नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म, 5 आसान पॉइंट्स में समझे नए बदलाव को
- No Detention Policy Ends: शिक्षा मंत्रालय ने नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के नए नियमों के मुताबिक, अब 5वीं और 8वीं के छात्रों को वार्षिक परीक्षा में असफल होने पर फेल किया जाएगा।
No Detention Policy : शिक्षा मंत्रालय ने नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के नए नियमों के मुताबिक, अब 5वीं और 8वीं के छात्रों को वार्षिक परीक्षा में असफल होने पर फेल किया जाएगा। कक्षा 5वीं और 8वीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा, अगर वे परीक्षा पास कर लेंगे तो उन्हें अगली कक्षा में बैठने दिया जाएगा और अगर वे इस परीक्षा में असफल हो जाते हैं तो उन्हें दोबारा से उसी कक्षा में पढ़ना होगा।
5 पॉइंट्स में समझें नए पॉलिसी को-
1. नो डिटेंशन पॉलिसी शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की एक अहम पॉलिसी थी। इस पॉलिसी के अंतर्गत कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों को फेल नहीं किया जाता था। इस पॉलिसी के तहत सभी विद्यार्थियों को परंपरागत परीक्षाओं का सामना किए बिना अपने आप अगली कक्षा में प्रमोट किया जाता था। यह पॉलिसी छात्रों के सतत और व्यापक मूल्यांकन पर जोर देती थी।
2. शिक्षा मंत्रालय का यह निर्णय 2019 के शिक्षा का अधिकार अधिनियम में किए गए संशोधन को पलट देगा। नए नियमों के अनुसार, जो बच्चे अपनी वार्षिक परीक्षा में फेल होंगे, उन्हें दो महीने के अंदर अगली कक्षा में जाने का मौका दिया जाएगा। अगर वे दोबारा हुई परीक्षा में पास होने के नियमों को पूरा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें दोबारा से उसी कक्षा में पढ़ना होगा।
3. जो बच्चे फेल हो जाते हैं और उन्हें उसी कक्षा में रोक दिया जाता है तो इस स्थिति में क्लास टीचर छात्र के साथ-साथ उसके माता-पिता का भी मार्गदर्शन करेंगे। टीचर छात्र के लर्निंग गैप्स की पहचान करने के बाद माता-पिता को इसकी जानकारी देंगे।
4. आपको बता दें कि सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि 5वीं और 8वीं में फेल होने विद्यार्थियों को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा।
5. शिक्षा मंत्रालय ने यह निर्णय छात्रों के पढ़ाई के रिजल्ट को सुधारने के उद्देश्य से लिया है। रटने और प्रक्रियात्मक स्किल पर आधारित सवालों के बजाय बच्चों के ओवरऑल डेवलपमेंट और प्रैक्टिकल नॉलेज को परखा जाएगा। इस नई पॉलिसी से छात्रों और शिक्षकों दोनों को पढ़ाई के प्रति ज्यादा जिम्मेदार बनाने की कोशिश की गई है।
कम से कम 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 के तहत स्थापित नो-डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला किया है, जबकि 16 अन्य ने इसे बनाए रखने का विकल्प चुना है।
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