सुनील गावस्कर का BCCI और टीम इंडिया को संदेश- टेस्ट क्रिकेट की इन कमियों को नजरअंदाज ना करें
- पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने टीम इंडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि सफेद गेंद के प्रदर्शन से हमें टेस्ट क्रिकेट की कमियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगले कुछ महीने व्हाइट बॉल क्रिकेट के होने वाले हैं।
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को समाप्त हुए 10 दिन हो चुके हैं, लेकिन इस अभी तक इस पर बात हो रही है, क्योंकि भारतीय टीम 10 साल के बाद इस सीरीज को हारी। भारत को पांच मैचों की सीरीज में पहला मैच जीतने के बाद 3-1 से हार का सामना करना पड़ा। इसके लिए रिव्यू मीटिंग भी बीसीसीआई ने की। जिम्मेदारों से सवाल पूछे गए और बाद में कुछ टीम से जुड़े नियमों में भी बदलाव की बात सामने आई। इस बीच सुनील गावस्कर ने बीसीसीआई को संदेश दिया है कि भारतीय टीम फिर से रॉकस्टार तभी बन सकती है, जब कुछ कड़े फैसले लिए जाएं।
सुनील गावस्कर ने स्पोर्टस्टार को लिखे अपने कॉलम में कहा, "लगातार दो टेस्ट सीरीज बुरी तरह हारने के कारण, बाकी अंतरराष्ट्रीय सीजन के बारे में एक नीरस भावना है। नई सीरीज की प्रत्याशा में जो उत्साह आमतौर पर होता है, वह इस बार नहीं दिख रहा है। यहां तक कि मैदान पर जो उदासीनता दिखती थी, वह प्रशंसकों तक भी पहुंच गई है। भारतीय क्रिकेट को एक नई चुनौती की जरूरत है और कुछ नए प्रशासकों के आने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनौती का सामना कैसे किया जाता है।"
उन्होंने आगे लिखा, "ऐसी स्थिति में सबसे पहला निर्णय यह लेना है कि क्या तत्काल भविष्य को देखना है या भारतीय क्रिकेट को फिर से कैसे गति देना है, इस बारे में दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना है। अगले कुछ महीने सीमित ओवरों के क्रिकेट और आईपीएल के इर्द-गिर्द ही रहने वाले हैं। सफेद गेंद के प्रदर्शन से हमें टेस्ट क्रिकेट की कमियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इन पर भी ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए नई साइकिल जून के मध्य से इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के साथ शुरू हो रही है।"
पूर्व महान बल्लेबाज ने आगे लिखा, "ऑस्ट्रेलिया में जो गलतियां की गईं, उन्हें दोहराया नहीं जाना चाहिए। टीम को इंग्लैंड में एक ग्रुप में पहुंचना चाहिए, न कि चार बैचों में, जैसा कि ऑस्ट्रेलिया में किया गया था। ऑस्ट्रेलिया में पहले दो दिनों तक टीम कप्तान, उप-कप्तान और कोच के बिना थी। इससे घरेलू टीम को किस तरह का संदेश जाता है? यह एक ऐसी टीम है जो बिना किसी लीडरशिप ग्रुप के आई है। निश्चित रूप से बीसीसीआई ऐसा दोबारा नहीं होने देगा। हां, चोट से उबरने वाले कुछ खिलाड़ी बाद में टीम में शामिल हो सकते हैं, लेकिन लीडर्स को सबसे पहले पहुंचना चाहिए, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि टीम लड़ाई के लिए तैयार है।"
सुनील गावस्कर ने ये भी दलील दी है कि इंग्लैंड में भारत को प्रैक्टिस मैच खेलने चाहिए। उन्होंने कहा, "अब जबकि भारत ने WTC फाइनल के लिए क्वॉलिफाई नहीं किया है तो टीम के पास कुछ अभ्यास मैच खेलकर खुद को ढालने के लिए एक अतिरिक्त सप्ताह है। इंग्लैंड की परिस्थितियों का मतलब है कि गेंद हवा में स्विंग करेगी और पिच होने के बाद सीम करेगी। कोई भी व्यक्ति नेट पर कितना भी अभ्यास कर ले, यह जानना कि अगर कोई बल्लेबाज नेट पर कुछ बार आउट भी हो जाता है, तो भी वह बल्लेबाजी जारी रख सकता है, अच्छी मानसिक तैयारी नहीं है। अभ्यास मैचों के लिए विपक्षी टीम शीर्ष श्रेणी की ना हो, तो भी कोई बात नहीं; मैच में बनाए गए रन और लिए गए विकेट आत्मविश्वास को काफी बढ़ा देते हैं।"
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