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NEET PG : 6 राज्यों ने मेडिकल पीजी दाखिला प्रक्रिया रोकी, क्या नहीं मिलेंगे इंसेन्टिव मार्क्स

  • नीट पीजी के व्यक्तिगत स्कोर जारी होने से तमिलनाडु समेत कम से कम छह राज्यों ने पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज में दाखिला प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। इसके अलावा इस बार स्टेट कोटा काउंसलिंग में इंसेन्टिव मार्क्स मिलना मुश्किल है।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 5 Oct 2024 04:47 PM
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तमिलनाडु समेत कम से कम छह राज्यों ने पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज में दाखिला प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। दरअसल अभी तक नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) ने नीट पीजी अभ्यर्थियों के व्यक्तिगत स्कोर कार्ड जारी नहीं किए हैं जबकि परीक्षा का रिजल्ट 23 अगस्त को ही जारी हो गया था। एग्जाम 11 अगस्त को दो शिफ्टों में हुआ था। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले स्वायत्त निकाय एनबीईएमएस ने परीक्षार्थियों के अंकों को नॉर्मलाइज्ड कर उनके परसेंटाइल और रैंक की घोषणा की थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक मेडिकल एजुकेशन निदेशक डॉ. जे. संगुमनी ने कहा, "हमने एनबीई को पत्र लिक छात्रों के अंकों की मांग की है। अंकों के बिना हमारे लिए काउंसलिंग आयोजित करना मुश्किल होगा, खासतौर पर इन-सर्विस अभ्यर्थियों के लिए।" राज्य पहाड़ी क्षेत्रों और कठिन इलाकों में काम करने वाले इन-सर्विस अभ्यर्थियों को प्रोत्साहन के रूप में 30 अंक तक इंसेंटिव मार्क्स देता है। अधिकारियों ने मार्क्स कैलकुलेट करने के लिए परसेंटाइल स्कोर की इस्तेमाल कर रिवर्स कैलकुलेशन करने की कोशिश की। हालांकि, उन्होंने पाया कि यह विश्वसनीय नहीं था। उन्होंने कहा, "हमें छात्रों के व्यक्तिगत मार्क्स चाहिए वरना हम इन्सेंटिव मार्क्स नहीं जोड़ सकते। हमें नॉर्मलाइज्ड मार्क्स की आवश्यकता है।"

कुछ उम्मीदवारों ने नीट पीजी परिणामों में पारदर्शिता की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। निदेशालय के अधिकारियों ने कहा, "हम फैसले के आधार पर काउंसलिंग शुरू करने की उम्मीद कर रहे हैं।" केंद्र में डीजीएचएस के तहत मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) ने राउंड 1 के लिए नीट पीजी काउंसलिंग रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक शेड्यूल सहित पूरा एडमिशन शेड्यूल व डिटेल्स वाला सूचना बुलेटिन जारी नहीं किया है।

हालांकि, एनबीई के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर नेशनल मेडिकल कमिशन के साथ विस्तार से चर्चा की है। अधिकारी ने कहा, "नॉमलाइजेशन एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है, जिसके आधार पर प्रतिशत और स्कोर तय किए गए हैं। हम स्कोर घोषित नहीं कर पाएंगे। दाखिले के लिए प्रतिशत और रैंक काफी हैं। रैंक मेरिट का क्रम दिखाते हैं।"

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इंसेटिव मार्क्स नहीं

एनएमसी के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने दाखिले के लिए नई गाइडलाइंस पहले ही घोषित कर दी थी। स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा विनियम-2023 राज्यों को सेवारत उम्मीदवारों के लिए इन्सेंटिव मार्क्स देने की अनुमति नहीं देता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "इसके बजाय, उन्हें ग्रामीण, पहाड़ी या कठिन इलाकों के उम्मीदवारों को प्रोत्साहित करने के लिए इन-सर्विस कोटे के भीतर एक कोटा बनाना चाहिए।" उन्होंने कहा, "ऐसा करने से यह सुनिश्चित होगा कि नीट में योग्यता से समझौता नहीं किया जाएगा।"

हालांकि यह अभी अनिश्चित है कि इससे फायदा होगा या ग्रामीण इलाकों के अभ्यर्थियों को नुकसान होगा। सरकारी डॉक्टरों की एसोसिएशन ने कहा है कि एनएमसी स्टेट कोटा की एडमिशन की शर्तें तय नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, 'यह मामले कोर्ट में निपट चुका है। इसे फिर से उछालना और अब नियम बदल देना गलत है। बहुत से अभ्यर्थी पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में जाकर काम कर रहे हैं, उन्हें इन्सेंटिव मार्क्स की उम्मीद है। कुछ स्पेशलिटीज में सीटें बेहद कम है, उसमें कोटा नहीं दिया जा सकता।'

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