छत्तीसगढ़ के इस गांव में दानव ही देवता, मनोकामना पूरी करते हैं बकासुर, प्रसाद के तौर पर चढ़ाई जाती है शराब
देवी-देवताओं की पूजा आपने देखी होगी...। कई धार्मिक अनुष्ठानों में भी आप शामिल हुए होंगे, लेकिन दानव की पूजा करते आपने नहीं देखा होगा। तो चलिए आपको ले चलते हैं छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले का खोपा धाम।...
देवी-देवताओं की पूजा आपने देखी होगी...। कई धार्मिक अनुष्ठानों में भी आप शामिल हुए होंगे, लेकिन दानव की पूजा करते आपने नहीं देखा होगा। तो चलिए आपको ले चलते हैं छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले का खोपा धाम। यह सूरजपुर ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ सहित दूसरे प्रदेशों के लोगों के लिए भी आस्था का केंद्र है। यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं और बकासुर उनकी मन्नत पूरी करते हैं। यहां प्रसाद के तौर पर शराब चढ़ाई जाती है।
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले को खोपा गांव में किसी देवी-देवता की नहीं बल्कि दानव की पूजा हो रही है। इस दानव का नाम है बकासुर, जिसे स्थानीय लोग दानव देवता के नाम से जानते हैं। दानव देवता सबकी मन्नत भी पूरी करते हैं।#Chhatisgarh pic.twitter.com/jeyC9edOFK
— Hindustan (@Live_Hindustan) February 16, 2022
सूरजपुर सहित आसपास के लोग खोपा धाम को दानव देवता के नाम से भी जानते हैं। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मन्नत के लिए लाल कपड़ा बांधते हैं और अपनी मनचाही मुराद पाकर जाते हैं। पूजा कराने वाले बैगा बताते हैं कि इस धाम में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना बकासुर पूरी करते हैं। बकासुर के खोपा धाम की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। बताया जाता है कि बकासुर नाम का दानव खोपा गांव के बगल से गुजरती नदी में रहता था। गांव के एक बैगा जाति के युवक से प्रसन्न होकर वह गांव के बाहर एक स्थान पर आकर रहने लगा। अपनी पूजा के लिए उसने बैगा जाति के लोगों को ही स्वीकृति दी। यहां पूजा कोई पंडित नहीं बल्कि बैगा कराते हैं। बकासुर के पूजा का विधान भी अलग है।
बकरा, मुर्गा और शराब का चढ़ावा
यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु बकासुर से पहले नारियल, तेल और सुपारी के साथ पूजा कर मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर यहां बकरा, मुर्गा और शराब आदि का प्रसाद चढ़ाते हैं। इस स्थान में सैकड़ों सालों से पूजा हो रही है, लेकिन आज तक यहां मंदिर का निर्माण नहीं कराया गया है। मंदिर निर्माण नहीं कराने के पीछे भी एक अलग कहानी यहां के लोग बताते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार खोपा देवता ने स्थापित होने से पहले ही ग्रामीणों को यह बात कह दिया था कि मेरा मंदिर न बनाया जाए, ताकि मैं चार दीवारी में कैद होने के बजाए स्वतंत्र रह सकूं।
यहां का प्रसाद घर नहीं ले जा सकते
खोपा धाम की मान्यता है कि यहां का प्रसाद महिलाएं नहीं खा सकती हैं और यहां का प्रसाद कोई घर भी नहीं ले जा सकता है। पहले इस स्थान में महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित था, लेकिन अब आधुनिक दौर में महिलाएं भी बड़ी संख्या में स्थल पर जाकर पूजा पाठ करतीं हैं। कोपा धाम के बैगा, पुजारी भूत-प्रेत और बुरे साए से बचाने का दावा भी करते हैं। यहां भूत-प्रेत बाधा से छुटकारा पाने की चाह लिए पहुंचने वालों की भी लंबी लाइन लगी रहती है। लाइव हिन्दुस्तान अंधश्रद्धा को कतई बढ़ावा नहीं देता, बल्कि हम आपको खोपा धाम में देवी-देवता की जगह दानव की पूजा होने की जानकारी दे रहे हैं।
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