उत्तर प्रदेश 68500 शिक्षक भर्ती: सहायक अध्यापक भर्ती में हुई ये 5 बड़ी गड़बड़ियां
up 68500 shikshak bharti: 68500 सहायक शिक्षकों की भर्ती की सीबीआई जांच के आदेश से भर्ती में भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलित प्रतियोगी छात्र खुश हैं। छात्रों का मानना है कि इस भर्ती में बड़े पैमाने पर...
up 68500 shikshak bharti: 68500 सहायक शिक्षकों की भर्ती की सीबीआई जांच के आदेश से भर्ती में भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलित प्रतियोगी छात्र खुश हैं। छात्रों का मानना है कि इस भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। सीबीआई जांच से भर्ती में हुई तमाम गड़बड़ियों का खुलासा तो होगा ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी हो सकेगी। छात्रों ने हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है। वहीं इस भर्ती में सफल होकर नौकरी पाने वाले छात्र सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश के बाद सशंकित हैं। इन्हें इस बात का भय है कि कहीं सीबीआई की जांच रिपोर्ट आने के बाद भर्ती प्रक्रिया को निरस्त न कर दिया जाए।
पास को कर दिया गया फेल
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए सूबे में पहली बार कराई गई लिखित परीक्षा के परिणाम पर कई गंभीर सवाल उठ चुके हैं। गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद शासन स्तर पर गठित की गई टीम ने 1,07,825 कॉपियों की स्क्रूटनी करवाई थी। इसमें 343 कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी मिली थी। जिन कॉपियों में गड़बड़ी थी उनमें से 51 अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में पास थे लेकिन उन्हें फेल कर दिया गया था।
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फेल को कर दिया गया था पास
343 कॉपियों के मूल्यांकन में 53 ऐसे सफल अभ्यर्थी भी मिले थे जो इस परीक्षा में फेल पाए गए लेकिन इन्हें शिक्षक के पद पर नियुक्ति दे दी गई। इतना ही नहीं परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने दो ऐसे अभ्यर्थियों को भी सफल घोषित कर दिया था जो परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए थे।
मूल्यांकन में जमकर धांधली की शिकायत
शिक्षक भर्ती के मूल्यांकन में जमकर धांधली की शिकायत भी सामने आई है। ओवरराइटिंग, कटिंग और व्हाइटनर लगाने पर कुछ अभ्यर्थियों को नंबर दिए गए हैं जबकि कुछ को नंबर नहीं दिए गए। स्कैंड कॉपी प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों का यह भी आरोप है कि उनके कई प्रश्नों को जांच ही नहीं गया जबकि सही प्रश्नों को गलत करते हुए नंबर न देने की शिकायतें भी हुई हैं।
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आरक्षण में भी किया गया खेल
शिक्षक भर्ती के आरक्षण निर्धारण में भी खेल कर दिया गया था। 68500 रिक्त पदों के बजाए 41556 पदों के आधार पर आरक्षण निर्धारित किया गया। इस वजह से 6127 अभ्यर्थी चयन से बाहर हो गए थे। बाहर हुए अभ्यर्थियों ने आरक्षण निर्धारण के खिलाफ आवाज उठाई तो परिणाम में संशोधन करते हुए उन्हें सफल किया गया।
एक दिन में जांच दी गईं 100 कॉपियां
कॉपियों को जांचने में मानक का ख्याल नहीं रखा गया। एक शिक्षक से एक दिन में 100 से अधिक कॉपियों का मूल्यांकन करवाया गया। इस वजह से भी मूल्यांकन में गड़बड़ी हुई। परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्नों के बजाए सब्जेक्टिव प्रश्नों के आधार पर कराई गई, इस वजह से भी गड़बड़ियां हुईं। जांच के दौरान जिन 343 कॉपियों में गड़बड़ी पाई गई है उन्हें जांचने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति टीम ने की थी।
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इनके खिलाफ हुई कार्रवाई- चार अफसर किए गए निलंबित
शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट आने के बाद तीन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इनमें परीक्षा नियामक प्राधिकारी दफ्तर की सचिव सुक्ता सिंह, परीक्षा नियामक प्राधिकारी के तत्कालीन रजिस्ट्रार जीवेन्द्र सिंह ऐरी और उप रजिस्टार प्रेम चन्द्र कुशवाहा शामिल थे। जांच टीम ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सात अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की संस्तुति की थी। राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान की प्रोफेसर वर्चस्वनी जौहरी को भी निलंबित किया गया था हालांकि उन पर यह आरोप था कि वह जांच के दौरान अपने मोबाइल से फोटो और वीडियो ले रही थीं।
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