Hindi Newsकरियर न्यूज़MBBS: students doing MBBS and Engineering from abroad in trouble took top up on education loan

MBBS : विदेश से एमबीबीएस करने वाले छात्र टेंशन में, एजुकेशन लोन पर लेना पड़ रहा टॉपअप

  • MBBS Abroad : कन्वर्जन मूल्य में लगातार दिख रहे अंतर से रूस से लेकर उजबेकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों की फीस में 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी दिख रही है।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, अजय श्रीवास्तव, गोरखपुरThu, 2 Jan 2025 10:57 AM
share Share
Follow Us on

अमेरिकन डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के गिरते रुतबे से विदेश में पढ़ाई करने वाले बच्चों के अभिभावकों से लेकर उद्यमियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कन्वर्जन मूल्य में लगातार दिख रहे अंतर से रूस से लेकर उजबेकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों की फीस में 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी दिख रही है। एजुकेशन लोन लेने वालों को बैंक से टॉपअप कराना पड़ा है। वहीं विदेश से कच्चा माल या मशीनरी मंगाने वालों को भी अतिरिक्त रकम अदा करनी पड़ रही है।

गोरखपुर-बस्ती मंडल के 500 से अधिक छात्र विदेशों में मेडिकल, इंजीनियरिंग से लेकर मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे हैं। बेटे मनु को उजबेकिस्तान से मेडिकल की पढ़ाई कराने वाले अतुल बताते हैं कि वर्ष 2019 में डॉलर का कन्वर्जन मूल्य 71.40 रुपये था जो वर्तमान में 85.79 रुपये है। मेडिकल कॉलेज ने एमबीबीएस फीस में बढ़ोतरी नहीं की लेकिन रुपये-डॉलर के अंतर से खर्च में एक लाख रुपये सालाना तक की बढ़ोतरी हो गई है। सिद्धार्थनगर के सलमान आमिर का बेटा हस्मान अरकम रुस के कुर्क स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। वर्ष 2021 में प्रवेश और वर्तमान की फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है लेकिन आमिर को प्रतिवर्ष 80 से 90 हजार रुपये अधिक फीस अदा करनी पड़ रही है।

395 छात्रों ने लिया 23.71 करोड़ का एजुकेशन लोन देश और विदेश में पढ़ाई करने के लिए एजुकेशन लोन लेने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गोरखपुर जिले में अप्रैल से सितम्बर महीने तक 395 छात्रों ने एजुकेशन लोन के रूप में 23.71 करोड़ रुपये की राशि ली है।

ये भी पढ़ें:नीट पास लड़की को एमबीबीएस में दाखिला देने से किया इनकार, कोर्ट ने दी बड़ी राहत

मशीन से लेकर स्पेयर पार्ट्स तक महंगा

गीडा की कई फैक्ट्रियों में जर्मनी, कोरिया से लेकर जापान की मशीनें लगी हैं। डैक फर्नीचर के एमडी डॉ. आरिफ साबिर बताते हैं कि प्लाई और माइका बनाने वाली यूनिट में जर्मनी और कोरिया की मशीनें लगी हैं। डालर कीमतें बढ़ने का असर पार्ट्स पर दिख रहा है। सारा भुगतान डालर की कीमत के हिसाब से करना पड़ रहा है। गीडा में सरिया फैक्ट्री के प्रमुख निखिल जालान ने बताया कि फैक्ट्री के लिए कोयला अफ्रीका से आता है। चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आरएन सिंह का कहना है कि जिन्होंने जर्मनी, जापान, कोरिया से लेकर चीन से मशीनों का ऑर्डर दिया है, उन्हें अब अधिक भुगतान करना पड़ रहा है।

बिछिया कैंप निवासी अतुल श्रीवास्तव का बेटा मनु शरण श्रीवास्तव यूक्रेन के मेडिकल इंस्टीट्यूट से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था। रुस-यूक्रेन युद्ध के बाद मनु ने उजबेकिस्तान के ताशकंद मेडिकल एकेडमी में ट्रांसफर ले लिया। अतुल बताते हैं कि 2019 में मेडिकल की सालाना पढ़ाई और रहने-खाने का खर्च 7000 डालर था। आज भी खर्च कमोबेश उतना ही है। लेकिन 7000 डालर के लिए 2019 में 4,99,800 रुपये अदा करना होता था, अब उतने ही डालर के लिए 5,96,820 रुपये देना पड़ रहा है।

शिवपुर सहबाजगंज निवासी चन्द्रशेखर अमेरिका के सिटेल यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री का कोर्स कर रहे हैं। चन्द्रशेखर ने बताया कि दो साल पहले कोर्स में एडमिशन लिया था। 45 हजार डालर फीस थी। तब बैंक से फीस और हास्टल आदि के खर्च के लिए 44 लाख रुपये का एजुकेशन लोन लिया था। अब कोर्स पूरा करने के लिए 52 लाख रुपये से अधिक की जरूरत है। 8 लाख रुपये की अतिरिक्त रकम के टॉप अप के लिए बैंक में आवेदन किया है।

जिला अग्रणी बैंक के प्रबंधक मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि विदेशों में अच्छी रैंक वाले शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई के लिए बैंक एजुकेशन लोन की सुविधा दे रहे हैं। अभिभावकों ने अच्छी संख्या में एजुकेशन लोन लिया है। पिछले एक साल में 20 से अधिक अभिभावकों ने लोन टॉपअप कराया है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें