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Teachers Day 2022: जहां की पढ़ाई, वहीं बन गए 'सबसे बड़े शिक्षक', कानपुर के इन गुरुओं पर सभी को है नाज

Teachers Day 2022 Special Story: सफलता का रास्ता तय करना आसान नहीं होता है, लेकिन जब इरादा मजबूत हो तो मंजिल मिल ही जाती है। इस कथन को कानपुर ये गुरु सही साबित करते हैं। पढ़ें इनकी स्टोरी-

Saumya Tiwari संवाददाता, कानपुरMon, 5 Sep 2022 04:29 AM
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Happy Teachers Day 2022: जहां से पढ़ाई की हो, वहीं पर शिक्षक, अधिकारी या मुख्य अतिथि बनना हर छात्र को गर्व से भर देता है। इस शिक्षक दिवस पर जानें कुछ ऐसे छात्रों की कहानी  जो वर्तमान में उसी संस्थान में सर्वोच्च पद पर विराजमान हैं। जहां कभी वे सामान्य छात्र के रूप में शिक्षा ग्रहण करने आए थे। इनमें आईआईटी निदेशक, एचबीटीयू कुलपति, सीएसजेएमयू कुलपति और एनएसआई निदेशक आदि शामिल हैं।

आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर 5 जी नेटवर्क पर अपनी रिसर्च पूरी कर चुके हैं और अब भारत सरकार के निर्देश पर 6 जी नेटवर्क पर अपना काम शुरू कर दिया है। आईआईटी बांबे के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अभय करंदीकर ने माधव इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, जिवाजी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर से बीटेक करने के बाद आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एमटेक और पीएचडी की पढ़ाई की है। 1995 में पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 2018 में प्रो. करंदीकर वापस निदेशक बनकर आईआईटी कानपुर आए।

सीएसजेएमयू कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने वर्ष 1991 में विवि से संबद्ध एचबीटीआई से बीटेक की पढ़ाई की। इससे पहले वर्ष 1986-87 में विवि से संबद्ध पीपीएन कॉलेज से बीए में दाखिला लिया था। मगर एक साल में बीए छोड़ बीटेक में दाखिला लिया। 10 से अधिक विश्वविद्यालयों में कुलपति का चार्ज संभाल चुके प्रो. पाठक वर्तमान में सीएसजेएमयू को डिजिटलाइज्ड करने के साथ छात्र-छात्राओं अत्याधुनिक कोर्स के साथ समाजसेवा का भी पाठ पढ़ा रहे हैं। आईआईजी व केजीएमयू जैसे संस्थानों के साथ समझौता कर छात्रों को अत्याधुनिक शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं।

एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन इस पद पर 2013 से विराजमान हैं। उन्होंने वर्ष 1984 से 86 के बीच शुगर टेक्नोलॉजी से मास्टर की पढ़ाई की है। फिर इसी संस्थान में 2000 से 2010 के बीच तकनीकी अधिकारी और फिर असिस्टेंट प्रोफेसर और हेड ऑफ डिपार्टमेंट बने। प्रो. मोहन ने सिर्फ इंस्टीट्यूट नहीं, चीनी उद्योग का ही मॉडल चेंज कर दिया है। संस्थान में अत्याधुनिक लैब, स्मार्ट क्लासरूम, चीनी मिल आदि बदलाव किया तो चीनी उद्योग को एक से बहुउत्पाद मॉडल बनाया है। ग्रीन एनर्जी, स्पेशलियटी शुगर, खोई से बहुउत्पाद तैयार कर चीनी उद्योग को फायदे में लेकर आए हैं।

जीएसवीएम की उप प्राचार्य डॉ. रिचा गिरि

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य और मेडिसिन विभाग की हेड प्रो. रिचा गिरि कभी इसी कॉलेज की स्टूडेंट रहीं। अब वहां के शिक्षकों का कर्ज उतारने के लिए जी-जान से जुटी हैं। अपने गुरुओं को गुरु दक्षिणा के रूप में भावी पीढ़ी को अच्छा डॉक्टर बनाने की कोशिश कर रही हैं। भावी डॉक्टर मेडिकल कॉलेज का नाम रोशन करें, इसलिए हर समय उनके स्किल को तराशने के लिए उन्हें मॉर्डन तरीके से शिक्षित कर रही हैं। प्रो. गिरि कहती हैं कि उनके जीवन को संवारने में कॉलेज के गुरुओं का अहम योगदान रहा। उनसे मिली शिक्षा अब अपने स्टूडेंट्स को दे रही हैं। साथ ही जिस विभाग में सालों पढ़ाई करती रहीं, अब उसकी तस्वीर बदलने का बीड़ा उठाया है।

एचबीटीयू के कुलपति प्रोफेसर समशेर

एचबीटीयू के कुलपति प्रोफेसर समशेर ने 1987 में इसी संस्थान से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली थी। घाटमपुर के दामोदर गांव के रहने वाले प्रोफेसर समशेर पढ़ाई के दौरान हर शनिवार को साइकिल से अपने घर चले जाते थे। उन्होंने लालटेन की रोशनी में पढ़ाई की। एचबीटीआई (अब एचबीटीयू) से पढ़ाई करने के बाद 1994 में उन्होंने दिल्ली से एमटेक और 2005 में आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की। शुरुआती दिनों में एनटीपीसी में सर्विस की। फिर दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी में बतौर शिक्षक ज्वाइन किया। यहां वह रजिस्ट्रार भी रहे। अप्रैल 2021 में अपने पूर्व संस्थान एचबीटीयू में बतौर कुलपति सेवाएं देना शुरू किया।

हैलट के प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके मौर्या

हैलट के प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या को एमएस की पढ़ाई में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के गुरुओं का योगदान जिन्दगी भर याद रहेगा। सर्जरी में उनकी बताई गई तकनीक ही उन्हें अच्छा सर्जन बनाने के लिए प्रेरित करती रहती है। शिक्षक दिवस हर बार अपने गुरुओं को याद दिलाता है। डॉक्टरी में तबके अनुशासन और मेहनत की सीख ने कठिन सर्जरी में विचलित न होने का जो मंत्र दिया है, उसी को अब भावी डॉक्टरों के बीच ले जा रहे हैं। शिक्षक दिवस पर हर गुरु मन-मस्तिष्क में एक बार सामने आ जाते हैं। अब उन्हीं की सीख को डॉक्टरों की भावी पीढ़ी के सामने रख रहे हैं।

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