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जनवरी अंत तक 23 ITI बनेंगे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, ISRO के सहयोग से शुरू होगा प्रशिक्षण

बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने 5436 करोड़ रुपए खर्च होंगे राज्य के सभी आईटीआई संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की योजना बनाई है। इस योजना के पहले चरण में जनवरी के अंत तक 23 संस्थानों को सेंटर ऑफ ए

Alakha Ram Singh हिन्दुस्तान ब्यूरो, पटनाSat, 30 Dec 2023 01:46 PM
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राज्य के 149 आईटीआई को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाना है। प्रथम फेज में 60 आईटीआई को यह दर्जा दिया जाना था। इनमें 37 में काम पूर्ण हो चुका है। शेष बचे 23 आईटीआई को जनवरी 2024 में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाये जाने के बाद यहां प्रशिक्षण शुरू हो जाएगा। इन सभी 23 आईटीआई में आवश्यक कमरे, लैब और वर्कशॉप लगभग तैयार हैं। वैसे तो इनमें 23 कोर्स शुरू होने हैं, लेकिन जनवरी 2024 से करीब दर्जन भर कोर्स ही शुरू हो सकेंगे। शेष कोर्स भी जल्द शुरू करने की तैयारी है। दूसरे फेज के तहत 89 आईटीआई में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए अप्रैल से यहां वर्कशॉप आदि का काम शुरू हो जाएगा।

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत 7800 क्वायर फीट का वर्कशॉप और 2200 क्वायर फीट में टेक्नोलॉजी लैब स्थापित करने का प्रावधान है। सभी 149 आईटीआई को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए 5436.22 करोड़ रुपए खर्च का प्रावधान किया गया है। 2023 अंत तक शेष 89 आईटीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का लक्ष्य है। आईटीआई में हर उद्योग की नई जरूरत के अनुसार 23 नए कोर्स में हर साल 15 हजार युवाओं को प्रशिक्षण मिलना है। प्रशिक्षण देने वाली कंपनियां इन्हें रोजगार देने और दिलाने में मदद करेगी। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की जिम्मेवारी टाटा टेक्नोलॉजी की है। टाटा टेक सहयोगी कंपनियों के साथ 298 प्रशिक्षक की सभी आईटीआई में प्रशिक्षण देने के लिए नियुक्ति करनी है। सभी आईटीआई के प्राचार्य और इंस्ट्रक्टर को भी प्रशिक्षण दिलाएगा। बिहार में उन उद्योग प्रतिष्ठानों का निवेश मिलेगा, जो उद्योग 4.0 ओर विनिर्माण के लिए स्मार्ट टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए इच्छुक हैं। थ्री डी, रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, आईओटी, ऑटोमेशन और आर्टिसनशिप जैसे नवीनतम तकनीक सहित 23 कोर्स की सुविधा होगी।

क्यों पड़ी जरूरत?
बिहार के आईटीआई पुरानी तकनीक पर आधारित हैं। जबकि देश के उद्योग के बदलते हुए परिवेश को देखते हुए नई तकनीकों से लैस करना आवश्यक है। इससे बिहार के युवा तकनीकी प्रशिक्षण के बाद सीधे उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगे। साथ ही वे उस मानक के अनुरुप होंगे। उनके लिए अधिक अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। यह युवाओं को बेहतर रोजगार में मदद करेगा।

इन 23 कोर्स में इसरो भी करेगा सहयोग, युवा लेंगे प्रशिक्षण
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