Hindi Newsकरियर न्यूज़Five big challenges in the path of 69 thousand teachers recruitment

69 हजार शिक्षक भर्ती की राह में पांच बड़ी चुनौतियां

सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। सरकार की कोशिश चयनित अभ्यर्थियों को जल्द नियुक्ति देने की है। यही कारण है कि परिणाम जारी होने के...

Anuradha Pandey संजोग मिश्र, प्रयागराज Tue, 19 May 2020 06:38 AM
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सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। सरकार की कोशिश चयनित अभ्यर्थियों को जल्द नियुक्ति देने की है। यही कारण है कि परिणाम जारी होने के एक सप्ताह के अंदर आवेदन भी शुरू हो गए। लेकिन इस मेगा भर्ती को लेकर वर्तमान में कई चुनौतियां भी खड़ी हैं।

विभिन्न मुद्दों पर तमाम आवेदक वर्तमान में हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक चक्कर लगा रहे हैं। कुछ प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार हैं.

इस मुद्दे के तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की मांग है कि वे लोग जिन्होंने भर्ती प्रक्रिया के किसी भी चरण में आरक्षण का लाभ लिया है उनको उसी आरक्षित वर्ग में सीट दी जाए। हालांकि हाईकोर्ट लखनऊ खंडपीठ से कटऑफ मामले में पारित आदेश में साफ लिखा है कि लिखित परीक्षा सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया के लिए मात्र एक योग्यता परीक्षा है। फिलहाल सामान्य अभ्यर्थियों को ओवरलैपिंग के विरोध के मामले में राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। चुनौतियों से निपटना होगा

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कटऑफ मुद्दे का निस्तारण करते हुए 6 मई को 60/65 प्रतिशत (सामान्य के लिए 97 और ओबीसी, एससी, एसटी व अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 90 अंक) पर परिणाम जारी करने का आदेश दिया था। लेकिन इस आदेश से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी संतुष्ट नहीं है जिनमें मुख्यत: शिक्षामित्र हैं। शिक्षामित्रों का तर्क है कि 1 दिसंबर 2018 को जारी शासनादेश में कटऑफ का जिक्र नहीं था। सरकार ने नियम विरुद्ध तरीके से 6 जनवरी 2019 को आयोजित परीक्षा के एक दिन बाद कटऑफ लागू किया। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर कर दी है। ऐसा इसलिए किया है क्योंकि कटऑफ लागू होने के कारण बड़ी संख्या में शिक्षामित्र चयन प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं।

9 मई को जारी शिक्षक भर्ती परीक्षा की संशोधित उत्तरमाला को लेकर भी विवाद है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय का कहना है कि विशेषज्ञ समिति का गठन करके सभी आपत्तियों का निस्तारण किया गया है। पाठ्यक्रम के बाहर से पूछे गए हिन्दी के तीन प्रश्नों पर सभी अभ्यर्थियों को समान एक-एक नंबर (कुल तीन-तीन नंबर) दे दिए। लेकिन एक-दो नंबर से असफल अभ्यर्थी इस संशोधित उत्तरमाला से संतुष्ट नहीं हैं। सबसे अधिक विवाद नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक को लेकर है। विषय विशेषज्ञों ने मस्त्येन्द्रनाथ को सही माना है जबकि छात्र तथ्यों के साथ गोरखनाथ को सही बता रहे हैं। कुछ अन्य प्रश्नों पर भी विवाद है जिसे लेकर असफल अभ्यर्थी हाईकोर्ट का रुख कर रहे हैं।

 

 

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