Hindi Newsकरियर न्यूज़BEd Vs BTC DElEd: Now there will be less and more jobs for DELED after supreme court judgement

BEd Vs BTC DElEd : अब डीएलएड वाले कम और नौकरियां ज्यादा होंगी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से डीएलएड प्रशिक्षितों को फिलहाल एक तरह से नौकरी की गारंटी है। इस वक्त प्रदेश के डायटों में डीएलएड के दो बैच चल रहे हैं। 2019-21 बैच के 631 छात्र इस वर्ष पास होने जा रहे हैं

Pankaj Vijay विशेष संवाददाता, विशेष संवाददाताSat, 12 Aug 2023 08:41 AM
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से डीएलएड प्रशिक्षितों को फिलहाल एक तरह से नौकरी की गारंटी है। इस वक्त प्रदेश के डायटों में डीएलएड के दो बैच चल रहे हैं। इनमें 2019-21 बैच के 631 छात्र इस वर्ष पास होने जा रहे हैं। यह बैच विलंब से चल रहा है। करीब 550 छात्रों का दूसरा बैच अगले वर्ष पासआउट होगा। जहां इस वक्त बेसिक शिक्षक के करीब तीन हजार पदों पर भर्ती होनी है, वहीं दावेदार 1100 के करीब ही होंगे।

द्विवर्षीय डीएलएड प्रशिक्षित संघ के पूर्व अध्यक्ष हिमांशु जोशी ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है। नौकरी में किसी का विरोध नहीं है, पर हकीकत जाननी भी जरूरी है। असल में डीएलएड प्रशिक्षित के पास सिर्फ बेसिक शिक्षक बनने का ही मौका होता है। वो किसी और पद के लिए आवेदन नहीं कर सकते। विधिवत परीक्षा देकर चयन व दो वर्ष की नियमित पढ़ाई के बाद उसे डीएलएड प्रमाणपत्र मिलता है। उसके बाद उसे टीईटी-प्रथम भी पास करनी होती है जबकि बीएड में ऐसा नहीं है। बीएड डिग्रीधारक एलटी व प्रवक्ता के लिए पात्र होते हैं। वो उच्च शिक्षा में भी आवेदन कर सकते हैं। ऐसे में बेसिक शिक्षक के लिए डीएलएड प्रशिक्षित को ही पात्र माना जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सत्यापित कापी मिलने के बाद ही इस विषय पर कुछ कहा जा सकता है। यह देखना होगा कि अदालत ने किस परिप्रेक्ष्य में आदेश किया है। उसमें किन मानकों को लेकर टिप्पणी की गई हैं। -रामकृष्ण उनियालनिदेशक बेसिक शिक्षा

उत्तराखंड में 85 हजार से ज्यादा बीएड प्रशिक्षितों को झटका 
बेसिक शिक्षक के लिए बीएड की डिग्री को अमान्य करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्तराखंड में खासी हलचल है। इस फैसले से उत्तराखंड में 85 हजार से ज्यादा बीएड प्रशिक्षितों को झटका लगा है। वहीं, डीएलएड कर रहे युवाओं में खुशी की लहर है। ये फैसला लागू होने पर फिलहाल एक तरह से राज्य में उनकी नौकरी की गारंटी हो जाएगी।

दरअसल, राज्य में वर्तमान में बेसिक शिक्षकों के 800 पदों पर भर्ती लंबित है। साथ ही 2350 और पदों पर भर्ती का प्रस्ताव शासन के विचाराधीन है। बीएड प्रशिक्षितों को डर है कि प्रदेश में उक्त फैसला लागू होने से, उनके हाथ से इन तीन हजार से ज्यादा भर्तियों में शामिल होने का मौका चला जाएगा।

मालूम हो कि पूर्व में बीएड की डिग्री को लेकर मामले की सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने बीएड डिग्री को बेसिक शिक्षक के लिए अमान्य करार दिया था। उस फैसले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी

फिर टूट गई बीएड प्रशिक्षितों की आस
बेसिक शिक्षक भर्ती में यह दूसरा मौका है जब बीएड डिग्री वालों को झटका लगा है। इससे पहले वर्ष 2010 में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षक परिषद (एनसीटीई) ने बीएड को बेसिक शिक्षक की पात्रता से हटा दिया था। इसके बाद बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों के लंबे आंदोलन के बाद 2018 में एनसीटीई ने बीएड को दोबारा रियायत दे दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने से बीएड प्रशिक्षित एक बार फिर से गहरी चिंता में हैं।

बीएड प्रशिक्षित बेरोजगार महासंघ के प्रवक्ता अरविंद राणा कहते हैं कि इस फैसले से सभी बीएड बेरोजगार असमंजस में हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तो एक तरह से एनसीटीई की 2018 की अधिसूचना पर ही सवाल उठ गया है। 2018 में बीएड टीईटी की रियायत मिलने के बाद से उत्तराखंड में बेसिक शिक्षकों की चार भर्तियां हो चुकी हैं। चौथी भर्ती अभी गतिमान है, जिसमें 800 पदों पर नियुक्तियां होनी हैं।

राणा ने कहा कि अभी तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं है। सभी बेरोजगार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सत्यापित कापी का इंतजार कर रहे हैं। बहरहाल, सरकार को चाहिए कि राज्य के बेरोजगारों के हितों पर आंच न आने दे। राज्य में 2019 में सेवा नियमावली संशोधित की जा चुकी है। सरकार को 2018 की सभी भर्तियों में बीएड टीईटी को मान्य रखते हुए भविष्य के लिए यही व्यवस्था बहाल रखने का प्रयास करना चाहिए।

मालूम हो राज्य में बीएड प्रशिक्षितों की संख्या 85,574 है। ये वो बीएड प्रशिक्षित हैं, जिन्होंने 2011 से 2022 के दौरान समय-समय पर हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास की। यदि टीईटी पास न कर पाने वालों को भी शामिल किया जाए तो यह संख्या और भी ज्यादा हो जाती है।

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