'जो हराएगा उससे करूंगी शादी', भारत की पहली महिला पहलवान Hamida Banu को गूगल ने दी श्रद्धांजलि
Google ने आज (4 मई 2024) एक खूबसूरत और कलरफुल डूडल बनाकर देश की पहली महिला पहलवान Hamida Banu को श्रद्धांजलि दी है।
भारत में आज साक्षी मलिक और विनेश फोगाट जैसी कई महिला रेसलर्स हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है, लेकिन आज हम आपको भारत की पहली महिला पहलवान के बारे में बता रहे हैं। हम बात कर रहे हैं हमीदा बानो (Hamida Banu) की, जिन्हें Google ने आज एक खूबसूरत और कलरफुल डूडल के जरिए श्रद्धांजलि दी है। इस डूडल को बेंगलुरु की आर्टिस्ट दिव्या नेगी ने बनाया है। डूडल में बानो को गुलाबी, पोल्का-डॉटेड पोशाक में मुठ्ठी बांधकर लड़ने की स्थिति में दिखाया गया है।
बता दें कि बानो ने 1940 और 50 के दशक में रेसलिंग में एंट्री की थी, जब इस खेल में पुरुषों का दबदबा था। भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान हमीदा बानो, एक ऐसा नाम हैं जो भारतीय कुश्ती के क्षेत्र में सबसे अलग है। उन्होंने यह शर्त रखी थी कि जो उन्हें कुश्ती में हराएगा वो उससे शादी करेंगी। चलिए आज जानते हैं उनके बारे में...
आज ही के दिन मिली थी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
गूगल ने लिखा है कि "1954 में आज ही के दिन, बानो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी। दरअसल आज ही के दिन कुश्ती के मैच में उन्होंने प्रसिद्ध पहलवान बाबा पहलवान को केवल 1 मिनट और 34 सेकंड में हरा दिया था, जिसके बाद बाबा ने पेशेवर कुश्ती से संन्यास ले लिया था।"
बानो का जन्म 90 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। पहलवानों के परिवार में पैदा होने के कारण वह कुश्ती देखते हुए बड़ी हुईं। अपने करियर के दौरान, उन्होंने 1940 और 1950 के दशक के बीच 300 से अधिक प्रतियोगिताएं जीतीं।
जो मुझे हराएगा उससे शादी करूंगी
बानो ने पुरुष पहलवानों को खुली चुनौती दी कि जो पहले उन्हें हरा देगा, वही उनसे शादी करेगा। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। कहा जाता है कि उन्होंने पंजाब और बंगाल के दिग्गज पहलवानों को भी मात दी थी। इसके बाद, उनका नाम सुनते ही पहलवान कोई न कोई बहाना बनाकर मैच से पीछे हट जाते थे।
गामा पहलवान को भी दी थी चुनौती
हमीदा इतनी ताकतवर थीं कि वे उस समय के मशहूर गामा पहलवान से भी लड़ने के लिए तैयार हो गई थीं, लेकिन आखिरी समय में गामा पहलवान में यह कहते हुए लड़ने से माना कर दिया कि वो एक लड़की से कुश्ती नहीं लड़ेंगे।
रोज 6 लीटर दूध और 1 किलो बादाम
रिपोर्ट के मुताबिक, बानो अपनी डाइट को लेकर भी चर्चा में रहती थीं। उनका डाइट प्लान इतना तगड़ा था, जिसे फॉलो करना हर किसी के लिए संभव ही नहीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बानो की एक दिन की डाइट में 6 लीटर दूध, 1.8 लीटर फ्रूट जूस, 2.8 लीटर सूप, एक देसी मुर्गा, एक किलो मटन, एक किलो बादाम, आधा किलो घी, दो प्लेट बिरयानी और 6 अंडे शामिल थे।
आर्थिक तंगी में गुजरा आखिरी समय
बानो कई अंतरराष्ट्रीय पहलवानों को भी हरा चुकी थीं। साल 1954 में उन्होंने रूसी महिला पहलवान वेरा चिस्टिलिन को दो मिनट से भी कम समय हरा दिया था। इसके साथ ही उन्होंने उसी साल यह ऐलान किया कि अब वे भारत से बाहर यूरोप जाकर कुश्ती लड़ेंगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बानू अचानक रेसलिंग की दुनिया से गायब हो गईं।
कहा जाता है कि हमीदा के कोच सलाम पहलवान को उनका यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने का फैसला पसंद नहीं आया और उन्होंने हमीदा की खूब पिटाई की। यहां तक कि हमीदा का एक पैर टूट गया था। कई सालों तक वह लाठी के सहारे चलती थी। इसके बाद हमीदा कुश्ती छोड़कर एक गुमनाम जिंदगी जीने लगी। बानो अपना दूध का व्यवसाय करती रहीं। आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने कई दिनों उन्होंने सड़क किनारे सामान भी बेचा। इसके बाद, साल 1986 में उनकी मौत हो गई।
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