यूपी : 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा के रिजल्ट में हेरफेर कर पहुंच गई हाईकोर्ट
उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों की 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में धांधली की जांच एसटीएफ कर रही है लेकिन इसके बावजूद फर्जीवाड़ा करने वालों का हौसला पस्त नहीं हुआ है। एक महिला अभ्यर्थी ने तो...
उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों की 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में धांधली की जांच एसटीएफ कर रही है लेकिन इसके बावजूद फर्जीवाड़ा करने वालों का हौसला पस्त नहीं हुआ है। एक महिला अभ्यर्थी ने तो अपने फेल अंकपत्र में हेरफेर कर खुद को पास बना लिया और परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। मामले की सुनवाई के दौरान जब उक्त अभ्यर्थी की मूल ओएमआर शीट प्रस्तुत की गई तो पता चला कि वह वास्तव में फेल है। हाईकोर्ट ने 6 अगस्त को अभ्यर्थी की याचिका खारिज कर दी।
उषा देवी (नाम परिवर्तित) को 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में 79 नंबर मिले थे। इंटरनेट से प्राप्त परिणाम में हेरफेर करते हुए अभ्यर्थी ने 79 को 107 बना दिया और नॉट क्वॉलीफाइड की जगह क्वालीफाइड लिख दिया। यही नहीं, इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका कर दी। उसका कहना था कि 12 मई को वेबसाइट पर जारी परिणाम जब उसने 19 मई को डाउनलोड किया तो वह उसमें पास थी। लेकिन 3 जून को वही परिणाम डाउनलोड किया तो उसमें उसे नॉट क्वालीफाइड दिखाया गया है।
6 अगस्त को सुनवाई के दौरान परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के अधिवक्ता ने अभ्यर्थी का परिणाम प्रस्तुत करते हुए बताया कि उसने अपने परिणाम के साथ छेड़छाड़ की है। वह वास्तव में फेल है। इस पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
68500 में एक अभ्यर्थी पर लगा था 25 हजार का अर्थदंड
प्रयागराज। बिना किसी ठोस आधार के परीक्षा कराने वाली संस्था पर सवाल उठाने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के लिए आयोजित लिखित परीक्षा में एक अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट में यह दावा करते हुए याचिका दायर कर दी थी कि वह पास है और उसकी कॉपी बदली गई है। कोर्ट ने जब मूल रिकॉर्ड मंगवाया तो पता चला कि अभ्यर्थी वाकई में फेल थे। सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि इस मामले में कोर्ट ने याचिका करने वाले पर 25 हजार रुपये फाइन लगाया था।
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