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Hindi Newsकरियर न्यूज़CBSE Extra marks: 10 thousand students pass in 12th with CBSE extra marks

CBSE Extra marks : सीबीएसई अतिरिक्त अंक से 12वीं में 10 हजार विद्यार्थी पास

सीबीएसई की अतिरिक्त अंक नीति यानी मॉडरेशन पॉलिसी से सूबे के 10 हजार से अधिक छात्र 12वीं में पास हुए। इन्हें अतिरिक्त तीन से पांच अंक देकर सैद्धांतिक परीक्षा में पास किया गया। रिजल्ट तैयार होने के समय

Anuradha Pandey वरीय संवाददाता, पटनाWed, 31 May 2023 01:22 AM
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सीबीएसई की अतिरिक्त अंक नीति यानी मॉडरेशन पॉलिसी से सूबे के 10 हजार से अधिक छात्र 12वीं में पास हुए। इन्हें अतिरिक्त तीन से पांच अंक देकर सैद्धांतिक परीक्षा में पास किया गया। रिजल्ट तैयार होने के समय देखा गया है कि ज्यादातर राज्यों में फेल छात्रों की संख्या 20 से 30 फीसदी तक थी। बिहार की बात करें तो 30 फीसदी छात्र सैद्धांतिक परीक्षा में तीन से लेकर पांच अंकों से फेल हो रहे थे। संख्या अधिक होने के कारण अतिरिक्त अंक नीति का नियम लागू किया गया। मालूम हो कि सूबे से 59900 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। इनमें 48476 पास हुए और 11424 फेल हो गए।भौतिकी, रसायन शास्त्रत्त्, गणित, जीवविज्ञान, एकाउंटेंसी, इतिहास, अर्थशास्त्रत्त् आदि विषयों में छात्रों की संख्या ज्यादा थी, जिन्हें ग्रेस अंक दिए गए। बोर्ड की बैठक में निर्णय लिये जाने के बाद छात्रों को अंक देकर पास किया गया। बता दें कि 2022 में 12वीं में बिहार से 90.46 छात्रों को सफलता मिली थी। लेकिन इस बार 25 से 30 फीसदी रिजल्ट में गिरावट आई थी। 12वीं बोर्ड के प्रायोगिक विषयों में छात्र को प्रायोगिक परीक्षा और सैद्धांतिक परीक्षा दोनों में अलग-अलग पास करना जरूरी है।

ज्यादातर छात्र स्कूल के सहयोग से प्रायोगिक परीक्षा पास हुए, लेकिन सैद्धांतिक परीक्षा में अटक गये। बता दें कि प्रायोगिक विषय की सैद्धांतिक परीक्षा 70 अंकों की होती है। इसमें पास करने के लिए 23 अंक चाहिए।

वहीं बिना प्रायोगिक विषय की सैद्धांतिक परीक्षा 80 अंकों की होती है। इसमें पास करने के लिए 27 अंकों की आवश्यकता है। प्रायोगिक विषय की सैद्धांतिक परीक्षा में अधिकतर छात्र-छात्राओं को 18 से 20 अंक सैद्धांतिक परीक्षा में प्राप्त हुए।

क्या है अतिरिक्त अंक नीति

अतिरिक्त अंक नीति को मॉडरेशन पॉलिसी कहा जाता है। सीबीएसई भी अपने छात्रों को अतिरिक्त अंक (ग्रेस अंक) देता है। ये अंक चार-पांच अंक से फेल होने वाले या कठिन सवालों के लिए दिये जाते हैं। सीबीएसई ने 1992 में इस नीति को अपनाया, लेकिन बाद में इसे खत्म कर दिया। लेकिन कोरोना काल में पढ़ाई व बच्चों के तनाव को देखते हुए इस बार यह नीति लागू की गई।

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