क्यों 'मासूम' का सीक्वल नहीं बनाते शेखर कपूर? सोशल मीडिया पर शेयर किया फ्लाइट का किस्सा
- Masoom Movie Part 2: शेखर कपूर की फिल्म 'मासूम' के सेकेंड पार्ट का कुछ लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं लेकिन दिग्गज निर्देशक इस फिल्म को लेकर खामोश रहे हैं। जब एक फैन उनके पास आकर बैठ गई तो वह भी सोच में पड़ गए।
साल 1983 में आई फिल्म 'मासूम' को शेखर कपूर की कुछ सबसे कल्ट और क्लासिक फिल्मों में गिना जाता है। इस फिल्म को IMDb पर 8.4 रेटिंग मिली हुई है और आप इसे OTT प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर देख सकते हैं। सोशल मीडिया पर कई बार इस फिल्म का सीक्वल बनाए जाने को लेकर खबरें आती रही हैं। फिल्म के निर्देशक शेखर कपूर के साथ हाल ही में अजीब सिचुएशन बन गई जब उनकी इस फिल्म की एक फैन फ्लाइट में उनके पास आकर बैठ गई।
जब शेखर के पास आकर बैठ गई फैन
शेखर कपूर ने यह वाकया सोशल मीडिया पर शेयर किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे जब उस फैन ने फिल्म 'मासूम' के बारे में बात करना शुरू किया तो वह कुछ देर के लिए फ्रीज हो गए और सोच में पड़ गए। शेखर कपूर ने फैन के साथ हुई बातचीत को उन्हीं शब्दों में इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। उन्होंने लिखा कि आज जब फ्लाइट में था जब कोई आकर मेरे पास बैठ गई। काश वो ना बैठी होती।
फैन ने कहा- हर बार देखते हुए रो देती हूं
शेखर कपूर ने लिखा, "इसलिए नहीं कि उसने मुझसे अच्छा बर्ताव नहीं किया, बल्कि उसके पूछे गए सवालों के चलते।" इसके आगे दिग्गज फिल्म डायरेक्टर ने फैन के शब्दों में ही उसकी बात लिखी, "सर मैं महीने में कम से कम एक बार 'मासूम' जरूर देखती हूं। हर बार मैं उसे देखते हुए रो देती हूं, मुझे इसमें एक बिलकुल अलग कहानी दिखाई देती है।"
जब पूछा सीक्वल को लेकर यह सवाल
इस पर शेखर उसे शु्क्रिया कहा तो फैन ने जवाब दिया, "मैंने सुना है कि आप सीक्वल बना रहे हैं, मैंने टाइटल भी पढ़ा था... मासूम.. द नेक्स्ट जेनरेशन। हैं ना.?" शेखर ने लिखा, "मैं फ्रीज हो गया... क्योंकि पता था कि आगे क्या आने वाला है।" आगे फैन ने उनसे पूछा, "कैसे सर? कैसे कोई फिल्म की भावनात्मक शक्ति को बीट कर सकता है? कैसे कोई उस फिल्म की मासूमियत से आगे कुछ कर सकता है?"
शेखर कपूर ने लिखी दिल की बात
शेखर कपूर ने अपनी इंस्टा पोस्ट में इस किस्से के बारे में बताते हुए अपने मन की बात लिखी, "अब मैं परेशान हो रहा था... यह वो चीज है जिससे मुझे खुद को भी बहुत डर लगता है.. मैं फिर वैसा सादापन कहां से लाऊं?" फैन ने उनसे पूछा, "सर वो सीन जिसमें राहुल भइया हथौड़े से अपनी उंगली चोटिल कर लेते हैं.. और फिर शबाना आजमी के पास दौड़कर जाते हैं और उन्हें 'मां' कहकर पुकारते हैं। और फिर वो उस पर चिल्लाती हैं। सर हर बार जब वो सीन मैं देखता हूं तो मेरा दिल टूट जाता है।"
शेखर कपूर ने लिखा, "अब मुझे पता है कि क्यों मासूम इसके सादापन की वजह से इतनी खूबसूरत फिल्म थी। मैंने कभी भी फिल्ममेकिंग को लेकर कुछ पढ़ाई नहीं की है.. ना कभी किसी को असिस्ट किया है.. तो फिल्म बनाने को लेकर मेरी क्राफ्ट बिलकुल जीरो थी। मासूम पूरी तरह से मेरे भीतर से आई चीजों पर बनी, प्योर इमोशन्स। कोई क्राफ्ट नहीं।"
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उन्होंने लिखा, "यह वो चीज है जिसकी मुझे जरूरत है दोबारा उस फिल्म को बनाने के लिए... ना कि किसी आर्ट की। क्राफ्ट कहीं भावनाओं और मन के सहज भावों पर हावी ना हो जाए। कभी भी किसी इमोशन को फोर्स मत कीजिए... इन्हें होने दीजिए.. भावनाओं को बहने दीजिए.. फिल्म को अपने आप को पा लेने दीजिए। इसे बहने दो शेखर... इसे बहने दो... मैंने अपने आप से कहा। और फिर आराम से सांस लेने लगा।"
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