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Bihar board 10th result 2020: 38 आदर्श विद्यालयों में मात्र दो मेरिट लिस्ट में

मैट्रिक रिजल्ट जारी हो चुका है। रिजल्ट में 80 फीसदी से अधिक विद्यार्थी सफल रहे। इसके बावजूद प्रदेश के आदर्श विद्यालय मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना पाए। प्रदेश भर की बात करें तो मात्र दो आदर्श विद्यालय...

Anuradha Pandey वरीय संवाददाता, पटनाFri, 29 May 2020 08:05 AM
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मैट्रिक रिजल्ट जारी हो चुका है। रिजल्ट में 80 फीसदी से अधिक विद्यार्थी सफल रहे। इसके बावजूद प्रदेश के आदर्श विद्यालय मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना पाए। प्रदेश भर की बात करें तो मात्र दो आदर्श विद्यालय के एक-एक विद्यार्थी ने टॉप-10 में जगह बनायी है।

इसमें एक विक्टोरिया मेमोरियल हाई स्कूल सीवान का छात्र श्लोक तुलिसयोन है जिसे 10वां स्थान मिला है। वहीं दूसरा आदर्श विद्यालय प्लस टू बालिका उच्च विद्यालय अरवल की जूली कुमारी है। जूली कुमारी ने टॉप-10 में तीसरा स्थान प्राप्त की है। इसके अलावा 36 आदर्श विद्यालय से एक भी छात्र मेरिट में जगह नहीं बना पाए। ज्यादातर आदर्श विद्यालय के 35 से 40 फीसदी तक बच्चे का मैट्रिक परीक्षा में असफल रहे हैं। इन विद्यालयों में प्रथम श्रेणी के साथ द्वितीय और तृतीय श्रेणी प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं *बढ़ पायी।

पटना के बांकीपुर गर्ल्स हाई स्कूल आदर्श विद्यालय की बात करें तो 377 में मात्र 108 छात्राएं ही प्रथम श्रेणी तक पहुंच पायी हैं। वहीं विक्टोरिया मेमोरियल हाई स्कूल आदर्श विद्यालय की बात करें तो 479 में 157 छात्र को ही प्रथम श्रेणी मिला। यही स्थिति तमाम आदर्श विद्यालयों की है।

मूलभूत संरचना पर चयनित हुए थे आदर्श विद्यालय: बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा प्रत्येक जिला से एक-एक माध्यमिक विद्यालय को आदर्श विद्यालय बनाया गया था। ये ऐसे विद्यालय हैं जहां पर मूलभूत संरचना के साथ समूचित शिक्षक भी कार्यरत हैं। इन विद्यालयों में नियमित क्लासेस भी होती है। लैब के साथ लाइब्रेरी की सुविधा भी है। इन विद्यालयों को आदर्श रूप में रख कर रिजल्ट दिखाना मकसद था।

ग्रामीण इलाकों में कोचिंग की बेहतरीन सुविधा

मैट्रिक का रिजल्ट बेहतर हो इसके लिए बोर्ड ने परीक्षा पैटर्न में किए कई बदलाव किये हैं। इसकी वजह से हमेशा से टॉप करने वाले स्कूलों की स्थिति बदल गयी है। इस बार के रिजल्ट में बिहार के ग्रामीण इलाके की प्रतिभाओं का ही बोलबाला रहा है। ग्रामीण इलाके में कोचिंग की बेहतरीन सुविधा से मेधावी छात्रों को पंख लग रहे हैं। गांवों में कई बेहतरीन शिक्षक हैं जो बच्चों को बेहतर पढ़ाई करवा रहे हैं। दूसरे जिलों की बात करें तो सीवान में भी ग्रामीण क्षेत्र के हाईस्कूलों में छात्र-छात्राओं ने अच्छा प्रदर्शन किया है। सारण में ग्रामीण इलाके के विद्यालयों के बच्चे जिला टॉपर बने हैं। गोपालगंज में भी कई प्रतिभाएं उभर कर सामने आयी हैं।

आदर्श विद्यालय नहीं बन पा रहा आदर्श

स्कूलों को आदर्श विद्यालय तो बना दिया गया। लेकिन मैट्रिक या इंटर के रिजल्ट में ये दूसरे स्कूलों के आदर्श नहीं बन पा रहा है। पिछले तीन सालों की बात करें तो इन स्कूलों को 2017 में आदर्श विद्यालय बनाया गया। लेकिन हर बार रिजल्ट में स्कूल दूसरे अन्य स्कूलों की तरह ही रहता है।

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