Hindi Newsकरियर न्यूज़Professor Recruitment without UGC NET and PhD degree in UP Lucknow university

यूपी के इस विश्वविद्यालय में होगी प्रोफेसर के पदों पर भर्ती, UGC NET व PhD डिग्री की नहीं होगी जरूरत

POP Recruitment : लखनऊ विश्वविद्यालय में यूजीसी के निर्देश पर प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति की शुरुआत होगी। पीओपी के लिए पीएचडी या यूजीसी नेट जैसी डिग्रियों की जरूरत नहीं होगी।

Pankaj Vijay लखनऊ, लखनऊWed, 31 July 2024 08:35 AM
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लखनऊ विश्वविद्यालय में यूजीसी के निर्देश पर प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति की शुरुआत होगी। जिसके जरिए अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ विश्वविद्यालय में आकर पढ़ाएंगे। इससे विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान भी मिलेगा। बुधवार को एकेडमिक काउंसिल की बैठक में फैसला होगा। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना की पहल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने की है। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में उद्योग, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, मीडिया, साहित्य व कला क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं।

पीएचडी या नेट अनिवार्यता नहीं होगी 
प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस वह लोग हो सकते हैं जो अपने मूल व्यवसाय से शिक्षक नहीं हैं और न ही उनके पास विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य के लिए पीएचडी या यूजीसी नेट जैसी निर्धारित योग्यता है। विश्वविद्यालय उनके व्यापक प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त कर सकते हैं। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस छात्रों को ऐसे विषय पढ़ाएंगे, जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है।

आपको बता दें कि देश के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों की पढ़ाई को स्किल से जोड़ने के लिए यूजीसी द्वारा दो साल पहले प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस (पीओपी) योजना लाई गई है। प्रोफेसर ऑफ पैक्टिस की भर्ती के जरिए शैक्षणिक संस्थानों में इंडस्ट्री और एक्सपर्ट्स को लाया जा रहा है। विभिन्न कंपनियों के सीईओ व एमडी भी इस भर्ती के लिए आवेदन कर रहे हैं। इस योजना के तहत बिना यूजीसी नेट या पीएचडी किए सीधा प्रोफेसर बना जा सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा को स्किल बेस्ट एजुकेशन से जोड़ने पर जोर दिया गया है। इसलिए यूजीसी पीओपी के जरिए उच्च शिक्षा में प्रैक्टिशनर, पॉलिसी मेकर्स, स्किल प्रोफेशनल्स की एंट्री कराकर इसका स्तर सुधारना चाहता है। 

पीओपी कॉन्ट्रेक्ट शुरू में एक वर्ष तक के लिए हो सकता है। किसी संस्थान में पीओपी की सेवा की अधिकतम अवधि तीन वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए और असाधारण मामलों में इसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। किसी भी सूरत में कुल सेवा अवधि चार वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

इन बड़े फैसलों पर भी लगेगी आज मुहर
एकेडमिक काउंसिल बैठक में विभिन्न विभागों की बोर्ड ऑफ स्टडीज में लिए गए फैसलों को रखा जाएगा। इसी तरह मल्टीपल एंट्री, बीबीए, एमबीए, एमबीए बिजनेस एनालिटिक्स और एमए स्तर के कई विषयों में ऑनलाइन कार्यक्रम आरंभ करने संबंधित प्रस्ताव पर भी मुहर लगाई जाएगी।

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