सूरत-ए-हाल : 28 बच्चों को पढ़ाने का हर माह खर्च 10 लाख रुपए
प्रयागराज के कई स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी कम है लेकिन इनकी पढ़ाई में संसाधन काफी ज्यादा लग रहा है। जिले के कई सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों क
शहरी क्षेत्र के कई सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या काफी कम है। अफसरों, प्रबंधन, शिक्षकों और अभिभावकों की उपेक्षा के कारण पठन-पाठन का स्तर भी गिरता जा रहा है। उदाहरण के तौर पर गोपीनाथ गिरिजा नंदिनी गर्ल्स इंटर कॉलेज को ही लें। यहां 64 छात्राओं को पढ़ाने के लिए 10 शिक्षिकाओं की तैनाती है। इसी प्रकार राधा रमण इंटर कॉलेज दारागंज, लवकुश उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, डॉ. केएन काटजू, इंडियन गर्ल्स इंटर कॉलेज, महिला ग्राम इंटर कॉलेज, महर्षि वाल्मीकि इंटर कॉलेज और कुलभाष्कर आश्रम इंटर कॉलेज में विद्यार्थियों की संख्या संतोषजनक नहीं है।
डेढ़ साल में नहीं कर सके समायोजन: माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसर सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सरप्लस शिक्षकों का समायोजन पिछले डेढ़ साल में नहीं कर सके हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने 22 दिसंबर 2023 को मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को सरप्लस शिक्षकों के समायोजन का आदेश दिया है। इससे पहले सात सितंबर 2022 को भी समायोजन के निर्देश दिए गए थे। लेकिन आज तक कार्यवाही पूरी नहीं हो सकी। इसके उलट जिन स्कूलों में पहले से सरप्लस शिक्षक कार्यरत थे वहीं पर दूसरे जिले के शिक्षकों का तबादला कर दिया गया।
राधा रमण गर्ल्स विद्यालय में 58 छात्राएं, सात शिक्षकों की है तैनाती
प्रयाग महिला विद्यापीठ इंटर कॉलेज में 64 छात्राओं (कक्षा छह से आठ तक 35 और नौ से 12 तक 29) को पढ़ाने के लिए 13 शिक्षिकाओं को 13 लाख रुपये वेतन मिल रहा है। इसी प्रकार राधा रमण गर्ल्स उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ऊंचामंडी में 58 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए कार्यरत सात शिक्षकों को सात लाख रुपये वेतन भुगतान हो रहा है।
छात्राओं को पढ़ाने को प्रयाग महिला विद्यापीठ में 13 शिक्षिकाएं
परशुराम इंटर कॉलेज नयापुरा में पंजीकृत छात्र-छात्राओं की संख्या 28 है और यहां दस शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें कक्षा छह से आठ तक 15, जबकि नौ से 12 तक 13 विद्यार्थी हैं। प्रत्येक शिक्षक को वेतन के रूप में औसतन एक लाख रुपये के हिसाब से प्रतिमाह दस लाख रुपये सरकारी खजाने से भुगतान होता है। साफ है कि मात्र 28 बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार हर महीने दस लाख रुपये खर्च कर रही है।
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