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महादेव सट्टा ऐप मामला; केजरीवाल-सिसोदिया केस का उदाहरण दे मांगी जमानत, HC ने दिया यह फैसला

  • ईडी के वकील ने कहा कि आरोपी ने सट्टेबाजी ऐप का उपयोग करते हुए पत्नी के नाम पर विभिन्न जगहों पर बड़ी मात्रा में संपत्ति खरीदी। साथ ही 1.20 करोड़ रुपए का लेन-देन किया, जो उसके और उसकी पत्नी के खाते से ट्रांसफर किए गए।

Sourabh Jain लाइव हिन्दुस्तान, बिलासपुर, छत्तीसगढ़Wed, 8 Jan 2025 11:55 PM
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महादेव सट्टा ऐप मामला; केजरीवाल-सिसोदिया केस का उदाहरण दे मांगी जमानत, HC ने दिया यह फैसला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महादेव सट्टा ऐप के प्रमोटर अनिल अग्रवाल के भाई अमित कुमार अग्रवाल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। सालभर से जेल में बंद आरोपी के खिलाफ रायपुर सहित देश के विभिन्न थानों में कई मामले दर्ज हैं। जिसके बाद कोर्ट ने उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के कारण उसे जमानत पर छोड़ने से इनकार कर दिया। आरोपी के वकील ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले का उदाहरण देते हुए जमानत देने की मांग की थी।

महादेव सट्टा ऐप के प्रमोटर अनिल अग्रवाल के भाई अमित कुमार अग्रवाल को एंटी करप्शन ब्यूरो ने हवाला मामले में 12 जनवरी 2024 को गिरफ्तार किया था। मामले में मई 2024 में ईडी ने अलग से प्रकरण दर्ज किया था। जिसके बाद जेल में बंद आरोपी अमित अग्रवाल ने हाईकोर्ट में जमानत आवेदन प्रस्तुत किया था। आवेदन में उसने बताया कि दर्ज FIR में आवेदक का नाम नहीं है और उसे झूठे मामले में फंसाया गया है। मामले में 145 गवाहों से सवाल-जवाब किया जाना है।

संपत्ति खरीदी और नकद लेन-देन

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने जमानत का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि पुख्ता प्रमाण होने पर आरोपी के खिलाफ दुर्ग, रायपुर सहित देश के विभिन्न थानों में प्रकरण दर्ज किए गए हैं। आरोपी ने सट्टेबाजी ऐप का उपयोग किया और अपनी पत्नी के नाम पर विभिन्न जगहों पर बड़ी मात्रा में संपत्ति खरीदी। साथ ही अलग-अलग तारीखों में 1.20 करोड़ रुपए का लेन-देन किया, जो उसके और उसकी पत्नी के खाते से ट्रांसफर किए गए।

दुबई से भाई ने भेजे थे 70 लाख रुपए

आरोपी के परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में नकद जमा और प्राप्त करने की एंट्री दर्ज की गई हैं। 70 लाख रुपए की व्यवस्था दुबई में रहने वाले आरोपी के भाई अनिल अग्रवाल ने की थी। जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि जांच के दौरान जुटाए गए सबूत और गवाहों के बयान आवेदक के विरुद्ध हैं। अपराधिक मामला गंभीर है, इसलिए जमानत देना उचित नहीं है।

रिपोर्टः संदीप दीवान

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