IIIT : BTech कोर्स राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक किया अपडेट, ChatGPT पढ़ेंगे छात्र
- ट्रिपलआईटी के बीटेक छात्र अब चैट जीपीटी की पढ़ाई करेंगे। संस्थान में बीटेक कोर्स को नई शिक्षा नीति के मुताबिक अपडेट किया गया है।
ट्रिपलआईटी के बीटेक छात्र अब डिजाइन थिंकिंग (चैट जीपीटी) की पढ़ाई करेंगे। संस्थान ने डिजाइन थिंकिंग को बीटेक पाठ्यक्रम को मुख्य विषय के रूप में सत्र 2024-25 से शामिल किया है। इसे सभी ब्रांच के विद्यार्थी को अनिवार्य रूप से पढ़ना होगा। निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावने ने बताया कि जेनरेटिव एआई, जैसे कि चैटबाट्स, इमेज जेनरेशन टूल्स और अन्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक, डिजाइन थिंकिंग के प्रत्येक चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इस पाठ्यक्रम के जरिए छात्र एआई आधारित विश्लेषण उपकरण उपयोगकर्ताओं के डेटा का गहन विश्लेषण कर सकते हैं, जिससे उनकी जरूरतों और व्यवहारों की बेहतर समझ विकसित होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के तहत ट्रिपलआईटी में संचालित बीटेक को अपटेड किया गया है। यह संस्थान तय कर रहा है कि किस ब्रांच के छात्र को चैट जीपीटी किस सेमेस्टर में पढ़ना होगा।
दिव्यांगों की दशा सुधारने की दिशा में काम करेगा ट्रिपलआईटी
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआईटी) में एक ऐेसा सेंटर विकसित करने की तैयारी चल रही है, जो दिव्यांगों की दशा सुधारने की दिशा में काम करेगा। विभिन्न प्रकार के दिव्यांगों को रोजगार से किस प्रकार जोड़ा जाए, ऐसी तकनीकी इस सेंटर में विकसित की जाएगी। इसके लिए भारत सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने संस्थान को 25 करोड़ की धनराशि की मंजूरी दी है। यह सेंटर खास तौर से बुंदेलखंड और मिर्जापुर में रहने वाले दिव्यांगों की स्थिति और उन्हें तकनीकी के जरिए रोजगार से जोड़ने की दिशा में काम करेगा। दिव्यांगों के लिए एम्स जैसी संस्थाओं के विशेषज्ञों से सहयोग लेकर व्हीलचेयर, ब्रेल डिस्प्ले, टेक्स्ट-टू-स्पीच के साथ ही कृत्रिम अंग विकसित किए जाएंगे। राज्य सरकार ने भी सहयोग की सहमति दी है।
सीसीटीवी कैमरे और एप की करेंगे निगरानी
मेला क्षेत्र में साधु-संतों, श्रद्धालु एवं कल्पवासियों को बेहतर सुविधा मिले, इसके लिए ट्रिपलआईटी के वैज्ञानिक एआई की मदद से भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा, निगरानी के क्षेत्र में काम करेंगे। मेला क्षेत्र में लगने वाले सीसीटीवी कैमरे और यात्रियों की एप सुविधा की लगातार निगरानी करेंगे। संस्थान के वैज्ञानिक देखेंगे कि एप किस क्षेत्र में कितना कारगर है। वहीं, मेला क्षेत्र में लगने वाले सीसीटीवी कैमरे चल रहे हैं या बंद हैं, उसकी रिपोर्ट मेला प्रशासन को समय-समय पर उपलब्ध कराते रहेंगे।
महाकुम्भ के लिए सॉफ्टवेयर बना रहे
ट्रिपलआईटी के वैज्ञानिक महाकुम्भ के लिए एक थ्री-डी आधारित सॉफ्टवेयर विकसित कर रहे हैं। प्रो. पवन चक्रवर्ती ने बताया कि इसके जरिए महाकुम्भ से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी और गतिविधियां घर बैठे मिल सकेंगी। महाकुम्भ क्षेत्र में बने आश्रम व पंडाल, हनुमान मंदिर, शाही स्नान से जुड़ी गतिविधियों के फोटो और वीडियो हर रोज अपलोड किए जाएंगे, जिसे घर बैठे मोबाइल पर देखा जा सकेगा।
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