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मैंने अपनी दुनिया उजाड़ ली; पहलगाम हमले में मारे गए पति के लिए पत्नी ने मांगा शहीद का दर्जा

उन्होंने कहा, ऐसा तो हम सिर्फ फिल्मों और खबरों में देखते थे, कभी खुद न्यूज नहीं बनना चाहते थे। हम दो बजे तक वहां से निकलने वाले थे लेकिन मेरी बेटी कुछ एक्टिविटी करनी थी इसलिए हम रुक गए।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तान, रायपुरFri, 25 April 2025 10:28 PM
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मैंने अपनी दुनिया उजाड़ ली; पहलगाम हमले में मारे गए पति के लिए पत्नी ने मांगा शहीद का दर्जा

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को जब आतंकी हमला हुआ तो छत्तीसगढ़ के व्यापारी दिनेश मिरानिया भी अपने परिवार के साथ वहीं पर थे। वह अपनी और दो बच्चों के साथ वैष्णों देवी मंदिर के दर्शन करने और कश्मीर घूमने गए थे। हादसे के वक्त पत्नी और उनका बेटा अलग थे जबकि उनके साथ उनकी बेटी थी। इस बारे में जानकारी उनकी पत्नी ने दी। उन्होंने कहा, वहां जाकर मैंने अपनी दुनिया उजाड़ ली। इसी के साथ उन्होंने अपने पति को शहीद का दर्जा दिए जाने की भी मांग की है।

उन्होंने हमले के बारे में बताते हुए कहा, ऐसा तो हम सिर्फ फिल्मों और खबरों में देखते थे, कभी खुद न्यूज नहीं बनना चाहते थे। हम दो बजे तक वहां से निकलने वाले थे लेकिन मेरी बेटी कुछ एक्टिविटी करनी थी इसलिए हम रुक गए।

उन्होंने कहा, जब हमला हुआ तो मैं वॉशरूम गई हुई थी। मेरा फॉन और पर्स पति के पास था। बेटी भी उन्ही के साथ थी जबकि बेटा अलग था। जब वह वॉशरूम से बाहर आईं तो गोलियों की आवाज सुनाई दे रही थी। लोगों ने कहा, आतंकियों ने हमला किया है। मुझे लगा मेरे बच्चे और पति भी नीचे पहुंच गए होंगे। मेरे पास फोन भी नहीं था। रास्ते में लोगों से फोन लेकर परिवार से बात करने की कोशिश की लेकिन नेटवर्क नहीं था। फिर बीच में एक बार नेटवर्क मिला तो मेरी बेटे से बात हुई।

उन्होंने आगे कहा कि बेटे ने बताया कि मैं अकेला हूं और पापा और उनकी बेटी ऊपर ही हैं। इसके बाद जब वह नीचे आईं तो उनके बेटे के साथ मिलकर दोनों को ढूंढने लगे। थोड़ी देर बाद बेटी एक अस्पताल के सामने खड़ी मिली। उसके कपड़े खून से सने थे और थोड़ी चोट भी लगी थी। उसने बताया कि पापा को गोली लगी है। फिर शाम 7-8 बजे उन्हें पति का शव मिला। उन्होंने कहा, वहां जाकर उन्होंने अपनी दुनिया उजाड़ ली।

उन्होंने कहा, अमित शाह जी वहां (पहलगाम) आए थे, उन्होंने मेरे पति को शहीद जैसी विदाई दी, इसलिए मुझे उम्मीद है कि सरकार मेरे पति को शहीद का खिताब देगी। मुझे उम्मीद है कि सरकार मेरे बच्चों के सिर पर भी अपना हाथ रखेगी और शायद उन्हें कुछ सहारा देगी। मैं उनकी बेटी हूं, इसलिए वे (सरकार) मेरा परिवार हैं, इसलिए वे मेरी मदद जरूर करेंगे।

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