यूपी के मेडिकल कॉलेज ने 132 छात्रों को गलत तरीके से दिया MBBS में एडमिशन, सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 5 करोड़ का जुर्माना, स्टूडेंट्स को सुनाया ये फरमान
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एमबीबीएस कोर्स में विद्यार्थियों को दाखिला देने में नियमों के उल्लंघन को लेकर उत्तर प्रदेश के एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने...
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एमबीबीएस कोर्स में विद्यार्थियों को दाखिला देने में नियमों के उल्लंघन को लेकर उत्तर प्रदेश के एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने निर्देश दिए कि इस राशि का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेना चाह रहे जरूरतमंद छात्रों की मदद के लिए किया जाए।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि उन्नाव के सरस्वती मेडिकल कॉलेज ने मेडिकल शिक्षा महानिदेशक (डीजईएमई) उत्तर प्रदेश से सहमति लिए बगैर ही खुद से 132 छात्रों को दाखिला दे दिया।
पीठ ने कहा कि छात्रों के दाखिले को रद्द करने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा, लेकिन उन्हें उनका एमबीबीएस कोर्स पूरा होने के बाद दो साल सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया क्योंकि वे लोग बेकसूर नहीं हैं और उन्हें पता था कि उनके नाम की सिफारिश डीजीएमई ने नहीं की थी।
सरस्वती एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित किए जाने वाले मेडिकल कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एमसीआई के 29 सितंबर 2017 के नोटिस को चुनौती दी थी। इस नोटिस में एमसीआई द्वारा सरस्वती मेडिकल कॉलेज को 2017-18 अकादमिक वर्ष के लिए दाखिला लिए गये 150 छात्रों में 132 को निकालने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद एमबीबीएस छात्रों ने भी एक याचिका दायर की थी जिन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने देने की अनुमति देने संबंधी निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था।
कोर्ट ने कहा, ''कॉलेज द्वारा अकादमिक सत्र 2017-18 के लिए एमबीबीएस फर्स्ट ईयर में 132 छात्रों को दाखिला देना नियमों का इरादतन उल्लंघन है, जिसे माफ नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता कॉलेज को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में आठ हफ्तों के अंदर पांच करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया जाता है।' शीर्ष न्यायालय ने मेडिकल कॉलेज को यह निर्देश भी दिया कि यह राशि किसी भी रूप में छात्रों से नहीं वसूली जाए।
कोर्ट ने संबंद्ध यूनिवर्सिटी को 126 विद्यार्थियों (6 फर्स्ट ईयर में फेल हो गए थे) के लिए सेकेंड ईयर की परीक्षा आयोजित करने और परिणाम जारी करने के निर्देश भी दिए।
कोर्ट ने कहा, 'हम राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएसी) एक न्यास (ट्रस्ट) बनाने का निर्देश देते हैं। न्यास में उत्तर प्रदेश के अकाउंटेंट जनरल, एक प्रख्यात शिक्षाविद और राज्य के एक प्रतिनिधि को सदस्य के रूप में शामिल किया जाए।'
पीठ ने कहा, 'न्यास का गठन याचिकाकर्ता कॉलेज द्वारा जमा किये जाने वाले पांच करोड़ रुपये के प्रबंधन के लिए किया जाएगा। न्यास, उत्तर प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों में दाखिल लेने के इच्छुक एवं जरूरतमंद छात्रों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगा।'
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि एक कार्रवाई स्थिति रिपोर्ट (एटीआर) और 'ट्रस्ट-डीड की प्रति एनएमसी द्वारा 12 हफ्तों के अंदर न्यायालय में दाखिल की जाए।
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