उद्धव की काट होंगे राज ठाकरे? महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए क्यों है जरूरी, जानिए
मनसे इस वक्त राजनीतिक गुमनामी में जी रही है। राज्य में पार्टी का सिर्फ एक विधायक है। इतना ही नहीं संगठन भी उतना ताकतवर नजर नहीं आता। सवाल यह है कि राज बीजेपी को कैसे फायदा दे सकते हैं।
महाराष्ट्र में इस बार लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना को साथ लेने के बावजूद बीजेपी की नजर राज ठाकरे की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) पर भी है। भाजपा आलाकमान का लोकसभा चुनाव से पहले मनसे चीफ राज ठाकरे से मिलना इसलिए भी रोचकता बढ़ा रहा है, कि कहीं वो राज्य में उद्धव की काट तो नहीं! क्योंकि मनसे इस वक्त राजनीतिक गुमनामी में जी रही है। राज्य में पार्टी का सिर्फ एक विधायक है। संगठन भी उतना ताकतवर नजर नहीं आता।
मनसे चीफ राज ठाकरे सोमवार रात दिल्ली पहुंचे थे और मंगलवार को उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। राज ठाकरे की शाह से मुलाकात के बाद चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है कि उनकी पार्टी एनडीए में शामिल हो सकती है और बीजेपी के साथ लोकसभा में चुनावी बिगुल फूंक सकती है। मनसे चीफ ने दिल्ली पहुंचने पर बयान दिया कि उन्हें दिल्ली आने के लिए कहा गया था, इसलिए आए। अब देखते हैं आगे क्या होता है?
बैठक दिल्ली में, मुंबई में हलचल बढ़ी
मनसे के वरिष्ठ नेता बाला नंदगांवकर ने मुंबई में कहा कि दोनों नेताओं के बीच लोकसभा चुनाव पर बातचीत "सकारात्मक" रही है और मामले में अधिक जानकारी एक या दो दिन में दे दी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि मनसे महाराष्ट्र में लोकसभा की तीन सीटें चाह रही है- दक्षिण मुंबई, शिरडी और नासिक।
मनसे को साथ लाने की वजह क्या है?
बीजेपी मनसे से नजदीकी क्यों बढ़ा रही है? मामले की जानकारी रखने वाले बताते हैं कि पिछली बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शिवसेना के साथ चुनाव लड़ा था और राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 41 पर जीत हासिल की थी। कुछ महीनों बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी और शिवसेना जीते लेकिन, सत्ता हासिल करने के कुछ समय बाद दोनों दलों में मतभेद खुलकर सामने आए और उद्धव ठाकरे ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया था। इस तरह महाराष्ट्र में नई सरकार आई।
जानकार बताते हैं कि बीजेपी जानती है कि उद्धव ठाकरे की पार्टी अगर महाराष्ट्र में सीटें जीतती है तो यह उनके लिए बूस्ट का काम करेगी। इसलिए चुनाव में उद्धव को काउंटर करने के लिए बीजेपी को राज ठाकरे की जरूरत है। इसके अलावा राज ठाकरे पीएम नरेंद्र मोदी के प्रशंसक रहे हैं। राज ठाकरे कई मौकों पर भाजपा और पीएम मोदी की तारीफ करते रहे हैं। भाजपा और राज ठाकरे समान विचारधारा वाले दल हैं, ऐसे में उनका साथ आना आश्चर्य की बात तो नहीं है।
बीजेपी को लगता है कि शिवसेना के प्रति मजबूत आस्था रखने वाले कोर मराठा मतदाता अभी भी उद्धव को समर्थन करते हैं। शिंदे के पाला बदलने के बावजूद उद्धव उतने कमजोर नहीं हुए हैं। ऐसे में अगर राज ठाकरे जैसा चेहरा एनडीए में मिल जाता है तो महाराष्ट्र में बीजेपी अपना गणित साध सकती है।
अजित और शिंदे का साथ पर राज ठाकरे हैं जरूरी
2022 में, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने उद्धव के दल में विद्रोह किया और शिवसेना के दो फाड़ हो गए। ज्यादातर विधायकों और सांसदों का साथ शिंदे को मिला और कमजोर खेमा उद्धव के पास रह गया। शिंदे को फायदा यह भी मिला कि शिवसेना का नाम और चिह्न उनके पास आ गया।
हाल ही में एनसीपी में भी यही हुआ। शरद पवार की पार्टी एनसीपी को तोड़कर भतीजे अजित पवार ने एनसीपी के दो हिस्से कर दिए। चुनाव आयोग ने विधायकों के संख्या बल को देखते हुए असली एनसीपी अजित को थमा दी। अजित और शिंदे दोनों बीजेपी के साथ गठबंधन में है। बावजूद इसके बीजेपी राज ठाकरे को भी साथ लाना चाह रही है। इससे पता लगता है कि उद्धव की चुनाव में काट के लिए राज ठाकरे जरूरी हथियार हो सकते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।