World Cup: इन दिग्गजों को वर्ल्ड कप नहीं जीतने की टीस हमेशा रहेगी
1975 में लॉर्ड्स की बालकनी में वर्ल्ड कप ट्रॉफी (World Cup 2019) के साथ खड़े क्लाइव लॉयड की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर ऐसी नहीं थी, जो दूसरे सुपर स्टार्स को विश्व कप जीतने के लिए प्रेरित कर सके।। हम सब...
1975 में लॉर्ड्स की बालकनी में वर्ल्ड कप ट्रॉफी (World Cup 2019) के साथ खड़े क्लाइव लॉयड की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर ऐसी नहीं थी, जो दूसरे सुपर स्टार्स को विश्व कप जीतने के लिए प्रेरित कर सके।। हम सब जानते हैं कि 1983 में कपिल ने यह ट्रॉफी जीत कर भारत के अनेक युवा होते खिलाड़ियों को क्रिकेट के प्रति आकर्षित किया था। अब तो यह हर क्रिकेटर का सपना हो गया है कि एक बार वह विश्व कप विजेता टीम का सदस्य जरूर हो, लेकिन दुनिया के 10 दिग्गज क्रिकेटर ऐसे हैं जिनका नाम क्रिकेट की दुनिया में आज भी सम्मान से लिया जाता है, लेकिन ये कभी विश्व कप विजेता टीम के सदस्य नहीं रहे।
वर्ल्ड कप खिताब किसी भी क्रिकेटर का सपना होता है। मगर बड़े से बड़े खिलाड़ी के लिए यह मुश्किल साबित हुआ है। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को भी अपने छठे और आखिरी वर्ल्ड कप में यह ट्रॉफी उठाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
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ब्रायन लाराः सर विवियन रिचर्ड्स ने जब किशोर ब्रायन लारा को खेलते हुए देखा था तभी कह दिया था कि यह बच्चा एक दिन क्रिकेट लीजेंड बनेगा। लारा ने रिचर्ड्स को निराश नहीं किया। लारा ने 1992 में पहला विश्व कप खेला, इसके बाद चार और विश्व कप खेले लेकिन वह वेस्टइंडीज को कभी विश्व कप नहीं जितवा पाए। उनका सबसे बढ़िया प्रदर्शन 1996 में रहा जब उनकी टीम सेमी फाइनल में पहुंची। वह एक ऐसे योद्धा थे, जिन्हें कभी अपनी टीम से सपोर्ट नहीं मिली। कैरिबियाई क्रिकेटरों में एक खास श्रेणी में गिने जाने वाले लारा से पहले बहुत ही कम खिलाड़ियों ने वनडे में 10 हजार रन का आंकड़ा पार किया था। वह अब भी इस सूची में 10वें नंबर पर हैं। 299 वनडे में उनके नाम तीन बार 150 से ज्यादा का स्कोर है। वह उन कुछ खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्होंने यह स्कोर हासिल किया।
राहुल द्रविड़ः पिछले साल राहुल द्रविड़ का आईसीसी हाल ऑफ फेम में सम्मान किया गया। 1999 में अपना पहला विश्व कप खेलते हुए राहुल टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। 2003 में भी वह विश्व कप खेले, लेकिन फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को बुरी तरह पराजित कर दिया। 2007 में राहुल टीम के कप्तान थे, लेकिन इससे ज्यादा खराब प्रदर्शन भारत ने कभी नहीं किया।
सर रिचर्ड्स हेडलीः 80 के दशक में हेडली दुनिया के बेहतरीन गेंदबाज माने जाते थे। वह पहले ऑलराउंडर थे जिन्होंने सबसे पहले वनडे में 100विकेट और 1000 रन बनाए थे। हेडली ने 1979 और 1983 में विश्व कप खेला लेकिन वह कभी भी ट्रॉफी के करीब नहीं पहुंच सके।
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जैक कैलिसः क्रिकेट इतिहास में सर गैरी सोबर्स के बाद जिस खिलाड़ी को बेहतरीन ऑलराउंडर माना जाता है, वह है दक्षिण अफ्रीका के जैक कैलिस। कैलिस ने इंटरनेशनल डेब्यू के कुछ महीने बाद 1996 में अपना पहला विश्व कप खेला। कैलिस ने पांच विश्व कप खेले। 1999 और 2007 में वह ट्रॉफी के करीब पहुंच गए थे लेकिन जीत नहीं सके।
कुमार संगकाराः श्रीलंका के कुमार संगकारा जैसा होना आसान नहीं है। उन्होंने अपने करियर में सब कुछ हासिल किया। लगातार दो विश्व कप फाइनल खेले, लेकिन कप जीतना उनके भाग्य में नहीं रहा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 700 से ज्यादा शिकार बनाने वाले कुमार संगकारा 2011 के फाइनल में चेहरे पर स्माइल लिए क्रिकेट से विदा हो गए। तीन वर्ल्ड कप खेलने वाले श्रीलंका के संगकारा 2015 वर्ल्ड कप में सर्वाधिक रन बनाने वालों में दूसरे नंबर पर रहे। उन्होंने 7 मैचों में चार शतक समेत 541 रन बनाए पर टीम को खिताब नहीं दिला सके। उससे पहले 2007 और 2011 वर्ल्ड कप में टीम को बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद फाइनल में हार झेलनी पड़ी थी।
एबी डिविलियर्सः एबी डिविलियर्स को क्रिकेट का नोबेल प्राइज विनिंग साइंटिस्ट कहा जा सकता है। लगभग एक दशक उन्होंने पूरी दुनिया को अपनी बल्लेबाजी से चौंकाया है। मिस्टर 360 डिग्री के नाम से मशहूर एबी मैदान के कोने में शॉट जड़ने के लिए जाने जाते हैं। डिविलियर्स ने 2007, 2011 और 2015 के विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन ट्रॉफी जीतना उनके नसीब में भी नहीं था।
सौरव गांगुलीः सौरव गांगुली की आक्रामकता और जुनून ने भारतीय टीम को जीतना सिखाया। गांगुली ने तीन विश्व कप में हिस्सा लिया। 2003 में वह भारत के कप्तान रहे। इसके बावजूद वह कभी खिताब नहीं जीत पाए। 2003 में भारत की टीम फाइऩल में पहुंची, लेकिन आस्ट्रेलिया से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान गांगुली 1999 से 2007 के बीच तीन वर्ल्ड कप का हिस्सा बने। उनकी श्रेष्ठता पर कोई उंगली नहीं उठा सकता। उन्होंने 2003 में ही तीन शतक जड़े थे। इतना ही नहीं, उनके वर्ल्ड कप रिकॉर्ड को तोड़ना आसान नहीं। उनके नाम 22 मैचों में 55.88 की औसत से 1006 रन दर्ज हैं।
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महेला जयवर्धनेः तकनीकी रूप से मजबूत, मानसिक दृढता वाले और बड़ी पारियां खेलने के लिए जाने जाने वाले जयवर्धने ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 20,000 से अधिक रन बनाए। 2007 के विश्व कप में उन्होंने श्रीलंका टीम की कप्तानी की, जहां फाइऩल में उन्हें आस्ट्रेलिया ने हरा दिया। इसके बाद उन्होंने कुमार संगकारा को कप्तानी सौंप दी। 2011 के विश्व कप में जयवर्धने ने क्रिकेट इतिहास की सबसे शानदार पारी खेली, लेकिन टीम को फिर भी जीत नहीं दिला पाए।
सर इयान बॉथमः इंग्लिश क्रिकेट के 'पोस्टर ब्वॉय' कहे जाने वाले इयान बाथम 80 के दशक में क्रिकेट के हीरो थे। ऑलराउंडर बॉथम ने इंग्लैंड को कई महत्वपूर्ण विजय दिलवाई। लेकिन विश्व कप जितवाने का काम वह भी पूरा नहीं कर सके। बाथम ने 1987 और 1992 के विश्व कप में भाग लिया। 1992 में टीम फाइनल में पाकिस्तान से हार गई। अपने ऑलराउंड खेल के कारण उन्हें हमेशा खतरा माना जाता रहा। वह शीर्ष और मध्य क्रम के बल्लेबाजों पर कहर बनकर टूटते थे। 1992 वर्ल्ड कप में उनका प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा। उन्होंने 10 मैच में 16 विकेट झटके पर फाइनल में सिर्फ एक विकेट ले सके। तब टीम को पाक से 22 रन से हार का सामना करना पड़ा।
वकार यूनुस: सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में शुमार वकार चोटिल होने से1992 में पाक की वर्ल्ड कप जीत का हिस्सा नहीं बन सके। उसमें वसीम अकरम शीर्ष गेंदबाज रहे थे। हालांकि, वकार पर डेथ ओवर में हिट करना लगभग नामुमकिन था। एक मैच में पांच विकेट सबसे ज्यादा उनके नाम पर हैं। वह 1999 वर्ल्ड कप टीम का भी हिस्सा थे जो फाइनल में हार गई।
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लांस क्लूजनर: दक्षिण अफ्रीका के ऑलराउंडर और जूलू के नाम से मशहूर क्लूजनर ने 1999 में वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया था। इसमें टीम सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो गई थी। हालांकि स्लूजनर 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' चुने गए थे। इतना ही नहीं, उसके बाद 2000 में वह 'विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' भी चुने गए।
ग्राहम गूच: इंग्लैंड के गूच ने तीन वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया लेकिन खिताब जीतने का मौका नहीं मिला। तीनों बार वह फाइनल में पराजित टीम का हिस्सा बने। 1992 में तो उनकी कप्तानी में टीम फाइनल तक पहुंची। 1987 में मुंबई में सेमीफाइनल में भारत पर जीत में उनका शतक इंग्लैंड की सबसे बेहतरीन वर्ल्ड कप पारियों में गिना जाता है। उन्होंने 1976 में अपना पहला और 1995 में आखिरी वनडे मैच खेला था।
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