UPSC Topper Success Story: राज कृष्ण झा को पांचवे प्रयास में मिली बड़ी सफलता, यूपीएससी में हासिल की 8वीं रैंक
- UPSC Success Story: बिहार के सीतामड़ी जिले के राज कृष्ण झा ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में 8वीं रैंक लाकर अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया है। 27 वर्षीय राज कृष्ण झा ने अपने पांचवे प्रयास में इतनी बड़ी सफलता हासिल की है।

UPSC Rank 8 Raj Krishna Jha Success Story: बिहार के सीतामड़ी जिले के रूनी सैदपुर ब्लॉक के अथारी पंचायत के मूल निवासी राज कृष्ण झा ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में 8वीं रैंक लाकर अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया है। 27 वर्षीय राज कृष्ण झा ने अपने पांचवे प्रयास में इतनी बड़ी सफलता हासिल की है। उनकी सफलता से उनके गांव और जिले में खुशी की लहर ला दी है।
हिन्दुस्तान टाइम्स से फोन पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि यूपीएससी के पहले दो प्रयासों में उन्होंने रैंक प्राप्त करने के लक्ष्य से परीक्षा में भाग लिया था लेकिन वे अपने प्रारंभिक दो प्रयासों में प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाए थे।
राज कृष्ण झा ने बताया कि यूपीएससी चौथे प्रयास में मेंस परीक्षा में 739 अंक लाने के बावजूद फाइनल सिलेक्शन में वे 2 अंक से चूक गए थे। इसी के बाद मैंने टॉप 10 रैंक लाने का लक्ष्य बना लिया था। राज कृष्ण झा वर्तमान में हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) में असिस्टेंट मैनेजर पद पर तैनात हैं।
उन्होंने बताया कि उन्हें अपनी सफलता पर विश्वास था क्योंकि उनका मॉक टेस्ट बहुत अच्छा हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूलिंग भितामोर बोर्डर के पास नेपाल के एक स्कूल से पूरी की है। इसके बाद उन्होंने बिहार बोर्ड से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की है। इसके बाद उन्होंने मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MNNIT), इलाहाबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री प्राप्त की है।
ग्रेजुएशन के बाद 2018 में वे हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) में शामिल हुए और वर्तमान में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एचपीसीएल के सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) विंग में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं।
झा ने कहा कि उनके पिता सुनील कुमार झा के प्राइवेट स्कूल के शिक्षक के रूप में शैक्षणिक क्षेत्र में अनुभव ने उन्हें अपने करियर को आकार देने में बहुत मदद की। वह प्रेरणा के एक बड़े स्रोत और मेरे मार्गदर्शक भी हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को दिया है।
उन्होंने बताया कि "हाँ, पहले दो प्रयास बहुत बेकार थे। लेकिन, फिर मैंने लगातार यूपीएससी की तैयारी की और परीक्षा के समय तैयारी में 14 से 15 घंटे लगाए। यूपीएससी में उन्होंने वैकल्पिक विषय में भूगोल का विकल्प चुना था।