गौतम गंभीर ढ़ोंगी हैं, जो वो कहते हैं…मनोज तिवारी ने खोली हेड कोच की पोल
- मनोज तिवारी का कहना है कि गंभीर पहले आईपीएल और भारतीय सपोर्ट स्टाफ में विदेशी कोच के खिलाफ थे, वह कहते थे कि विदेशी कोच की टीम के प्रति कोई इमोशन और फीलिंग नहीं होती, वह बस मोटे पैसे लेते हैं।
गौतम गंभीर ढ़ोंगी हैं, जो वो कहते हैं वो करते नहीं है…ये कहना है टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी का। उन्होंने गंभीर को ढ़ोंगी कहने की वजह भी बताई है। उनका कहना है कि गंभीर पहले आईपीएल और भारतीय सपोर्ट स्टाफ में विदेशी कोच के खिलाफ थे, वह कहते थे कि विदेशी कोच की टीम के प्रति कोई इमोशन और फीलिंग नहीं होती, वह बस मोटे पैसे लेते हैं। मगर जब गौतम गंभीर की खुद की बारी आई तो उन्होंने एक नहीं बल्कि अपने सपोर्ट स्टाफ में अपनी मर्जी से दो-दो विदेशी कोच लिए।
बता दें, टीम इंडिया का हेड कोच बनने के बाद गौतम गंभीर ने बीसीसीआई से अपनी पसंद के सपोर्ट स्टाफ की मांग की थी। फील्डिंग कोच के रूप में रयान टेन डोशेट को तो बॉलिंग कोच के रूप में मोर्ने मोर्कल को चुना गया, वहीं बैटिंग कोच अभिषेक नायर हैं। यह तीनों ही आईपीएल में गौतम गंभीर के साथ काम कर चुके हैं।
न्यूज24 को दिए इंटरव्यू में मनोज तिवारी ने कहा, “वो एक हिपोक्रेट (ढ़ोंगी) इंसान है, हिपोक्रेट इसलिए क्योंकि जो वो कहते हैं वो करते नहीं है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि जितने भी विदेशी कोच हैं, जो आईपीएल में कोचिंग के लिए आते हैं, टीम इंडिया के कोच बनते हैं सपोर्ट स्टाफ में...उनका टीम के प्रति कोई इमोशन कोई फीलिंग नहीं होती, और इन लोगों को नहीं लेना चाहिए। ये लोग आते हैं अपना मजा करते हैं, बहुत पैसा लेते हैं बिना किसी इमोशन के और चले जाते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “तो जब इनके पास सपोर्ट स्टाफ चुनने का वो मौका था तो जो लंबा लिस्ट इन्होंने जो बीसीसीआई में दिया था, मुझे ये सब प्लेयर्स, ये सब सपोर्ट स्टाफ चाहिए...तो क्यों वह इंडियन कोचिस को सामने रखे। क्यों उन्हें रयान टेन डोशेट को बतौर फील्डिंग कोच और मोर्ने मोर्कल को बॉलिंग कोच लाना पड़ा। ये सब दिखता है आंखों के सामने। इसलिए मैं उन्हें हिपोक्रेट (ढ़ोंगी) बोल रहा हूं, मैं उन्हें करीब से जानता हूं।”
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