यूपी : 82 फीसदी परिषदीय शिक्षकों की नहीं हो रही नई पेंशन की कटौती
नई पेंशन योजना लागू होने के 15 साल बाद भी बड़ी संख्या में शिक्षक और कर्मचारियों की कटौती शुरू नहीं हो सकी है। प्रयागराज में बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत...
नई पेंशन योजना लागू होने के 15 साल बाद भी बड़ी संख्या में शिक्षक और कर्मचारियों की कटौती शुरू नहीं हो सकी है। प्रयागराज में बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की हालत सबसे खराब है। 2005 के बाद नियुक्त और नवीन पेंशन योजना से आच्छादित 8307 शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों में से मात्र 1502 (18 प्रतिशत) की ही कटौती शुरू हो सकी है।
कुल 3636 का परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रान) आवंटित हो सका है। 4671 शिक्षकों एवं कर्मचारियों के प्रान आवंटन के लिए आवेदन तक नहीं हुए हैं। यही नहीं सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से संबद्ध 33 प्राथमिक विद्यालयों के 266 शिक्षकों की कटौती शुरू नहीं हो सकी है। संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों की कटौती भी नहीं हो रही है। नई पेंशन योजना सही तरीके से लागू न होने का ही नतीजा है कि रिटायरमेंट के बाद शिक्षक और कर्मचारी दवा-इलाज तक को मोहताज हैं।
इनका कहना है
देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव (जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ) ने कहा, 15 साल बाद भी योजना पूरी तरह से लागू न हो पाना अपने आप में बड़ा सवाल है। जिन लोगों की कटौती हो रही है, उसका कोई हिसाब या रखरखाव नहीं है। नई पेंशन योजना का कोई प्रत्यक्ष लाभ शिक्षकों को मिलता नहीं दिख रहा।
एडेड माध्यमिक विद्यालयों में हालात बेहतर
जिले के 180 से अधिक सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नई पेंशन कटौती की स्थिति बेसिक से बेहतर है। नवीन पेंशन योजना से 2025 कर्मी आच्छादित हैं। इनमें 1486 शिक्षक और 539 शिक्षणेत्तर कर्मचारी हैं। इनमें से 1785 की कटौती हो रही है।
यूपी में 28 मार्च 2005 को जारी हुई थी अधिसूचना
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 1 जनवरी 2004 को लागू की जाने वाली राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को उत्तर प्रदेश सरकार ने 28 मार्च 2005 को अधिसूचना जारी कर 1 अप्रैल 2005 से लागू किया। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों के मामले में 11 वर्ष तक कार्यवाही नहीं हुई। मई 2016 के वेतन से कटौती का आदेश तो हुआ, लेकिन आज भी हजारों की संख्या में शिक्षकों और कर्मचारियों का प्रान खाता भी नहीं खुला है।
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