उम्र के साथ बल्लेबाजी क्यों कठिन हो जाती है? टीम इंडिया के पूर्व कोच ने सचिन का उदाहरण देकर बताया कारण
- उम्र के साथ बल्लेबाजी करना क्यों कठिन हो जाता है? टीम इंडिया के पूर्व कोच ग्रेग चैपल ने इसका कारण बताया और सचिन तेंदुलकर का उदाहरण भी दिया कि उनके साथ भी ये समस्या थी, लेकिन वे इससे आगे बढ़ गए।
टीम इंडिया के दो दिग्गज बल्लेबाज इस समय रन बनाने के लिए तरस रहे हैं। ये कोई और नहीं, बल्कि एक टीम के मौजूदा कप्तान रोहित शर्मा हैं और दूसरे पूर्व कप्तान विराट कोहली। ये दोनों बल्लेबाज 36 की उम्र को पार कर चुके हैं। ऐसे में क्या उम्र एक समस्या इनकी बल्लेबाजी में बन गई है? इस पर ऑस्ट्रेलिया की टीम के पूर्व कप्तान और टीम इंडिया के हेड कोच रहे ग्रेग चैपल ने कहा है कि विराट कोहली और रोहित शर्मा को अगर अपनी खोई प्रतिष्ठा हासिल करनी है तो उन्हें अपने युवा दिनों के जोश और जुनून को फिर से जगाना होगा।
भारत को हाल ही में 3-0 से न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में करारी हार मिली। अब टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी खेलनी है। दोनों ही खिलाड़ियों के लिए ये महत्वपूर्ण है। ये सीरीज 22 नवंबर से पर्थ में शुरू होगी। इस सीरीज, रोहित शर्मा और विराट कोहली की फॉर्म और सचिन के साथ हुई एक बातचीत का जिक्र ग्रेग चैपल ने सिडनी मार्निंग हेराल्ड में लिखे अपने कॉलम में कहा कि सचिन तेंदुलकर को उन्होंने 2005 में उम्र बढ़ने के साथ खिलाड़ियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया था।
तेंदुलकर ने चैपल के विचार जानने के लिए उनसे पूछा,‘‘ग्रेग उम्र बढ़ने के साथ बल्लेबाजी करना मुश्किल क्यों हो जाता है, जबकि उम्र के साथ ये आसान होना चाहिए। इसका जिक्र करते हुए चैपल ने लिखा है,‘‘मैंने उनसे कहा कि उम्र बढ़ने के साथ पहले की तरह बल्लेबाजी करने के लिए मानसिक जरूरतें बढ़ जाती हैं। बल्लेबाजी करना इसलिए मुश्किल हो जाता है, क्योंकि आपको अहसास हो जाता है कि इस स्तर पर रन बनाना कितना मुश्किल है और एकाग्रता बनाए रखना कितना कठिन है, जो कि सफल होने के लिए आवश्यक हैं।’’
चैपल ने आगे लिखा, ‘‘उम्र बढ़ने के साथ आपकी आंखों की रोशनी या रिफ्लेक्स कम नहीं होते, बल्कि वह एकाग्रता है, जिसे बरकरार रखना मुश्किल हो जाता है। जब आप युवा होते हैं तो आपके दिमाग की एकाग्रता रन बनाने पर होती है। उम्र बढ़ने के साथ विरोधी टीम भी आपकी कमजोरी को जानने लगते हैं तथा आप परिस्थितियों को लेकर अधिक सजग हो जाते हैं।’’ चैपल ने कोहली, रोहित और ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ को इस खेल के दिग्गज करार देते हुए कहा,‘‘जब आप युवा होते हैं तो परिस्थितियों और मैच की स्थिति को लेकर चिंता नहीं करते। आपका ध्यान केवल रन बनाने पर लगा होता है।’’
चैपल ने तेंदुलकर को समझाया था, ‘‘अगर आप उसी तरह खेलना चाहते हैं जैसे आपने एक युवा खिलाड़ी के रूप में खेला था, तो आपको उस दृष्टिकोण और विचार प्रक्रियाओं को फिर से जागृत करना होगा जो एक युवा खिलाड़ी के रूप में आपके पास थी। उम्रदराज खिलाड़ी के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है।’’ चैपल ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली श्रृंखला में खिलाड़ियों के कौशल के साथ उनकी मानसिक मजबूती और दमखम की भी परीक्षा होगी।
उन्होंने कहा,‘‘प्रत्येक खिलाड़ी को अपने युवा दिनों की तरह के जोश और जुनून को जागना होगा। इससे पता चलता है कि रोहित, कोहली और स्मिथ को इस श्रृंखला में किस तरह की चुनौती का सामना करना है। वे जानते हैं कि विरोधी टीम ने उनकी तकनीक और कमजोरी का अच्छी तरह से आकलन किया है और उन्होंने आपकी छोटी से छोटी कमजोरी का फायदा उठाने के लिए रणनीति तैयार कर ली है।"
चैपल ने कोहली और रोहित को लेकर कहा, "कोहली को अपने जोश, जुनून और हाई स्टैंडर्ड स्थापित करने के लिए जाना जाता है। उनके हाल के खराब प्रदर्शन ने हर किसी को परेशान किया है। उन्हें अब धैर्य और एकाग्रता बनाए रखने पर काम करना होगा। जहां तक रोहित का सवाल है तो उन्हें अपनी बल्लेबाजी और कप्तानी के दबाव के बीच संतुलन बनाना होगा। अगर भारत को अच्छा प्रदर्शन करना है तो उन्हें संतुलित आक्रामकता अपनानी होगी। रोहित, कोहली और स्मिथ के लिए असली जंग विरोधी टीम से नहीं बल्कि समय के साथ है।"
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