Hindi Newsक्रिकेट न्यूज़Over reliance on coaches Very dangerous Ravichandran Ashwin Gives Big Statement Praises India Head Coach Gautam Gambhir

'कोच के भरोसे रहना बहुत खतरनाक,' ये क्या बोल गए रविचंद्रन अश्विन? गौतम गंभीर को करार दिया ऐसा शख्स

  • दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने सिर्फ कोचों के भरोसे रहने की आदत को बहुत खतरनाक बताया है। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को खुद से जवाब तलाश करने की कोशिश करनी चाहिए। अश्विन ने टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर की तारीफ की है।

Md.Akram पीटीआईWed, 21 Aug 2024 07:01 PM
share Share

रविचंद्रन अश्विन को लोगों पर निर्भर रहना पसंद नहीं है और यही कारण है कि वह कभी भी पारंपरिक रूप से कोच पर निर्भर रहने के विचार के पक्ष में नहीं रहे क्योंकि उनका मानना ​​है कि इस तरह की निर्भरता खिलाड़ियों को हठधर्मी बनाती है। अपने 14 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में अश्विन ने विभिन्न प्रारूपों में अब तक 281 मैच खेले हैं और 744 विकेट चटकाए हैं। अश्विन की समझदारी और बार-बार खुद को खोजने की उनकी क्षमता ने उन्हें मुश्किल समय में टिके रहने में मदद की है।

'ये बहुत खतरनाक प्रवृत्ति'

37 वर्षीय ऑफ स्पिनर ने हाल ही में पीटीआई को टेलीफोन पर दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘बहुत सारे खिलाड़ी कोच या मार्गदर्शक या किसी एक व्यक्ति पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं जो मुझे लगता है कि बहुत खतरनाक प्रवृत्ति है क्योंकि लोगों पर अत्यधिक निर्भरता के कारण आप नए विचारों के लिए तैयार नहीं होते।’’ ऐसा नहीं है कि अश्विन के पास कभी कोई मार्गदर्शक नहीं रहा। उनके राज्य टीम के पहले कोच डब्ल्यूवी रमन भारतीय क्रिकेट के सम्मानित नामों में से एक हैं और तमिलनाडु के दिग्गज तथा पूर्व भारतीय बल्लेबाज एस बद्रीनाथ उनके लिए मार्गदर्शक रहे हैं। लेकिन उनके साथ उनका समीकरण कभी भी उस तरह की निर्भरता में नहीं बदला जो समाधान खोजने की उनकी खुद की क्षमता को खत्म कर दे।

'मैं पूरी तरह असहमत हूं'

उन्होंने कहा, ‘‘अक्सर कोच की चुनौती आपके लिए कई समाधान देने में सक्षम होना होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जो एक (विशेष खिलाड़ी) के लिए काम करता है, वह शायद दूसरे के लिए काम नहीं करे।’’ हाल ही में ‘आई हैव द स्ट्रीट्स: ए कुट्टी क्रिकेट स्टोरी’ के साथ एक लेखक के रूप में शुरुआत करने वाले अश्विन ने कहा, ‘‘एक आधुनिक कोचिंग का पहलू जिससे मैं पूरी तरह असहमत हूं, वह यह है कि वे उसी तकनीक (समाधान) को कॉपी-पेस्ट करने की कोशिश करते हैं जो किसी अन्य क्रिकेटर के लिए काम कर चुकी है।’’

ये भी पढ़ें:IPL में खिलाड़ी खाली हाथ रह जाएंगे...RTM पर फूटा आर अश्विन का गुस्सा

'जवाब खुद तलाशने चाहिए'

हालांकि वह इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि कुछ खिलाड़ी अपने कोच के नजरिए के सामने समर्पण करके नतीजे हासिल करते हैं लेकिन उन्हें यह भी लगता है कि इस तरह की निर्भरता आपकी सोच को सीमित कर सकती है। भारत के सबसे सफल टेस्ट गेंदबाजों की सूची में दिग्गज अनिल कुंबले के बाद दूसरे स्थान पर मौजूदा अश्विन ने कहा, ‘‘एक क्रिकेटर के तौर पर आपको लगातार नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है इसलिए आपको अपने जवाब खुद ही तलाशने चाहिए।’’ अपने करियर में रमन की भूमिका पर अश्विन ने कहा, ‘‘लोग आपकी मदद कर सकते हैं। लेकिन वे आपके करियर में आपका मार्गदर्शन नहीं कर सकते, आपको नए विचारों के लिए तैयार रहना होगा।’’

'मैं अत्यधिक निर्भर नहीं रहा'

उन्होंने कहा, ‘‘डब्ल्यूवी रमन ने मुझे खुद को जाहिर करने की स्वतंत्रता दी और आप जानते हैं, नई चीजों को आजमाने की। उन्होंने मुझे यह भी सिखाया कि मुझे कैसे और किस रास्ते पर चलना है लेकिन उन्होंने कभी नहीं कहा, ‘यह वह रास्ता है जिस पर आपको चलना है।’। अश्विन ने कहा, ‘‘तो एक तरह से, मेरे शुरुआती दिनों में, डब्ल्यूवी के मार्गदर्शन ने सुनिश्चित किया कि मैं कभी भी किसी पर अत्यधिक निर्भर नहीं रहा।’’ अश्विन ने कहा कि दूसरी राय लेना कभी भी बुरा विचार नहीं है लेकिन क्रिकेट मुख्य रूप से एक स्वयं सिखाया हुआ खेल है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपको अपने खेल के बारे में जानकारी नहीं है और यदि आप खुद को नहीं सिखा सकते हैं, तो मुझे लगता है कि आप हमेशा किसी पर निर्भर रहने वाले हैं, जो मुझे लगता है कि बहुत खतरनाक हिस्सा है।’’ अश्विन 10 टेस्ट मैच के बड़े सत्र के लिए तैयार हैं और अगले महीने बांग्लादेश के खिलाफ होने वाली श्रृंखला नए मुख्य कोच गौतम गंभीर के मार्गदर्शन में उनकी पहली सीरीज होगी जिनके साथ उन्होंने काफी मैच खेले हैं। अश्विन उन्हें भारतीय क्रिकेट के ‘हीरो’ में से एक मानते हैं।

'गौतम से बहुत अच्छे संबंध हैं'

उन्होंने कहा, ‘‘गौतम ऐसे व्यक्ति हैं जिनके साथ मेरे अब भी बहुत अच्छे संबंध हैं। इस तथ्य के कारण कि वह बहुत सीधे और ईमानदार व्यक्ति हैं।’’ अश्विन ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि गौतम भी उन लोगों में से एक हैं जिनका हमें हमेशा समर्थन करना चाहिए। वह भारतीय क्रिकेट के हीरो हैं।’’ दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को उनकी खास ‘कैरम बॉल’ को समझने के लिए संघर्ष करना पड़ा है और उन्हें इसमें पारंगत होने में लगभग तीन साल लग गए। अश्विन ने कहा, ‘‘मैंने 2006 या 2007 के बाद से नेट्स में ऐसी गेंदें फेंकना शुरू किया जो शायद मेरे लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट का दूसरा सत्र था।’’

ये भी पढ़ें:गौतम गंभीर ने चुनी अपनी ऑल टाइम वर्ल्ड इलेवन, तीन पाकिस्तानियों को किया शामिल

ये होना चाहिए अंतिम लक्ष्य

उन्होंने कहा, ‘‘2008 में विजय हजारे ट्रॉफी (केएस सुब्बैया पिल्लई ट्रॉफी) के दक्षिण क्षेत्र के मैचों के दौरान मैंने लगभग दो साल बाद इस गेंद को फेंका। 2010 तक मैं जिस गति से गेंदबाजी करता था, उसके बारे में शायद काफी आश्वस्त था।’’ अश्विन ने कहा, ‘‘इसलिए मुझे आत्मविश्वास हासिल करने में लगभग दो से तीन साल लग गए।’’ आईपीएल ने युवा भारतीय क्रिकेटरों के जीवन को बदल दिया है और देश के क्रिकेट पारिस्थितिकी तंत्र के लिए ‘शानदार’ रहा है लेकिन अश्विन का मानना ​​है कि एक महत्वाकांक्षी क्रिकेटर के लिए अंतिम लक्ष्य हमेशा देश के लिए खेलना होना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बहुत खुशी है कि बहुत सारे युवा बच्चे अब आगे आ रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं। यह उनकी आजीविका बदल रहा है, उनके परिवारों की स्थिति बदल रहा है। यह भारत के लिए, भारतीय क्रिकेट पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अविश्वसनीय है।’’ अश्विन ने कहा, ‘‘लेकिन मुझे अब भी लगता है कि इन सभी बच्चों में भारत के लिए खेलने की इच्छा के लिए कुछ प्रोत्साहन और कुछ प्रेरणा होनी चाहिए और यह पूरी तरह से हितधारकों और निर्णय लेने वालों के हाथ में है।’’

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें