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MBBS : मेडिकल कॉलेज का बुरा हाल, 259 छात्रों का होगा ट्रांसफर; 13 सालों में कोई नहीं कर सका एमबीबीएस

  • बीएफयूएचएस ने पठानकोट के व्हाइट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के 259 एमबीबीएस छात्रों को राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट करने का फैसला किया है। 13 सालों में यहां से कोई एमबीबीएस नहीं कर पाया।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तानThu, 3 Oct 2024 02:54 PM
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बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (बीएफयूएचएस), फरीदकोट ने पठानकोट के व्हाइट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पहले चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज नाम था) के 259 एमबीबीएस छात्रों को राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट करने का फैसला किया है। व्हाइट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की बेहद बदतर स्थिति के चलते यह फैसला लिया गया है। इस मेडिकल कॉलेज में छात्रों को 2021 और 2022 सत्रों में दाखिला दिया गया था। बीएफयूएचएस ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया के जरिए इन एमबीबीएस स्टूडेंट्स को अन्य मेडिकल कॉलेजों में सीटें देगा। इन छात्रों को एडजस्ट करने के लिए चार सरकारी कॉलेजों सहित आठ मेडिकल कॉलेजों में 259 अतिरिक्त सीटें बनाई गई हैं।

पंजाब सरकार के आदेश पर वर्ष 2022 एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को चार सरकारी मेडिकल कॉलेजों समेत कुल आठ मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट करने के लिए 150 अतिरिक्त सीटें सृजित की गई हैं। वहीं 2021 में व्हाइट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में दाखिला लेने वालों के लिए तीन सरकारी कॉलेजों समेत सात मेडिकल कॉलेजों में 109 अतिरिक्त सीटें सृजित की गई हैं।

बीएफयूएचएस ने डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे इन 259 छात्रों को ट्रांसफर करने के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग का शेड्यूल भी जारी कर दिया है। छात्र 3 से 5 अक्टूबर तक कॉलेज प्रेफरेंस चुन सकते हैं। 7 अक्टूबर को छात्रों को सीटें अलॉट की जाएंगी। छात्रों को 8 से 9 अक्टूबर तक अलॉट किए गए कॉलेजों में सीटों को ज्वाइन करना होगा।

पहले भी स्टूडेंट्स करा चुके हैं ट्रांसफर

बीएफयूएचएस के कुलपति डॉ. राजीव सूद ने कहा, 'नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने निरीक्षण के दौरान पाया था कि व्हाइट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की कमी है। यहां तक ​​कि फैकल्टी की भी कमी थी। आपको बता दें कि एनएमसी ही देश में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता की निगरानी करती है। इससे पहले भी इस मेडिकल कॉलेज के सभी बैचों के स्टूडेंट्स को इन कारणों से दूसरे मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट कर दिया गया था। कॉलेज मैनेजमेंट की अपील को एनएमसी और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने पठानकोट मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्रों को दूसरे कॉलेजों में शिफ्ट करने के लिए एक विशेष आदेश जारी किया। बीएफयूएचएस द्वारा छात्रों को सीटें आवंटित करने के लिए एक विशेष काउंसलिंग आयोजित की जाएगी ताकि वे अपना बचा हुआ कोर्स पूरा कर सकें।'

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पहले भी विवादों में

चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज लंबे समय से विवादों में रहा है। इस मेडिकल कॉलेज की स्थापना 2011 में हुई थी लेकिन 2017 में निरीक्षण के बाद इसे बंद कर दिया गया क्योंकि यह मेडिकल शिक्षा के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा और फैकल्टी उपलब्ध कराने में नाकाम रहा था। दिसंबर 2017 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार 2014 और 2016 बैच के 249 एमबीबीएस छात्रों को राज्य के आठ मेडिकल कॉलेजों में ट्रांसफर कर दिया गया था।

 

नाम बदलकर फिर खुला मेडिकल कॉलेज

2021 में चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज का नाम बदलकर व्हाइट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल कर दिया गया। वर्ष 2021 में कॉलेज फिर से एमबीबीएस बैच के लिए दाखिले लेने की अनुमति प्राप्त करने में कामयाब रहा। 150 एमबीबीएस सीटों पर दाखिला लेने की यह अनुमति वर्ष 2022 में भी जारी रही। इसके बाद बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की कमी के कारण एमबीबीएस एडमिशन की अनुमति फिर से वापस ले ली गई।

मई, 2023 में, बीएफयूएचएस ने 17 फरवरी, 2023 को एक औचक निरीक्षण के दौरान कमियों को देखने के बाद 2023-2024 सत्र के लिए अपनी एफिलिएशन अस्थायी रूप से वापस ले ली थी। निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस के लिए आवश्यक सुविधाएं व फैकल्टी उपलब्ध कराने में विफल रहा है जैसा कि याचिकाकर्ता छात्रों ने कोर्ट में आरोप लगाए थे। इसके बाद एनएमसी ने व्हाइट मेडिकल कॉलेज को दी गई मान्यता को रिन्यू करने से इनकार कर दिया।

इस साल की शुरुआत में हाईकोर्ट ने एनएमसी और पंजाब सरकार को आदेश दिया था कि वे पठानकोट के व्हाइट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सभी छात्रों को दूसरे कॉलेजों में ट्रांसफर करें।

 

13 साल में कोई एमबीबीएस नहीं कर पाया

वर्ष 2011 में शुरू हुए इस मेडिकल कॉलेज को पांच साल बाद ही 2016 में आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं कराने के कारण बंद कर दिया गया। 2011 में स्थापना के बाद से कॉलेज को अब तक सिर्फ पांच नए बैच शुरू करने की ही इजाजत मिल पाई थी। 2011, 2014, 2016, 2021 और 2022 में 2017 में तीन बैच के बाहर निकलने और नए दाखिले पर लगे रोक को देखते हुए केवल दो बैच (2021 और 2022 में दाखिला लेने वाले) ही अभी कैंपस में थे। अब 2021 और 2022 के बैच के छात्र भी दूसरे कॉलेज में शिफ्ट हो जाएंगे।

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