मोहम्मद अजरुद्दीन को अब क्यों हो रहा क्रिकेट खेलने का अफसोस? स्टैंड का विवाद क्या है? जानें पूरा मामला
भारत के दिग्गज पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के लोकपाल के एक ताजा फैसले से आहत हैं। इतना आहत हैं कि उन्होंने कहा है कि उन्हें कभी-कभी अफसोस होता है कि क्रिकेट खेला ही क्यों। आखिर पूरा मामला क्या है, आइए समझते हैं।

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और अपने दौर के धाकड़ बल्लेबाज मोहम्मद अजरुद्दीन को अब इस बात का अफसोस है कि उन्होंने क्रिकेट खेला ही क्यों। टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तानों में शुमार अजहरुद्दीन को आखिर यह अफसोस अब क्यों हो रहा है? इसकी वजह है हैदराबाद के राजीव गांधी स्टेडियम में उनके नाम से बने स्टैंड से उनके नाम को हटाने का फरमान।
अजहरुद्दीन इसे अपमान बता रहे हैं। बीसीसीआई से 'खेल का सम्मान' बचाने की गुहार लगा रहे हैं। हाई कोर्ट में कानूनी लड़ाई शुरू करने का दम भर रहे हैं। आखिर किसने दिया है स्टैंड से अजरुद्दीन के नाम को हटाने का फरमान? आदेश में और क्या-क्या है? विवाद आखिर है क्या है और क्यों है? अजहर का क्या कहना है? आइए सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं।
हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के ओम्बुड्समैन का फैसला
क्रिकबज की एक हालिया न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (HCA) को आदेश मिला है कि शहर के राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम के नॉर्थ पवैलियन स्टैंड से मोहम्मद अजरुद्दीन का नाम हटाए। यह आदेश शनिवार को आया है और इसे दिया है जस्टिस (रिटायर्ड) वी ईश्वरैया ने। वह HCA के एथिक्स ऑफिसर और ओम्बुड्समैन यानी लोकपाल हैं।
आदेश में और क्या-क्या?
जस्टिस ईश्वरैया ने अपने आदेश में एचसीए को न सिर्फ स्टैंड से अजरुद्दीन का नाम हटाने को कहा है बल्कि स्टेडियम के टिकटों से भी उनका नाम हटाने को कहा है। उन्होंने हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि आगे से किसी भी टिकट पर मोहम्मद अजहरुद्दीन का नाम नहीं होना चाहिए।
हैदराबाद में होने वाले मैचों के टिकट से हटेगा अजहर का नाम
राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम में आईपीएल के मौजूदा सीजन के अभी 5 मैच और होने हैं। इनमें तीन मैच तो सनराइजर्स हैदराबाद को बतौर मेजबान खेलने हैं। वहीं क्लालिफायर 1 और एलिमिनेटर जैसे अहम मैच भी यहां होने हैं। लोकपाल के आदेश के बाद अब इन मैचों के लिए जारी होने वाले टिकट पर मोहम्मद अजरुद्दीन का नाम नहीं होगा।
HCA का अध्यक्ष रहते अजहर को मनमाने फैसले का पाया दोषी
मोहम्मद अजहरुद्दीन एचसीए के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बिना तय प्रक्रिया का पालन किए खुद ही और खुद के पक्ष में फैसले लिए।
जस्टिस ईश्वरैया ने अपने आदेश में कहा है कि यह मामला पूरी तरह से हितों के टकराव का है। उन्होंने अजहर के खिलाफ शिकायत को सही पाया है। 25 पेज के आदेश में उन्होंने कहा है, 'आम सभा ने इस फैसले (अजहर के नाम पर स्टैंड) का कोई अनुसमर्थन/संशोधन नहीं किया है, जो प्रतिवादी संख्या 1 (अजहरुद्दीन) के खिलाफ मामले को और मजबूत करता है। प्रतिवादी संख्या-1 ने खुद को लाभ पहुंचाने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर खुद को फायदा पहुंचाया है। यह साफ तौर पर हितों के टकराव का मामला है।
किसकी शिकायत पर फैसला?
एचसीए के लोकपाल जस्टिस वी ईश्वरैया को लॉर्ड्स क्रिकेट क्लब की तरफ से एक औपचारिक शिकायत मिली थी। शिकायत में गंभीर आरोप लगाया गया था कि एचसीए का अध्यक्ष रहते अजहर ने निष्पक्षता के सिद्धांत को धता बताते हुए खुद को फायदा पहुंचाने वाले फैसले लिए। क्लब ने नॉर्थ पवैलियन से अजहरुद्दीन के नाम को हटाकर उसे वीवीएस लक्ष्मण के सम्मान में उनके नाम पर रखने की भी गुहार लगाई है।
अजहर पर हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम के नॉर्थ स्टैंड से वीवीएस लक्ष्मण का नाम हटाकर उस पर अपना नाम लिखवाने का भी आरोप है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि 99 टेस्ट और 334 एकदिवसीय मैच खेलने वाले अजहर ने दिसंबर 2019 में नॉर्थ स्टैंड का नाम अपने नाम पर रखने के प्रस्ताव को पारित कराने के लिए पूर्व एचसीए अध्यक्ष के रूप में शीर्ष परिषद की बैठक में बैठकर एचसीए के नियमों का उल्लंघन किया। एचसीए संविधान के अनुसार किसी प्रस्ताव को आम सभा (एजीएम) की तरफ से मंजूरी मिलना जरूरी है।
अजहर पर और क्या-क्या आरोप?
अजहर को सितंबर 2019 में एचसीए अध्यक्ष चुना गया था और उनका कार्यकाल सितंबर 2023 में समाप्त हो गया था। उनके विवादास्पद कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2023 में संघ के मामलों को देखने के लिए जस्टिस एल नागेश्वर राव की एक सदस्यीय समिति नियुक्त की थी।
विपक्षी गुट ने आरोप लगाया कि अजहरुद्दीन से जुड़े लोग आयु वर्ग की टीमों में चयन घोटाले में शामिल थे। पूर्व कप्तान ने खुद पर लगे इस आरोप का पुरजोर खंडन किया है।
मुझे कभी-कभी क्रिकेट खेलने का अफसोस होता है: अजहर
मोहम्मद अजहरुद्दीन ने खुद को बेगुनाह बताते हुए लोकपाल के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने यह भी दावा किया कि लोकपाल का कार्यकाल 18 फरवरी 2025 को खत्म हो गया था, इसलिए यह आदेश अमान्य है।
फैसले से दुखी अजहर ने गल्फ न्यूज से बातचीत में कहा, 'मुझे यह कहते हुए बहुत तकलीफ हो रही है लेकिन कभी-कभी मुझे क्रिकेट खेलने का अफसोस होता है। यह देखना दिल तोड़ने वाला है कि आज ऐसे लोग खेल से जुड़े फैसले ले रहे हैं जिन्हें क्रिकेट की बुनियादी समझ तक नहीं है। यह खेल का अपमान है।' उन्होंने बीसीसीआई से मामले में दखल देने की गुजारिश की है।
यह शर्म की बात, आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट जाऊंगा: अजहर
मोहम्मद अजहरुद्दीन ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा है कि वह लोकपाल के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख करेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं निश्चित रूप से कानूनी सहारा लूंगा और इस आदेश पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में अपील करूंगा। यह शर्म की बात है कि एक भारतीय कप्तान का नाम हटाने के लिए कहा जा रहा है।’
लोकपाल के आदेश की वैधता पर उठाए सवाल
अजहर ने पीटीआई से बातचीत में लोकपाल के आदेश की वैधता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उनका कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘संघ के उपनियमों के अनुसार, लोकपाल/आचरण अधिकारी का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इस मामले में लोकपाल का कार्यकाल 18 फरवरी 2025 को समाप्त हो गया था और उस अवधि के बाद पारित कोई भी आदेश अमान्य है।’
उन्होंने कहा, ‘उन्हें सेवा विस्तार नहीं मिला है जो केवल एजीएम के दौरान दिया जा सकता है जो नहीं हुआ है। तो फिर उन्होंने आदेश कैसे पारित किया।’
'करप्शन के खिलाफ मेरे कड़े रुख की वजह से बनाया जा रहा निशाना'
62 वर्ष के पूर्व कप्तान ने आरोप लगाया कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि कुछ एचसीए अधिकारी उनके अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान भ्रष्ट आचरण में लिप्त नहीं हो सके।
स्टैंड से लक्ष्मण का नाम हटाने के आरोप पर क्या बोले?
अजहर ने उस आरोप को भी खारिज किया है कि उन्होंने स्टेडियम में वीवीएस लक्ष्मण के नाम पर बने स्टैंड का नाम बदलकर खुद के नाम पर कर दिया। उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘क्या मैं मूर्ख हूं कि लक्ष्मण जैसे दिग्गज का नाम स्टैंड से हटा दूं जो हमारे क्षेत्र से 100 से अधिक टेस्ट मैच खेलने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं? नॉर्थ स्टैंड में पवैलियन का नाम लक्ष्मण के नाम पर है और यह अभी भी वहां है, आप जांच कर सकते हैं।’ (एजेंसियों के इनपुट के साथ)