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NEET UG : नीट पास लड़की को MBBS में दाखिला देने से किया इनकार, कोर्ट ने दी बड़ी राहत

  • हाईकोर्ट ने एक नीट यूजी परीक्षा पास विद्यार्थी को बड़ी राहत दी। इस विद्यार्थी को जाति प्रमाण पत्र में एक तकनीकी त्रुटि के चलते एमबीबीएस में दाखिला देने से इनकार कर दिया गया था।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तानFri, 20 Dec 2024 02:35 PM
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NEET UG : नीट पास लड़की को MBBS में दाखिला देने से किया इनकार, कोर्ट ने दी बड़ी राहत

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को एक नीट यूजी परीक्षा पास विद्यार्थी को बड़ी राहत दी। इस विद्यार्थी को जाति प्रमाण पत्र में एक तकनीकी त्रुटि के चलते एमबीबीएस में दाखिला देने से इनकार कर दिया गया था। कोर्ट ने एसएसपीएम मेडिकल कॉलेज को निर्देश दिया कि वह इंस्टीट्यूशनल स्ट्रे वैकेंसी राउंड के तहत उसके लिए अतिरिक्त सीट बनाकर एमबीबीएस कोर्स के फर्स्ट ईयर में याचिकाकर्ता को दाखिला दे।

19 साल की आर्या संदीप तातार को एमबीबीएस सीट पर दाखिला पाने के योग्य होने के बावजूद नीट यूजी 2024 के तहत एडमिशन देने से मना कर दिया गया था। दरअसल आर्या ने मेडिकल कॉलेज में जाति से संबंधित जो दो प्रमाणत्र जमा किए थे उन दोनों की तिथियां अलग-अलग थीं। आर्या ने जरूरत के मुताबिक 19 अक्टूबर 2022 को जारी जाति वैधता प्रमाण पत्र के साथ 08 अगस्त 2024 को जारी जाति प्रमाण पत्र भी जमा किया। लेकिन उन्हें यह कहकर दाखिला देने से मना कर दिया गया कि उनके जाति प्रमाण पत्र और जाति वैधता प्रमाण पत्र की तिथियां मेल नहीं खाती।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रियल सारदा ने दलील दी कि जाति वैधता प्रमाण पत्र एक सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया था और इसलिए इससे उसकी जाति का पता चलता है। दूसरी ओर बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि एडमिशन देने की कटऑफ तिथि समाप्त होने के बाद से कोई सीट उपलब्ध नहीं थी। न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुरकर और न्यायमूर्ति राजेश एस. पाटिल के नेतृत्व वाली एक खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की जाति की स्थिति कभी भी सवाल में नहीं थी और दाखिले से इनकार केवल तकनीकी आधार पर किया गया था। अदालत ने कहा कि जो भी हुआ, उसमें याचिकाकर्ता की कोई गलती नहीं थी इसलिए न्याय पीड़ित को राहत देने में है।

न्यायालय ने असामान्य हालातों में एडमिशन देने के लिए एक्स्ट्रा सीटें बनाने को उचित ठहराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के उदाहरणों का हवाला दिया। इसके बाद न्यायालय ने मेडिकल कॉलेज को आवश्यक औपचारिकताओं का पालन करते हुए अतिरिक्त सीटें बनाकर आर्या को एडमिशन देने का निर्देश दिया। न्यायालय ने आर्या को इंस्टीट्यूशनल स्ट्रे वैकेंसी राउंड की नियमित फीस और अन्य फीस का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।

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