UP Scholarship : नियम दरकिनार कर आवंटित हुई छात्रवृत्ति, 8 संस्थानों ने किया 75 लाख का घपला
समाज कल्याण विभाग से जारी छात्रवृत्ति की राशि में शिक्षा माफिया ने घोटाला किया और नियम विरुद्ध छात्रवृत्ति का आवंटन कराया। विभागीय ऑडिट में सच सामने आया तो मालूम चला कि महज आठ संस्थानों ने लगभग 75 लाख रुपये का घपला किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को मदद देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन शिक्षा माफिया गरीबों का हक मारने में लगे हैं। इसका एक उदाहरण दिखा समाज कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति आवंटन के मामले में। विभाग से जारी छात्रवृत्ति की राशि में शिक्षा माफिया ने घोटाला किया और नियम विरुद्ध छात्रवृत्ति का आवंटन कराया। विभागीय ऑडिट में सच सामने आया तो मालूम चला कि महज आठ संस्थानों ने लगभग 75 लाख रुपये का घपला किया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रमुख सचिव समाज कल्याण ने जांच कमेटी बैठाई, लेकिन जांच पूरी नहीं हो सकी है।
क्या है नियम
समाज कल्याण विभाग से अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने का नियम है। आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है। छात्र आवेदन करते हैं तो विद्यालय उसे जांच के बाद अग्रसारित करते हैं, जिस पर समाज कल्याण विभाग उसे शासन को भेजता है और छात्रवृत्ति दी जाती है। नियमानुसार छात्रवृत्ति न तो प्रबंधन कोटे से प्रवेश पाए छात्रों को दी जाती है और न ही प्रबंधन कोटे में ऑन द स्पॉट प्रवेश पाने वाले छात्रों को दी जाती है। इसके साथ ही एक ही प्रकार की शिक्षा जैसे स्नातक के समतुल्य दो कोर्स करने पर एक कोर्स के लिए ही छात्रवृत्ति दी जाती है। दोनों कोर्सों के लिए नहीं दी जाती है।
- आठ संस्थानों में समाज कल्याण की ऑडिट टीम ने पाई अनियमितता
- प्रबंधन कोटे से दिया प्रवेश और दो कोर्स में परीक्षार्थियों को दी छात्रवृत्ति
अब तक की जांच
टीम ने अब तक की जांच में गड़बड़ियां पाई हैं। जिसके आधार पर यह कहा है कि इन संस्थानों का डेटा लॉक होने से पहले इसकी जांच करना अनिवार्य है, लेकिन पूरी जब अब तक नहीं हो सकी है।
क्या किया संस्थानों ने
जिले के आठ संस्थानों ने वर्ष 2018-19 में अलग-अलग छात्रों को इन नियमों के विपरीत छात्रवृत्ति आवंटित की। जिसकी कुल धनराशि लगभग 75 लाख रुपये के आसपास बताई जा रही है। इनमें करछना के एक तकनीकी संस्थान में चार लाख 42 हजार रुपये की वित्तीय अनियमितता, झूंसी के एक कॉलेज में 11 लाख 20 हजार रुपये, सोरांव के एक संस्थान में वित्तीय वर्ष 2018-19 में 12 लाख चार हजार रुपये और वित्तीय वर्ष 2019-20 में 30 लाख रुपये, एक तकनीकी प्रबंधन कॉलेज में दो लाख 70 हजार रुपये, मांडा के एक कॉलेज में दो लाख 80 हजार रुपये, नैनी के एक संगठन के दो कॉलेजों में 12 लाख रुपये व एक फॉर्मेसी संस्थान में दो लाख रुपये की छात्रवृत्ति गलत तरीके से आंवटित करने की बात सामने आई।
ऑडिट में सामने आया सच
विभाग के ऑडिटर कपिल देव और अनूप कुमार ने जब सभी संस्थानों के वित्तीय लेखा-जोखा की जांच की तो यह अनियमितता पाई। इसकी रिपोर्ट भी प्रेषित की गई। इसके बाद प्रमुख सचिव समाज कल्याण ने उप निदेशक समाज कल्याण मंजूश्री श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की। मुख्यालय के वरिष्ठ सम्प्रेक्षक कपिल देव और नीरज मद्धेशिया को सदस्य बनाया गया।
दो कोर्स किया, दोनों में छात्रवृत्ति ली
टीम ने जब जांच की तो पाया कि किसी छात्र ने एक संस्थान से बीएड अधूरा छोड़ा और दूसरे संस्थान से बीटीसी का कोर्स किया। जबकि छात्रवृत्ति दोनों में ली। कहीं पर बीएड की छात्रवृत्ति ली और बाद में बीटीसी की छात्रवृत्ति भी ली। हंडिया के एक कॉलेज में तो एक छात्रा ने बीएड के बाद फिर बीएड कर उसी के लिए दूसरी बार छात्रवृत्ति ली।
उप निदेशक समाज कल्याण विभाग मंजूश्री श्रीवास्तव ने कहा, 'यह बात सच है कि ऑडिट में कुछ खामियां पाई गई हैं। मुख्यालय से जांच का आदेश भी आया है। कुछ कॉलेजों में गड़बड़ी पाई गई है। संयुक्त जांच का आदेश है। मुख्यालय से जब टीम आ जाए तो जांच पूरी कर ली जाएगी।'
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