Independence Day: गांधी जी को था जामिया से विशेष लगाव, जामिया के शिक्षकों-छात्रों ने अंग्रेजों के खिलाफ लिया था मोर्चा
Independence Day : महात्मा गांधी का जामिया से विशेष लगाव था। उनके बेटे देवदास गांधी जामिया में छात्रों को पढ़ाते थे और गांधी जी अपने पोते रसिकलाल का दाखिला जामिया के स्कूल में कराया था।
अंग्रेजी शिक्षा के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाराज छात्रों व स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले बुद्धिजीवियों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया की नींव डाली।
इस विश्वविद्यालय के शिक्षकों व छात्रों ने न केवल जमकर अंग्रेजों की मुखालफत की बल्कि रोजगारपरक आधुनिक शिक्षा पर भी बल दिया। जामिया ने भी अपने इतिहास और आजादी के इतिहास को एक संग्रहालय में दर्शाया है। जामिया के प्रेमचंद आर्काइव्स एंड लिट्रेसी सेंटर में इतिहास की प्रदर्शनी है। उस दौर के खत, किताबें और तस्वीरें आजादी के लिए जामिया के संस्थापकों के संघर्ष की दास्तां बयां करते हैं।
सेंटर की निदेशक सबीहा अंजुम जैदी बताती हैं कि 1920 में असहयोग और खिलाफत आंदोलनों ने ज़ोर पकड़ा तथा सामाजिक एकता और भाईचारे की भावना को बल मिला। इसके बाद महात्मा गांधी ने छात्रों से अपील की थी कि विदेशी हुकूमत के मदद से चलनेवाले शिक्षण संस्थानों को छोड़ दें। साथ ही उन्होंने ये भी आह्वान किया था कि राष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों की स्थापना की जाए। उसके बाद जामिया नींव पड़ी।
गांधी जी को था जामिया से विशेष लगाव
महात्मा गांधी का जामिया से विशेष लगाव था। उनके बेटे देवदास गांधी जामिया में छात्रों को पढ़ाते थे और गांधी जी अपने पोते रसिकलाल का दाखिला जामिया के स्कूल में कराया था। सबीहा अंजुम जैदी बताती हैं कि किसी कारण उनके पोते का निधन हो गया। गांधी जी जब भी जामिया आते थे वह कहते थे यहां के बच्चों में मुझे मेरा पोता नजर आता है।
1920 में अलीगढ़ में हुई थी स्थापना
1920 में मुस्लिम नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा अलीगढ़ में जामिया स्थापना की गई थी। संस्थापक नेताओं में से मुख्य, अली ब्रदर्स के नाम से मशहूर मुहम्मद अली जौहर और शौकत अली थे। इंडियन नेशनल कांग्रेस के राष्ट्रवादी नेता अबुल कलाम आजाद मुख्य संरक्षकों में से एक थे।
हैदराबाद के नवाब द्वारा दी राशि को अंग्रेजों ने रोका
जाकिर हुसैन ने जामिया की आर्थिक स्थिति खराब होने पर हैदराबाद के निजाम को चिट्ठी लिखी और उन्होंने इसके लिए राशि मंजूर की थी। लेकिन अंग्रेज अधिकारी टॉमसन ने इसे जारी करने के लिए विरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया था। ऐसा भी समय आया जब राशि पर अंग्रेजों ने रोक लगा दी। अंग्रेजों ने जामिया के शिक्षक शफीकुर्रहमान किदवई को जेल में भी डाल दिया।
छापाखाना में छपते थे क्रांतिकारियों के पर्चे
- जामिया मिल्लिया इस्लामिया उस समय शिक्षा का एक बड़ा केंद्र बनकर उभर रहा था। साथ में आजादी के आंदोलन में यहां के लोग भाग ले रहे थे। इसके छापाखाना में बड़ी संख्या में किताबें छपती थी और साथ में क्रांतिकारियों के पर्चे भी छपते थे। दुर्भाग्यवश विभाजन की विभीषिका में किसी ने इस छापाखाना में आग लगा दी।
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