Hindi Newsकरियर न्यूज़NEP 2020: National Education Policy What has Changed and What is Yet to Come

NEP : राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद क्या बदला, क्या अभी है बाकी, जानें डिटेल्स

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का मकसद छात्रों को 21वीं सदी की स्किल से लैस करना है। शिक्षा को रोजगारपरक बनाना है। स्कूलों में बच्चों को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा देना है।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 2 Jan 2025 11:05 PM
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देश की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार के लिए वर्ष 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई। इसने वर्ष 1986 की शिक्षा नीति की जगह ली। करीब 34 साल बाद आई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए। शिक्षा के सभी स्तरों पर गुणवत्ता लाने, समानता और एजुकेशन तक पहुंच के फासले को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लाया गया। दिसंबर 2024 में कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों को लेकर एक महत्वपूर्ण बदलाव लागू किया गया। नई शिक्षा नीति के तहत फैसला लिया गया कि अब कक्षा पांच और आठ में भी बच्चों को फेल किया जाएगा। इससे पहले बच्चों के प्रदर्शन की परवाह किए बिना 5वीं 8वीं कक्षाओं के छात्रों को फेल होने के बावजूद अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था। पहले के प्रावधान का उद्देश्य ‘तनाव-मुक्त’ सीखने के माहौल को बढ़ावा देना था। लेकिन अक्सर छात्रों को बुनियादी अवधारणाओं की समझ के बिना ही आगे बढ़ना पड़ता था। अब शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए 5वीं 8वीं में फेल करने की नीति लागू की गई है। अब अगर कोई इन कक्षाओं में फेल हो जाता है तो उसे उसी कक्षा में फिर से बैठना पड़ेगा।

क्यों लाई गई नई शिक्षा नीति

शिक्षा एक विकसित राष्ट्र के निर्माण की आधारशिला है। भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत की शिक्षा व्यवस्था इस सपने को साकार करने में अहम साबित होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस कड़ी में एक अहम बदलाव है। एनईपी 2020 का उद्देश्य शिक्षा को अधिक समावेशी, न्यायसंगत और भारतीय संस्कृति के मुताबिक बनाना है। साथ ही छात्रों को 21वीं सदी की स्किल से लैस करना है। शिक्षा को रोजगारपरक बनाना है। स्कूलों में बच्चों को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा देना है।

नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में 10+2 सिस्टम खत्म कर 5+3+3+4 फॉर्मेट को लाना है। अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा। अगले तीन साल का स्टेज कक्षा 3 से 5 तक का होगा। इसके बाद 3 साल का मिडिल स्टेज आएगा यानी कक्षा 6 से 8 तक का स्टेज। अब छठी से बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी। स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। चौथा स्टेज (कक्षा 9 से 12वीं तक का) 4 साल का होगा। इसमें छात्रों को विषय चुनने की आजादी रहेगी। साइंस या गणित के साथ फैशन डिजाइनिंग भी पढ़ने की आजादी होगी। पहले कक्षा एक से 10 तक सामान्य पढ़ाई होती थी। कक्षा 11 से विषय चुन सकते थे। अभी तक सरकारी स्कूल पहली कक्षा से शुरू होते हैं। लेकिन नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद पहले बच्चे को पांच साल के फाउंडेशन स्टेज से गुजरना होगा। फाउंडेशन स्टेज के आखिरी दो साल पहली कक्षा और दूसरी कक्षा के होंगे। पांच साल के फाउंडेशन स्टेज के बाद बच्चा तीसरी कक्षा में जाएगा। यानी सरकारी स्कूलों में तीसरी कक्षा से पहले बच्चों के लिए 5 लेवल और बनेंगे। 5 + 3 + 3 + 4 के नए स्कूल एजुकेशन सिस्टम में पहले पांच साल 3 से 8 साल के बच्चों के लिए, उसके बाद के तीन साल 8 से 11 साल के बच्चों के लिए, उसके बाद के तीन साल 11 से 14 साल के बच्चों के लिए और स्कूल में सबसे आखिर के 4 साल 14 से 18 साल के बच्चों के लिए निर्धारित किए गए हैं।

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहां तक लागू हुई, जानें वर्तमान स्थिति

अब तक की उपलब्धियों को गिना जाए तो चार वर्षों में एनईपी ने स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों में कई सुधार लाएं हैं।

फाउंडेशनल स्टेज करिकुलम : फाउंडेशनल स्टेज के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ-एफएस) और जादुई पिटारा शिक्षण किट का शुभारंभ किया गया है जो 3-8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए प्ले बेस्ड लर्निंग शिक्षा पर फोकस करता है।

क्षेत्रीय भाषा का समावेश: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम और एनएमसी के मेडिकल कार्यक्रम अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध हैं। जेईई मेन और नीट जैसी प्रमुख प्रवेश परीक्षाएं हिंदी व अंग्रेजी के अलावा कई क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जाती हैं। इंजीनियरिंग और डॉक्टरी की पढ़ाई हिंदी में होने लगी है। बीटेक और एमबीबीएस की किताबें हिंदी में आ चुकी है। हिंदी मीडियम में बीटेक कोर्स कई संस्थानों में शुरू हो चुके हैं।

चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी): 19 केंद्रीय संस्थानों सहित 105 से अधिक विश्वविद्यालयों ने एफवाईयूपी को अपनाया है, जो लचीलापन और मल्टीपल एंट्री एग्जिट विकल्प देता है। दो साल बाद स्टूडेंट डिग्री कोर्स छोड़कर डिप्लोमा ले सकता है। तीन साल में कोर्स छोड़कर डिग्री ले सकता है। चार साल का कोर्स कर ऑनर्स विद रिसर्च की डिग्री ले सकता है।

आईआईटी का वैश्विक विस्तार: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) विदेशों में अपने परिसर स्थापित कर रहे हैं। आईआईटी मद्रास का दूसरा ऑफशोर कैंपस श्रीलंका में स्थापित किए जाने की संभावना है। आईआईटी मद्रास ने इससे पहले अपना पहला ऑफशोर कैंपस जंजीबार में शुरू किया था।

आईआईटी-दिल्ली अबू धाबी में कैंपस खोलकर पढ़ाई शुरू करवा चुका है।

विदेशी यूनिवर्सिटी को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति

नई शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति देने की बात कही गई है। यूनाइटेड किंगडम में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन भारत में कैंपस खोलने वाली पहली विदेशी यूनिवर्सिटी बनने वाली है। शिक्षा मंत्रालय ने इसकी इजाजत दे दी है। ऑस्ट्रेलिया का डीकिन विश्वविद्यालय भी गुजरात की गिफ्ट सिटी में कैंपस खोलने वाला है।

डिजिटल और मल्टीमॉडल लर्निंग: पीएम ई-विद्या और दीक्षा जैसी पहलों ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक अधिक से अधिक छात्रों की पहुंच के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म को एकीकृत किया है। नई शिक्षा नीति में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है। कंप्यूटर, लैपटॉप और फोन इत्यादि के जरिए विभिन्न ऐप का इस्तेमाल करके शिक्षण को रोचक बनाने की बात कही गई है। सरकार ने हाल में

वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन भी शुरू किया है। योजना का मुख्य उद्देश्य पूरे देश में छात्रों और रिसर्चर्स के लिये उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुंच को आसान बनाना है। इस योजना के तहत IITs समेत सभी सरकारी वित्त पोषित हायर इंस्टीट्यूट्स के लगभग 1.80 करोड़ छात्रों को सीधे फायदा होगा। छात्र इस योजना के तहत 13400 से भी अधिक अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स एक ही जगह प्राप्त कर सकेंगे। इस पोर्टल पर 6300 संस्थान रजिस्टर्ड होंगे। इसमें IIT और NIT जैसे संस्थान भी शामिल होंगे। यह पोर्टल पूरी तरह से डिजिटल होगा जहां से स्टूडेंट्स अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध और जर्नल्स का उपयोग अपने पढ़ाई के लिए कर पाएंगे।

नाम में बदलाव

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।

MPhil खत्म

एमफिल का कोर्स नई शिक्षा नीति में निरस्त कर दिया गया है। संस्थानों में धीरे धीरे अब एमफिल कोर्स खत्म किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति के तहत एमफिल कोर्सेज को खत्म किया गया है।

आईटीईपी

आईटीईपी (चार वर्षीय एकीकृत बीएड पाठ्यक्रम) शुरू किया गया है जिसमें नए स्कूल सिस्टम 5+3+3+4 फॉर्मेट के तहत शिक्षक तैयार किए जा रहे हैं।

एनईपी के समक्षा चुनौतियां, क्या लागू नहीं हो पा रहा, कहां आ रही समस्या

प्रगति के बावजूद कई क्षेत्रों में विभिन्न कारणों से कार्यान्वयन धीमा रहा है।

5+3+3+4 सिस्टम को लागू करना : स्कूलों में 10 प्लस 2 सिस्टम को खत्म कर 5+3+3+4 सिस्टम को लागू करना एक बड़ी चुनौती है। राज्यों में पाठ्यक्रम को संरेखित करना और नए शैक्षणिक तरीकों को अपनाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करना एक चुनौती बनी हुई है। कुछ ग्रेड के लिए फाउंडेशनल टेकस्ट बुक हाल ही में तैयार की गई हैं।

एक सिंगल हायर एजुकेशन नियामक

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा में यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई की जगह एक नियामक बनाने की बात कही गई है। इन सुधारों के लिए विधायी ढांचा तैयार किया जाना लंबित है।

क्या एनईपी सफल रही? सरकार क्या कहती है

शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने इस बात पर जोर दिया कि एनईपी का लागू किया जाना केंद्र और राज्यों की साझा जिम्मेदारी है। 16 दिसंबर, 2024 को लोकसभा सत्र के दौरान सवालों के जवाब में उन्होंने 14,500 से अधिक आदर्श विद्यालय विकसित करने के लिए पीएम श्री योजना और ग्रेड 2 तक बुनियादी साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए ‘निपुण भारत’ मिशन जैसी प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला। चौधरी ने कुछ क्षेत्रों में देरी को स्वीकार किया लेकिन 2030-40 तक व्यापक रूप से क्रियान्वयन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि सीखने के परिणामों की निगरानी के लिए परख (प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और समग्र विकास के लिए ज्ञान का विश्लेषण) जैसा मूल्यांकन सिस्टम पेश किए गया है। इसके अतिरिक्त विद्या समीक्षा केंद्र जैसे प्लेटफॉर्म शैक्षिक प्रगति पर वास्तविक समय का डेटा प्रदान करते हैं।

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