पतले, हल्के और ज्यादा फ्लेक्सिबल भी होते हैं। हालांकि, ओएलईडी डिस्प्ले एलसीडी की तुलना में कंपनियों के लिए ज्यादा महंगे होते हैं। इसलिए, आप हमेशा सस्ते फोन में एलसीडी डिस्प्ले देखते हैं।
OLED दो प्रकार के होते हैं:
PMOLED: पैसिव मैट्रिक्स ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड एक सिंपल कंट्रोल स्कीम का उपयोग करता है, जिसमें डिस्प्ले में हर पंक्ति को सीक्वेंशली कंट्रोल किया जाता है। PMOLED बनाना आसान और सस्ता है लेकिन ये एफिशियंट नहीं हैं और इनकी लाइफ भी आमतौर पर कम होती है। ये आम तौर पर 3 इंच तक के छोटे डिस्प्ले में उपयोग किए जाते हैं।
AMOLED: एक्टिव मैट्रिक्स ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड खासतौर से TFT पर चलते हैं, जिसमें एक स्टोरेज कैपेसिटर होता है और इसलिए यह बड़े डिस्प्ले को सपोर्ट कर सकता है। एमोलेड डिस्प्ले में साइज की कोई लिमिट नहीं होती है और यह ओएलईडी डिस्प्ले के समान ही काम करता है।
AMOLED डिस्प्ले क्या होते हैं?
एमोलेड का मतलब एक्टिव मैट्रिक्स ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड है और यह ओएलईडी डिस्प्ले तकनीक का एक इम्प्रूव्ड वर्जन है, जो हर इंडिविजुअल पिक्सेल को कंट्रोल करने के लिए एक एक्टिव मैट्रिक्स तकनीक का उपयोग करता है। एमोलेड डिस्प्ले हर पिक्सेल को एक्टिवली कंट्रोल करने के लिए एक थिन-फिल्म ट्रांजिस्टर (यानी TFT) का उपयोग करता है। इसका मतलब है कि हर पिक्सेल डिस्प्ले पर सटीक कंट्रोल के लिए खुद से चालू या बंद हो जाता है।
यह ध्यान देने वाली बात यह है कि एमोलेड डिस्प्ले में ओएलईडी तकनीक के बेनिफिट (जैसे वाइब्रेंट कलर और ट्रू ब्लैक कलर) शामिल हैं, लेकिन डार्क कंटेंट दिखाते समय यह कम ऊर्जा की खपत करता है, क्योंकि इंडिविजुअल पिक्सेल को बंद किया जा सकता है।
OLED और AMOLED डिस्प्ले में कौन बेहतर?
फोन डिस्प्ले के लिए एमोलेड को ओएलईडी से बेहतर माना जाता है। इसका कारण यह है कि एमोलेड, ओएलईडी तकनीक पर बेस्ड है, जिसमें एलईडी के कंडक्टर्स के बीच ऑर्गेनिक मटेरियल का उपयोग करने के बजाय इंडिविजुअल पिक्सेल कंट्रोल के लिए ट्रांजिस्टर के एक एक्टिव वायरिंग मैट्रिक्स को शामिल किया जाता है। इसका क्या मतलब है? एमोलेड में अलग-अलग पिक्सेल को चालू या बंद करने और उन्हें जल्दी से स्विच करने की क्षमता है, जो डिस्प्ले के आउटपुट पर सटीक और तेज कंट्रोल प्रदान करता है। ओएलईडी पैनल कई पिक्सेल को रो-वाइज कंट्रोल करता है।
इससे रेगुलर ओएलईडी डिस्प्ले की तुलना में बेहतर इमेज क्वालिटी, एन्हांस्ड कलर एक्युरेसी, डीपर ब्लैक और बेहतर पावर एफिशियंसी मिलती है। एमोलेड स्क्रीन हाई कंट्रास्ट रेशियो प्रदान करते हैं और यहां तक एनर्जी-सेविंग कैपेबिलिटी भी रखते हैं। इसलिए, आपको इस पर बेहतर बैटरी लाइफ मिल सकती है, लेकिन यह चीजें फोन के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर पर भी निर्भर करती है।
LCD और OLED डिस्प्ले में कौन बेहतर?
एलसीडी पिक्सेल को रोशन करने के लिए बैकलाइट का उपयोग करते हैं, जबकि OLED और एमोलेड डिस्प्ले में सेल्फ-एमिसिव पिक्सेल होते हैं जो इंडिविजुअली से प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। OLED और एमोलेड डिस्प्ले ज्यादातर वाइब्रेंट कलर्स और ट्रू ब्लैक कलर के साथ बेहतर इमेज क्वालिटी प्रदान करते हैं, लेकिन इनका प्रोडक्शन महंगा हो सकता है। दूसरी ओर, एलसीडी ज्यादा कॉस्ट इफेक्टिव हैं लेकिन इसकी विजुअल क्वालिटी OLED से बेहतर नहीं है।
pOLED डिस्प्ले क्या होता है?
pOLED का मतलब है प्लास्टिक ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड। यह OLED डिस्प्ले तकनीक का एक प्रकार है जो पारंपरिक ग्लास सब्सट्रेट के बजाय प्लास्टिक सब्सट्रेट का उपयोग करता है। अब, सब्सट्रेट क्या है? यह डिस्प्ले या चिप जैसे स्ट्रक्चर की बेस लेयर है। pOLED डिजाइन में ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी के लिए प्लास्टिक का उपयोग करता है और कंपनियों को कर्व्ड या फ्लेक्सिबल डिस्प्ले बनाने में मदद करता है। इसका उपयोग फोल्डेबल फोन में किया जा सकता है। मोटोरोला के कुछ फोन में भी pOLED है, शायद इसलिए क्योंकि यह डिस्प्ले लाइटवेट है और कंपनियों को स्लिम डिजाइन वाला फोन पेश करने में मदद करता है। हालांकि, pOLED डिस्प्ले में कुछ अन्य OLED तकनीकों की तुलना में थोड़ी कम इमेज क्वालिटी होती है।
Super AMOLED Plus डिस्प्ले में क्या खास?
सुपर एमोलेड प्लस डिस्प्ले, एमोलेड डिस्प्ले के समान ही है, बस इसमें थोड़ा अंतर है। इस तकनीक को सैमसंग ने थोड़ा बेहतर एक्पीरियंस प्रदान करने के लिए डेवलप किया गया है। सुपर एमोलेड प्लस डिस्प्ले में स्क्रीन पर सीधे एक इंटीग्रेटेड टच सेंसर होता है, जिससे अलग से टच-सेंसिटिव लेयर की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। यह इंटीग्रेशन स्क्रीन की मोटाई को कम करता है और डिस्प्ले की क्लैरिटी को बढ़ाता है।
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