Hindi Newsकरियर न्यूज़Without doing UGC NET and PhD in 2 yrs 278 industry experts hired as college professors university colleges

बिना UGC NET और PhD किए 2 साल में 278 इंडस्ट्री एक्सपर्ट बने कॉलेज प्रोफेसर, ये हैं टॉप फील्ड

कॉलेजों में दो साल के भीतर बगैर यूजीसी नेट और पीएचडी की योग्यता के 278 इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स व एक्सपर्ट्स की नियुक्ति किया गया है। यूजीसी की पीओपी योजना के तहत इन्हें विशेषज्ञों की भर्ती की गई है।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 26 April 2024 04:07 PM
share Share

देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में दो साल के भीतर बगैर यूजीसी नेट और पीएचडी की योग्यता के 278 इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स व एक्सपर्ट्स की नियुक्ति किया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस (पीओपी) योजना के तहत इन्हें विशेषज्ञों की भर्ती की गई है। नियुक्त किए गए एक्सपर्ट्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य विज्ञान, मार्केटिंग, बिजनेस और होटल मैनेजमेंट जैसी फील्ड के हैं। यूजीसी की ओर से किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। यूजीसी ने सितंबर 2022 में पीओपी योजना शुरू की थी जिसके तहत उच्च शिक्षा संस्थानों को शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई को पाटने के लिए कॉन्टेक्ट के आधार पर छात्रों को पढ़ाने के लिए विशेषज्ञों को नियुक्त करने की अनुमति दी गई।

शिक्षा के स्किल से जोड़ने के मकसद से आयोग ने पिछले महीने अपने 136 संबद्ध डीम्ड विश्वविद्यालयों के बीच एक सर्वेक्षण किया। जिन शीर्ष फील्ड में सबसे अधिक नियुक्तियां हुई हैं, वे हैं इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (87), स्वास्थ्य विज्ञान (48), मार्केटिंग, बिजनेस, होटल मैनेजमेंट (19), आदिवासी अध्ययन (14), बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री (12), लीडरशिप, मानव संसाधन, उद्यमिता और नवाचार (11)।

आयोग ने कहा कि शेष नियुक्तियां फार्मा, कानून, कृषि, शिक्षा, कला, मानविकी और सामाजिक विज्ञान, पत्रकारिता और संचार, आर्टिशियल इंटेलिजेंस और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन सहित विविध विषयों, यहां तक ​​कि खेल, नेटवर्किंग और डेयरी विज्ञान जैसे विशिष्ट विषयों को भी कवर करती हैं। आयोग के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने कहा कि नियुक्ति का यह रुझान उद्योग से जुड़ी इंजीनियरिंग शिक्षा की बढ़ती मांग को दर्शाता है। उन्होंने कहा, "प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस छात्रों को एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, उद्योग के रुझानों और व्यावहारिक समस्या-समाधान कौशल पर अमूल्य मार्गदर्शन दे  सकते हैं। वे रोजगार के अवसरों में मदद भी कर सकते हैं। वे उद्योग के पेशेवरों के अपने व्यापक नेटवर्क को भी ला सकते हैं जो छात्रों को रोजगार के अवसरों में मदद कर सकते हैं।'

जिन राज्य के विश्वविद्यालयों में पीओपी की सर्वाधिक नियुक्ति की गई है वे हैं- तमिलनाडु (93), ओडिशा (48), महाराष्ट्र (35), हरियाणा (32) और कर्नाटक (29) थे। कुछ विश्वविद्यालयों ने आदिवासी अधिकारों और विरासत, आदिवासी ज्ञान और आदिवासी भाषा और संस्कृति पर ज्ञान प्रदान करने के लिए आदिवासी हस्तियों को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के रूप में नियुक्त किया है। ओडिशा के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, एक डीम्ड यूनिवर्सिटी ने बोंडा जनजाति की एक शिल्पकार संबारी सिशा को नियुक्त किया है।

आपको बता दें कि देश के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों की पढ़ाई को स्किल से जोड़ने के लिए यूजीसी द्वारा दो साल पहले प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना लाई गई है। प्रोफेसर ऑफ पैक्टिस की भर्ती के जरिए शैक्षणिक संस्थानों में इंडस्ट्री और एक्सपर्ट्स को लाया जा रहा है। विभिन्न कंपनियों के सीईओ व एमडी भी इस भर्ती के लिए आवेदन कर रहे हैं। इस योजना के तहत बिना यूजीसी नेट या पीएचडी किए सीधा प्रोफेसर बना जा सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा को स्किल बेस्ट एजुकेशन से जोड़ने पर जोर दिया गया है। इसलिए यूजीसी पीओपी के जरिए उच्च शिक्षा में प्रैक्टिशनर, पॉलिसी मेकर्स, स्किल प्रोफेशनल्स की एंट्री कराकर इसका स्तर सुधारना चाहता है। विभिन्न क्षेत्रों के प्रोफेशनल्स और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाएंगे।

जानें क्या हैं  प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस ( पीओपी  ) के नियम
जिन व्यक्तियों की अपने विशिष्ट पेशे में कम से कम 15 साल की सेवा या अनुभव के साथ विशेषज्ञता है, वे 'प्रोफेसर्स आफ प्रैक्टिस' के लिए पात्र होंगे। ये शिक्षक नहीं होने चाहिए। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देशों के अनुसार इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, सिविल सेवा और सशस्त्र बलों जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ इस श्रेणी के अंतर्गत नियुक्ति के लिए पात्र होंगे। इसके लिए यूजीसी नेट या पीएचडी डिग्री की जरूरत नहीं है। नियुक्ति का आधार सिर्फ प्रोफेशनल अनुभव होगा।

पीओपी कॉन्ट्रेक्ट शुरू में एक वर्ष तक के लिए हो सकता है। किसी संस्थान में पीओपी की सेवा की अधिकतम अवधि तीन वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए और असाधारण मामलों में इसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। किसी भी सूरत में कुल सेवा अवधि चार वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें