दफ्तरों के चक्कर को जाएं भूल, अब घर बैठें कराएं संपत्ति की रजिस्ट्री; छत्तीसगढ़ सरकार ने लॉन्च की 'सुगम' ऐप
छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार ने लोगों को धोखाधड़ी से बचाने और अपनी संपत्ति की ऑनलाइन रजिस्ट्री करवाने के लिए 'सुगम ऐप' लॉन्च की है। ऐप को लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। इस हफ्ते की शुरुआत में प्लेटफॉर्म के जरिए 1,200 से ज्यादा पंजीकरण किए गए हैं।
छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार ने लोगों को धोखाधड़ी से बचाने और अपनी संपत्ति की ऑनलाइन रजिस्ट्री करवाने के लिए 'सुगम ऐप' लॉन्च की है। ऐप को लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। इस हफ्ते की शुरुआत में प्लेटफॉर्म के जरिए 1,200 से ज्यादा पंजीकरण किए गए हैं। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। जनसंपर्क विभाग के अधिकारी ने कहा कि 'सुगम (सुविधाजनक) ऐप' को 21 अक्टूबर को प्रापर्टी रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को और ज्यादा पारदर्शी और यूजर-फ्रेंडली बनाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
अधिकारी ने कहा कि लॉन्च होने के बाद से ही ऐप ने लोकप्रियता हासिल की है, जिससे राज्य भर में 1,200 से अधिक प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की सुविधा मिली है और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की दिशा में एक अहम बदलाव आया है। राज्य के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने एक बयान में कहा, 'सरकार नागरिक सशक्तिकरण के लिए रजिस्ट्री कार्य में अधिक से अधिक तकनीकी अनुप्रयोगों और प्रक्रियात्मक सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है। सुगम ऐप संपत्ति से संबंधित धोखाधड़ी को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।'
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन से संबंधित शिकायतें अक्सर सामने आती हैं, जिसमें लोग कई तरह से धोखाधड़ी का शिकार होते हैं। ऐसी खबरें आई हैं कि एक ही संपत्ति को अलग-अलग लोगों को बेचा गया है और कुछ मामलों में, ऐसी संपत्तियों की रजिस्ट्री की गई है जो वास्तव में मौजूद ही नहीं हैं। ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां सड़क, रास्ते या बगीचों के लिए निर्धारित भूमि को धोखाधड़ी से बेचा गया है। कुछ मामलों में, जितनी जमीन मौजूद है उससे ज्यादा को बेचा गया है।
अधिकारी ने कहा कि ये घटनाएं विवादों को बढ़ावा देती हैं और अदालती मामलों में इजाफा करती हैं। सुगम ऐप के तहत, रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के दौरान, संबंधित पक्ष सौदे के तहत आने वाली संपत्ति पर जाकर ऐप में दिए गए निर्देशों के अनुसार तीन अलग-अलग एंगल से उसकी तस्वीरें क्लिक करेगा। तस्वीरें ऑटोमैटिकली संपत्ति के अक्षांश (लैटिट्यूड) और देशांतर(लॉन्गिट्यूड) को पंजीकृत करने के लिए रजिस्ट्रार के मॉड्यूल में ट्रांसफर हो जाएंगी। इस तरह संपत्ति की असल जियोग्राफिकल स्थिति स्थायी रूप से रजिस्ट्री पेपर में दर्ज हो जाएगी।
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