UPSC CSE 2025: यूपीएससी परीक्षा से जुड़ा एक और मामला अदालत में, SC ने आयोग व केंद्र से मांगा जवाब
- सुप्रीम कोर्ट ने सीएसई 2025 में शामिल होने वाले दिव्यांग व्यक्तियों की ओर से दायर एक याचिका पर केंद्र सरकार के साथ-साथ यूपीएससी को नोटिस जारी किया है। याचिका में मांग की गई है कि आवेदन पत्र में दिए गए स्क्राइब के नाम को बदलने का विकल्प दिया जाए।
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UPSC CSE 2025: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2025 से जुड़ा एक और मामला अदालत में पहुंच गया है। इस बार मसला ईडब्ल्यूएस का नहीं दिव्यांग वर्ग का है। सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) 2025 में शामिल होने वाले दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) की ओर से दायर एक याचिका पर केंद्र सरकार के साथ-साथ संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी किया है। याचिका में मांग की गई है कि आवेदन पत्र में दिए गए स्क्राइब (विकलांग अभ्यर्थी की मदद के लिए परीक्षा लिखने वाले लेखक) के नाम को बदलने का विकल्प दिया जाए। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सीएसई में ईडब्ल्यूएस वर्ग को आयु व अटेम्प्ट में छूट देने के मामले में पहले से सुनवाई चल रही है।
सीएसई के दिव्यांग अभ्यर्थियों के मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने की। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सीएसई 2025 के लिए आवेदन पत्र में परीक्षा से कुछ महीने पहले स्क्राइब का विवरण मांगा जाता है और एक बार जमा करने के बाद ऐसे विवरण को बदला नहीं जा सकता। अंतरिम राहत की मांग करते हुए याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखे रहे अधिवक्ता राहुल बजाज ने बताया कि दिव्यांग उम्मीदवारों को आवेदन पत्र की अंतिम तिथि यानी 21 फरवरी तक अपने स्क्राइब का विवरण साझा करने के लिए कहा जाता है, जो कि प्रारंभिक परीक्षा से कई महीने पहले है। प्रीलिम्स परीक्षा 5 मई, 2025 को होनी है और मुख्य परीक्षा तीन महीने बाद होनी है।
बजाज ने कहा कि स्क्राइब से इतने बाद की डेट के लिए कमिटमेंट लेना बहुत मुश्किल है। स्क्राइब यह काम केवल स्वैच्छिक सेवा के रूप में कर रहे हैं।
इसके अलावा यह भी बताया गया कि दिव्यांग उम्मीदवारों को एक्सेस विद स्पीच (जेएडब्ल्यूएस- JAWS) जैसे स्क्रीन रीडिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करके परीक्षा देने की अनुमति नहीं है, जैसा कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने अखिल भारतीय बार एसोसिएशन परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के लिए अनुमति दी थी। इस बीच कोर्ट ने केंद्र और यूपीएससी को नोटिस जारी किया। लेकिन शीर्ष अदालत ने इस स्तर पर कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने आयोग और केंद्र सरकार से इस मामले पर 2 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च, 2025 को तय की है।
ईडब्ल्यूएस मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को
एमपी हाईकोर्ट में ईडब्ल्यूएस मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी। अदालत ने तब तक सभी पक्षों को अपनी दलीलें लिखित में दर्ज कराने को कहा है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने मंगलवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को बताया है कि केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के दिशा-निर्देशों में सिविल सेवा परीक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के उम्मीदवारों को अन्य आरक्षित श्रेणियों के समान छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है। 14 फरवरी को एमपी हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में यूपीएससी को निर्देश दिए थे कि वो ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लोगों को आरक्षित वर्ग जैसी छूट दे।
कोर्ट ने अंतरिम आदेश में यूपीएससी को निर्देश दिया था कि वह ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में पांच साल की छूट (वर्तमान में जनरल व ईडब्ल्यूएस के लिए 32 वर्ष अधिक आयु सीमा है) के साथ सिविल सेवा परीक्षा के लिए फॉर्म भरने की अनुमति दे और उन्हें अन्य आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों की तरह 9 अटेंप्ट (प्रयास) की अनुमति दें (वर्तमान में ईडब्ल्यूएस को जनरल की तरह छह अटेम्प्ट ही देने की अनुमति है)। हालांकि, इन उम्मीदवारों के परिणाम अदालत के अंतिम फैसले के अधीन होंगे। यह आदेश चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस सुरेश जैन की पीठ ने दिया था। मध्य प्रदेश के मैहर शहर के याचिकाकर्ता आदित्य नारायण पांडे व 15 अन्य सिविल सेवा अभ्यर्थियों ने सवाल उठाया था कि ईडब्ल्यूएस आवेदकों को अन्य आरक्षित वर्गों की तरह उम्र में छूट और अटेंप्ट की संख्या में समान लाभ क्यों नहीं मिलता है।
इस बार यूपीएससी सीएसई 2025 के जरिए आईएएस व आईपीएस समेत 979 पदों पर भर्ती निकाली गई है। भारतीय वन सेवा परीक्षा 2025 के जरिए 150 पदों पर भर्ती होगी। यूपीएससी सिविल सर्विसेस प्रीलिम्स परीक्षा 2025 का आयोजन 25 मई 2025 को होगा।
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