PhD : IIM ने पीएचडी एडमिशन में शुरू किया SC, ST, OBC कोटा, पात्रता डिग्री में 5 प्रतिशत अंकों की भी छूट
- IIM अहमदाबाद ने अपने पीएचडी कोर्सेज में दाखिले के लिए एससी, एसटी, ओबीसी, दिव्यांग कोटा शुरू किया है। आरक्षित श्रेणियों के उम्मीदवारों को पात्रता के लिए न्यूनतम डिग्री में जरूरी मार्क्स में 5 प्रतिशत अंकों की छूट दी जाएगी।
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद ने अपने पीएचडी कोर्सेज में दाखिले के लिए कोटा शुरू किया है। इस फैसले का मकसद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और विकलांग व्यक्तियों सहित आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को देश के शीर्ष बिजनेस स्कूल की ओर से कराए जा रहे मैनेजमेंट डॉक्टरेट प्रोग्राम (या मैनेजमेंट में फेलो कार्यक्रम) के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाना है। हालांकि आईआईएम अहमदाबाद की ओर से अभी तक इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है कि कोटा सिस्टम कैसे लागू किया जाएगा। ऑनलाइन नोटिस में बताया गया है कि "एडमिशन के दौरान आरक्षण को लेकर भारत सरकार के दिशानिर्देशों का पालन किया जाता है।"
इसके अलावा विज्ञापन के अनुसार आरक्षित श्रेणियों के उम्मीदवारों को पात्रता के लिए न्यूनतम डिग्री में जरूरी मार्क्स में 5 प्रतिशत अंकों की छूट दी जाएगी। इसमें लिखा है, "यदि कोई उम्मीदवार अनुसूचित जाति (एससी)/अनुसूचित जनजाति (एसटी)/विकलांग व्यक्ति (पीडब्ल्यूडी)/गैर-क्रीमी अन्य पिछड़ा वर्ग (एनसी-ओबीसी)/आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से है तो न्यूनतम पात्रता वाली डिग्री में 5 प्रतिशत अंकों की छूट दी जाएगी।"
कोटा लागू करने का फैसला गुजरात उच्च न्यायालय में 2021 में दायर उस याचिका के मद्देनजर आया है, जिसमें आईआईएम अहमदाबाद के पीएचडी कार्स में एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण लागू करने की मांग की गई थी। आईआईएम के पूर्व छात्र संघ ग्लोबल आईआईएम एलुमनी नेटवर्क ने जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि आईआईएम अहमदाबाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा शासित और वित्त पोषित है लेकिन यह पीएचडी एडमिशन में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम, 2006 का उल्लंघन कर रहा है।
आईआईएम अहमदाबाद ने हलफनामे में कहा था कि पीएचडी में आरक्षण लागू करने से अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं और अन्य योग्य और मेधावी छात्रों को असमानता का सामना कर पड़ सकता है। बी-स्कूल ने कहा था कि आरक्षण नीतियों को लागू न करना व्यापक हित में है।"
अक्टूबर 2023 में स्थान ने गुजरात उच्च न्यायालय को बताया कि वह अपने पीएचडी कोर्स में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए तैयार है।
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