Hindi Newsक्रिकेट न्यूज़Sanjay Manjrekar claims Give a chance to Umran Malik in Test cricket because he has pace like mark wood

उमरान मलिक को मौका देना ही है तो टेस्ट क्रिकेट में दो, संजय मांजरेकर ने बताया धांसू प्लान

संजय मांजरेकर ने उमरान मलिक के लिए एक जोरदार प्लान टीम इंडिया को दिया है। उन्होंने कहा है कि उमरान मलिक को मौका देना ही है तो टेस्ट क्रिकेट में दो, क्योंकि उनके पास मार्क वुड जैसी पेस है। 

Vikash Gaur लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 13 July 2023 02:12 PM
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भारतीय तेज गेंदबाज उमरान मलिक आईपीएल में अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया में जगह बनाने में सफल रहे थे। वे भारत के लिए शॉर्ट फॉर्मेट में खेल चुके हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में अभी उनका डेब्यू बाकी है। इस बीच पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज संजय मांजरेकर का सुझाव है कि उमरान मलिक को टेस्ट क्रिकेट में मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने इसके पीछे का कारण भी बताया है। 

उमरान मलिक वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली जा रही दो मैचों की टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन उनके वनडे और टी20 टीम में चुना गया है। वहीं, संजय मांजरेकर का कहना है कि टेस्ट क्रिकेट में उमरान अपनी पेस बॉलिंग से टेलएंडर बैटर्स को परेशान कर सकते हैं, जिस तरह एशेज सीरीज में इंग्लैंड की टीम के तेज गेंदबाज मार्क वुड कर रहे हैं। मार्क वुड टेस्ट क्रिकेट में भी 90mph की गति से गेंदबाजी कर रहे हैं और लगातार विकेट निकालने में सफल हो रहे हैं। 

मांजरेकर ने एक इंटरव्यू में कहा, "मेरा मानना ​​है कि अगर आपको उमरान को चुनना है, तो उसे टेस्ट क्रिकेट में मौका दें, क्योंकि हमने देखा था जब मार्क वुड ने आखिरी एशेज टेस्ट खेला था, एक गेंदबाज जो 90 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकता है, उसकी खासियत यह है कि उनके खिलाफ पुछल्ले बल्लेबाज लंबे समय तक टिक नहीं पाते हैं। इसलिए यदि आपको उमरान मलिक को देखना है, तो सफेद गेंद वाले क्रिकेट के बजाय, यदि आपके पास एक टेस्ट सीरीज है जो उतनी हाई-प्रोफाइल नहीं है, तो उसे वहां तीन-चार ओवरों के स्पेल दें। इसलिए वह हमारी गेंदबाजी में एक्स-फैक्टर होंगे।"

उन्होंने आगे कहा, "जब आपके पास बहुत अधिक गति होती है, तो सफेद गेंद वाले क्रिकेट में बहुत अधिक दबाव होता है, आपको बिल्कुल सटीक गेंदबाजी करनी होती है, अगर गेंद थोड़ी सी भी इधर-उधर जाती है, तो आप महंगे साबित हो सकते हैं और फिर कप्तान उतना रिस्क नहीं लेता है। पाकिस्तान पहले इसी तरह सोचता था, जब उनके पास 90 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने वाले युवा गेंदबाज थे, तो उन्होंने उन्हें सीधे टेस्ट क्रिकेट में शामिल कर लिया और सफेद गेंद वाले क्रिकेट में ज्यादा मौका नहीं दिया।"

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