बेटा कर्नाटक में मंत्री, अब दामाद को भेजना चाहते हैं लोकसभा, मल्लिकार्जुन खरगे ही तोड़ेंगे नियम!
Lok Sabha Election 2024: खरगे कर्नाटक की गुलबर्गा संसदीय सीट से दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2019 में वह ये सीट हार गए थे। उसके बाद वह राज्यसभा पहुंचे। फिलहाल खरगे राज्यसभा में नेता विपक्ष हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष और INDIA अलायंस के चेयरपर्सन मल्लिकार्जुन खरगे के लोकसभा चुनाव लड़ने पर संकट के बाद मंडरा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, खरगे 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। अगर खरगे ये चुनाव नहीं लड़ते हैं तो हालिया दिनों में ऐसा पहली बार होगा, जब कांग्रेस के किसी अध्यक्ष ने चुनाव लड़ने से इनकार किया हो। अगर ऐसा होता है तो यह पार्टी और इंडिया अलायंस के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि खरगे की सीट गुलबर्गा से उनके दामाद राधाकृष्णन दोड्डामणि को उतारा जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो खरगे पार्टी के उस नियम को खुद ही तोड़ेंगे, जिसमें कहा गया था कि एक परिवार के एक ही सदस्य को सांसद या विधायक का टिकट दिया जाएगा। हालांकि, इसकी काट में दामाद को दूसरे परिवार का सदस्य बताया जा सकता है। खरगे के बेटे प्रियांग खरगे कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार में मंत्री हैं। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि प्रियांक लोकसभा चुनाव लड़ने को इच्चुक नहीं हैं। 2022 में उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में पार्टी ने इस नियम को अपनाने पर खूब चिंतन-मंथन किया था।
मल्लिकार्जुन खरगे कर्नाटक की गुलबर्गा संसदीय सीट से दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2019 में वह ये सीट हार गए थे। उसके बाद वह राज्यसभा के जरिए संसद पहुंचे। फिलहाल खरगे राज्यसभा में नेता विपक्ष हैं और उनका कार्यकाल अभी चार साल बचा हुआ है। 81 वर्षीय खरगे दलित समुदाय से आते हैं। वह लोकसभा में भी नेता विपक्ष रह चुके हैं। मनमोहन सिंह की सरकार में वह रेल मंत्री और श्रम एवं रोजगार मंत्री भी रह चुके हैं।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पिछले हफ्ते तक गुलबर्गा सीट पर उम्मीदवारों के नामों की चर्चा में खरगे का नाम शामिल था लेकिन अब दावा किया जा रहा है कि खरगे इसलिए चुनाव लड़ने से खुद को किनारे कर रहे हैं क्योंकि वह किसी एक निर्वाचन क्षेत्र तक अपने को सीमित नहीं रखना चाहते हैं बल्कि पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ लड़ाई में पूरे देश पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और देशभर में बतौर कांग्रेस अध्यक्ष चुनावी रैलियों को संबोधित करना चाहते हैं।
हाल के वर्षों में, सोनिया गांधी और राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष रहते हुए दोनों ने चुनाव लड़ा और जीता है। हालांकि, 2019 के चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी में स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था। दूसरी तरफ, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इस साल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। 2014 और 2019 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह और अमित शाह ने भारी मतों से जीत हासिल की थी।
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