Hindi Newsकरियर न्यूज़PhD : Indian girl student spent Rs 1 crore on PhD course forcibly removed by Oxford university in fourth year

भारतीय छात्रा ने PhD पर खर्च किए 1 करोड़ रुपये, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने बीच में ही कोर्स से किया बाहर

  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने शेक्सपीयर पर रिसर्च वर्क पसंद न आने पर एक भारतीय छात्रा को पीएचडी से बाहर निकाल दिया है। तमिलनाडु की रहने वाली इस छात्रा ने पीएचडी पर 1 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए थे।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 26 Oct 2024 06:27 PM
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ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने शोध कार्य पसंद न आने पर एक भारतीय छात्रा को पीएचडी से बाहर निकाल दिया है। तमिलनाडु की रहने वाली इस छात्रा ने दुनिया की प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में पीएचडी करने के लिए 1 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए थे। रिपोर्ट के मुताबिक लक्ष्मी बालकृष्णन को उनकी सहमति के बिना चौथे वर्ष में जबरन पीएचडी डिग्री कोर्स हटाकर मास्टर्स कोर्स में ट्रांसफर कर दिया गया।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक लक्ष्मी बालकृष्णन के पास पहले से ही दो मास्टर्स डिग्री हैं। पीएचडी शोध का मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों ने उन्हें बताया कि उनका शेक्सपियर रिसर्च वर्क पीएचडी लेवल का नहीं है। उन्हें पीएचडी के चौथे वर्ष में फेल कर दिया गया।

लक्ष्मी बालकृष्णन ने कहा, "उन्होंने मुझे पीएचडी प्रोग्राम से जबरन हटा दिया और मेरी रजामंदी बैगर मुझे मास्टर्स लेवल के कोर्स में ट्रांसफर कर दिया। मेरे पास पहले से ही भारत से दो मास्टर्स डिग्री हैं और मैंने ऑक्सफोर्ड में पीएचडी करने के लिए 100,000 पाउंड (करीब 1.09 करोड़ रुपये) का भुगतान किया था, न कि किसी अन्य मास्टर्स कोर्स के लिए।'

हालांकि शेक्सपियर विषय में विशेषज्ञता रखने वाले दो प्रोफेसरों का कहना है कि उनका शोध पीएचडी लायक है। हालांकि इंडीपेंडेंट एडजुडिकेटर ऑफिस (ओआईए) ने इस मामले पर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के निर्णय को बरकरार रखा।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने बयान में कहा कि अगर कोई छात्र शोध कार्य के मूल्यांकन के परिणाम से असहमत होता है तो उसे विश्वविद्यालय की अपील प्रक्रिया के तहत अपील करने का अधिकार है। इससे निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। उस निर्णय के खिलाफ अपील करने का एक और इंटरनल रास्ता है। उसके बाद ओआईए से शिकायत करने का अधिकार है।

यूनिवर्सिटी की ओर से ठगा सा महसूस करते हुए बालकृष्णन ने कहा, 'मैं अपने साथ विश्वासघात जैसा महसूस कर रही हूं। जिस संस्थान का मैं बहुत सम्मान करती थी, उसने मुझे धोखा दिया है।'

भारतीय छात्रा ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के फैसले के खिलाफ कानूनी रास्ता भी अपनाया लेकिन वो नाकाम रहा। उन्होंने कहा, 'लगता है कि विश्वविद्यालय चाहता है कि मैं बार बार अपील और शिकायत करने जैसे चक्करों में ही फंसी रहूं। उसे लगता है कि मैं आखिर में हार मान लूंगी और चली जाऊंगी।'

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